कहते हैं कि, बच्चे भगवान का रुप होते हैं…इसलिए वह हमेशा सच्चा बोलते हैं आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे बच्चे के बारे में जिसने यह दावा किया है कि वह भगवान से बात करता है। इस बच्चे को बचपन से ही सपने में भगवान के बात करने का अनुभव होता रहता था। जिसका जिक्र अक्सर वह अपने घरवालों के आगे करता रहता था, लेकिन सभी उसकी बातों को मज़ाक में ले जाते थे। वह एक गरीब का बच्चा था। जहां उसके पिताजी मजदूरी करके घर खर्च चलाते थे और माता घर में ही रहती थी। ये तीन भाई थे। जिनका ख्याल इनकी मां घर पर रहकर रखती थी। मां ने कई बार देखा कि वह बच्चा अकेले-अकेले किसी से बात करता है, लेकिन वह साफ-साफ सुन नहीं पाती थी कि, वह किस से बात करता है। एक दिन वह उस बच्चे कि मां ने छुपकर सुनने की कोशिश की, लेकिन फिर उसको कुछ नहीं सुनाई दिया। यह बात बच्चे की मां ने उसके पिता को बताई कि, यह लड़का किसी से बात करता है, लेकिन मुझे देखकर चुप हो जाता है। जब उसके पिताजी ने थोड़ी कड़क आवाज़ करके बच्चे से पूछा कि, तू किस से बात करता है जो सुनाई भी नहीं देती। क्या बात है हमें सच-सच बता। तो बच्चे ने डरते-डरते मंदिर की तस्वीरों की ओर इशारा किया और बोला ये सभी मुझसे मिलने आते है और बात करते हैं। यह सुनकर माता-पिता थोड़े हैरान हुए। बच्चे की बात पर यकीन करना मां-बाप के लिए थोड़ा मुश्किल हो रहा था। फिर एक दिन हैंडपम्प के पास बैठकर वह बच्चा किसी से बात कर रहा था तो पिता ने सुनने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं सुन पाया और उसको डांट-फटकार कर उसे घर में ले आए। यह सिलसिला काफी साल तक चलता रहा, अब बच्चे को यह सब करते हुए 2 साल हो गए और अब तो वह सपने में भी बड़बड़ाने लगा, लेकिन फिर भी कुछ समझ नहीं आता। यह सब देखकर माता-पिता दोनों डर गये और उन्होंने डॉक्टर से इलाज कराने की ठानी 3 साल डॉक्टर के इलाज से भी बच्चे की आदतों में कोई सुधार नहीं आ रहा था। फिर एक दिन वह अपने पिताजी के साथ अस्पताल से घर पर जा रहा था, रास्ते में एक पुराना मंदिर पड़ा वह दुर्गा माता का मंदिर था। बच्चे ने मंदिर को देखते ही कहा कि यह मंदिर मुझे सपने में दिखता है यहां कि सीढियों पर बैठकर मैं माता से बातचीत करता हूं। बच्चे की यह बात सुनकर बाप हैरान परेशान हो गया और मंदिर के अंदर हाथ जोड़कर विनती करने लगा। इतने में ही एक बुजुर्गा महिला लाल कपड़ों में उस व्यक्ति के पास आई और बोली पुत्र क्या परेशानी है क्यों इतना दुखी है। उसने सारी बात उस औरत को बताई। फिर वह औरत खूब ज़ोर-ज़ोर की हंसने लगी और बोली हे मुर्ख प्राणी क्या तुझे इतना भी ज्ञात नहीं कि, तेरा बेटा सीधे भगवानों से बात करता है ये तेरे लिए बहुत अच्छी बात है। व्यक्ति ने पूछा वो कैसे उस औरत ने कहा जैसा जैसा तेरा पुत्र बोला वैसा वैसा करता जा देख तेरे दिन किस तरह बदल जाऐगें। यह कहकर वह औरत वहां से चली गई। अब बच्चे के पिताजी और भी अधिक चिंतित हो गया। ये सारी बातें उसने अपनी पत्नी को बताई तो दोनों ने यह फैसला किया कि, अब से वह बच्चे की हर बात पर ध्यान देंगे। इसके बाद आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए बच्चे ने जैसा-जैसा कहा वैसा-वैसा उन दोनों किया। धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति ठीक हो गई। यह देखकर दोनों पति-पत्नी को हैरानी हुई साथ में वह खुश भी हुए, लेकिन फिर उनके बेटे ने कहा हम यहां नहीं रहेंगे अब हम शहर की तरफ जाकर रहेंगे, लेकिन उसके माता-पिता वहां जाना नहीं चाहते थे, लेकिन बेटे के कहने पर माता वहां जाकर रहने लगे। इसके बाद उसके पिताजी की कुछ ही दिनों में नौकरी लग और उन्होंने अपने पत्नी के साथ मिलकर एक छोटा सा बिजनेस खोल लिया। यह बिजनेस दिनों-दिन तरक्की कर रहा था और बेटे भी अच्छे स्कूल में पढ़ने लगा और आज वह विदेश में रह रहा है। भले ही वह विदेश चला गया हो, लेकिन आज भी भगवान की कृपा उसपर रहती है।