सावन का महीना चल रहा है। जो कि स्वयं भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। वहीं इस बार का सावन(Sawan) का महीना बेहद ही शुभ है। क्योंकि इस साल सावन का महीना पूरे दो महीने के लिए मनाया जा रहा है। जो कि लगभग 19 वर्षों बाद यह शुभ संयोग बन रहा है। इसके पीछे का कारण अधिकमास को माना जा रहा है। अधिकमास जिसे मलमास के नाम से भी जाता है। इसी के चलते सावन पूरे दो महीने के लिए मनाया जा रहा है, और इसी के साथ इस बार 4 सोमवार की जगह पूरे 8 सोमवार मनाएं जाएंगे।
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कैसे करें इस सावन में महादेव को प्रसन्न
कहा जाता है कि सावन के महीने में जो भी भक्त भगवान शिव की सच्चे मन से अराधना करता है। भगवान शिव उसकी हर इच्छाएं पूरी करते है, और उसकी सभी समस्याओं का निवारण कर उसका जीवन खुशियों से भर देते है। तो सावन(Sawan) में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की पूरी विधि बताई गई।
1.सबसे पहले ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए कच्चे दूध या गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
2.पंचामृत के अभिषेक के बाद शिवजी को चंदन, अक्षत, बेलपत्र आदि चढ़ाएं
3.शिव जी को कभी भी हल्दी, कुमकुम,नारियल आदि अर्पित नहीं करने चाहिए।
4.शिव जी की पूजा में शंक का प्रयोग नहीं करना चाहिए
5.शिव जी की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है। लेकिन बेल पत्र तोड़ते समय इस मंत्र अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा का जाप करें
6.शिव जी की पूजा के साथ माता पार्वती और नंदी जी की भी पूजा करें।
7.शिव पूजन में कदम, केवड़ा आदि के फूल वर्जित है।
8.अगर घर में शिवलिंग है तो फिर अगूंठे के आकार का ही होना चाहिए
सावन का महीना क्यों महादेव का प्रिय होता है
भोलेनाथ के लिए ये माह बहुत ही खास होता है। कहा जाता है इसी माह में ही ऋषि मार्कण्डेय में लंबी आयु प्राप्त करने के लिए घोर तप किया था।मान्यताओं के अनुसार सावन (Sawan)के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे। कहते हैं कि हर वर्ष इसी माह में महादेव अपने ससुराल जाते हैं। इस वजह से शिव शंभू की कृपा प्राप्त करने के लिए ये सुनहरा अवसर होता है। इसके अलावा सावन महीने में ही समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने हलाहल विष को पिया था। इस वजह से महादेव का कंठ नीला पड़ गया था। तब इसके प्रभाव को कम करने के लिए देवी-देवताओं ने शिव जी को जल अर्पित किया इसलिए सावन के महीने में अभिषेक का विशेष महत्व होता है।