महादेव को क्यों कहा जाता है कालों का काल महादेव। आखिर कब और कैसे पड़ा महादेव (mahadev)का यह नाम , और क्या है इस नाम के पीछे की कहानी। वैसे तो महादेव के अनगिणत नाम है। जैसे महादेव, शिवजी, शिवाय, भोलेनाथ, नीलकंठ, महाकाल समेत कई नाम है, और इन सभी नामों के पीछे कोई न कोई कहानी जरूर रही है। कहा जाता है कि यह सारे नाम महादेव को उनके स्वभाव के अनुसार ही दिए गए। जैसे कि महादेव बहुत भोले थे, और वो अपने भक्तों द्वारा मांगी गई हर एक इच्छा पूरी कर देते है। तो आज की इस वीडियो में महादेव के सबसे विख्यात नामों में से एक महाकाल के बारे में बात करेंगे, कि आखिरकार इस नाम के पीछे की क्या कहानी है।
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क्या है महाकाल नाम के पीछे की कहानी। mahakal ke naam ke pichey ki kahani
कहा जाता है कि उज्जैन जिसे पहले उज्जैनी और अवंतिकापुरी के नाम से भी जाना जाता था। यहां एक शिव भक्त ब्राह्मण निवास करता था। अंवतिकापुरी की जनता दूषण नाम के राक्षस के प्रकोप से त्राहि-त्राहि कर रही थी। लोग उसे काल के नाम से जानते थे। ब्रह्रा से जी दूषण को कई शक्तियां मिली थी, जिनका दुरुपयोग कर वह निर्दोष लोगों को परेशान करता था। राक्षस की शक्तियों के प्रकोप से ब्राह्मण काफी दुखी था, उसने भगवान शिव से राक्षस के नाश की प्रार्थना की, लेकिन भगवान ने काफी वक्त तक कुछ नहीं किया। प्रार्थनाओं का असर न होता देख एक दिन ब्रह्म भगवान शिव( Mahadev)से नाराज हो गया और उनका पूजन बंद कर दिया। अपने ब्राह्मण भक्त को दुखी देख भगवान शिव हुंकार के रूप में प्रकट हुए और दूषण का वध कर दिया। क्योंकि लोग दूषण को काल कहते थे, इसलिए उसके वध के कारण भगवान शिव का नाम महाकाल पड़ा। भगवान शिव के दर्शन पाकर शिव भक्त धन्य हो गए। जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव से वहीं बसने की प्रार्थना की। अपने भक्तों की आस्था से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया।
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उज्जैन में महाकाल के रूप में है महादेव विराजमान। ujjain mahakal
मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में शिप्रा नदी के तट पर भगवान शिव महाकाल(Mahadev) के रूप में विराजमान हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में यह तीसरे स्थान पर आता है। उज्जैन में स्थित यह ज्योतिर्लिंग देश का इकलौता महाकालेश्वर शिवलिंग है जो कि दक्षिण मुखी है। मंदिर से अनेक प्राचीन परंपराएं जुड़ी हैं। वहीं, इस मंदिर के कई अनसुलझे रहस्य भी हैं। भगवान शिव के कई नाम हैं, सदियों से उन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, शंभू, त्रिलोकपति के नाम से पुकारा जाता रहा है लेकिन उज्जैन में उन्हें महाकाल के नाम से पुकारा जाता है।काल का वध करने के कारण बाबा महाकाल की पूजा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा महाकाल की आराधना करता है, उसे कभी मृत्यु का भय नहीं डराता न ही कभी उसकी अकाल मृत्यु होती है। मंदिर में अकाल मृत्यु के निवारण के लिए बाबा महाकाल की विशेष पूजा की जाती है।