बढ़ती नंदी मूर्ति | कलयुग के अंत की ओर एक चमत्कारिक प्रतिमा”
ॐ नमः शिवाय…… आप मे से अब तक सभी लोग मंदिर तो जरूर गए होंगे, और मंदिरों मे आप सभी ने भगवान की प्रतिमा भी देखी
होंगी। कुछ प्रतिमा बहुत छोटे आकार की होंगी तो कुछ प्रतिमा काफी बड़ी भी होंगी। क्या हो अगर आपने जिस मंदिर मे बहुत साल पहले दर्शन करे हो और फिर कुछ सालों बाद आप उसी मंदिर मे दुबारा दर्शन करने जाए और आपको एक प्रतिमा एसी दिखे जिसकी पूजा जब पहले आपने करी थी तो उसका आकार छोटा था, और अब जब आप दुबारा उस प्रतिमा के दर्शन कर है, तो उसका आकार पहले से थोडा बड़ा हो चुका है। ( नंदी मूर्ति )
जी हाँ हमारे भारत मे एक एस मंदिर भी हैं जिसके अंदर की जो प्रतिमा हैं उसका आकार बढ़ता ही जा रहा हैं।
मंदिर के चमत्कार के बारे मे जानने के लिए यह पोस्ट को अंत तक जरूर पढे । आज हम आपके लिए एक जीवित नंदी की प्रतिमा जो कलयुग के अंत की ओर जा रही हैं। उस विषेय की सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।
“श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर: ऋषि अगस्त्य का आशीर्वाद”
भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के नंद्याल जिले में shiv का एक मंदिर है जिसे यागंती मंदिर या श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। यह मंदिर अपने अंदर कई रहस्य दफन किए हुए हैं, जो बड़े बड़े वज्ञानिक को सोचने पर मजबूर करे हुए हैं।
इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के संगम राजवंश के राजा हरिहर बुक्का राय ने करवाया था। लेकिन इसका निर्माण सिर्फ संगम राजवंश के राजा ने करवाया था लेकिन इस मंदिर की उत्पति ऋषि अगस्त्य से करवाई थी इसके पीछे भी एक कहानी हैं;
ऋषि अगस्त्य इस स्थल पर भगवान वेंकटेश्वर जो की भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं उनके लिए एक मंदिर बनाना चाहते थे । हालाँकि, जो मूर्ति बनवाई गई थी, उसे स्थापित नहीं किया जा सका क्योंकि मूर्ति के पैर के अंगूठे का नखून टूट गया था। ऋषि इस बात से दुखी हुए और उन्होंने shiv की तपस्या की। जब शिव प्रकट हुए, तो उन्होंने कहा कि यह स्थान कैलाश जैसा दिखता हैं तो यहाँ उनका मंदिर बनाना उचित होगा।
जैसा की भारत के कई मंदिर मे भगवान शिव को उनके shivling व देवी पार्वती के साथ पूजा जाता हैं वही दूसरी तरफ इस मंदिर मे भगवान शिव की अर्धनारीश्वर स्वरूप पूजा जाता हैं, जो एक ही पत्थर को तराश कर बनाई गई है।
“नंदी मूर्ति: चमत्कारिक रूप में बढ़ती मूर्ति का रहस्य”
लेकिन इस मंदिर मे सबसे रहस्य मे जो चीज हैं वो हैं भगवान शिव के वाहन नंदी की मूर्ति। हम सभी को अच्छे से मालूम हैं पत्थर एक निर्जीव वस्तु हैं लेकिन इस मंदिर मे बनी नंदी जी पत्थर की मूर्ति को जीवित मूर्ति कहा गया हैं, क्यूंकी इस Mandir मे बनी नंदी जी की प्रतिमा हर 20 साल मे 1 इंच बढ़ती जा रही हैं, जो असंभव हैं कहा जाता हैं की कलयुग के अंत तक इस प्रतिमा का आकार बहुत बड़ा हो जाएगा और नंदी की यह जब मूर्ति खड़ी हो जाएगी, और कलयुग का अंत हो जाएगा। लोगों का तो यह भी कहना हैं की प्रतिमा कलयुग मे हो रहे पापों के कारण आकर मे बड़ रही हैं।
मंदिर मे पूजा कर रहे भक्तों का कहना हैं की जब पहले मूर्ति का आकार छोटा था तो आराम से प्रतिकर्मा लगाई जा सकती थी। लेकिन अब तो इसका पूरा चक्कर लगाना मुश्किल हैं। इस प्रतिमा के पास खड़े 4 स्तंभ मे से 2 स्तंभ निकलवा दिए हैं, कहा ये भी जा रहा हैं बढ़ते आकार के कारण जल्द ही तीसरा स्तंभ भी निकाल दिया जाएगा।
वैसे इस मंदिर का एक मात्र यही रहस्य नहीं हैं, मंदिर मे और भी एसे रहस्य हैं जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाते हैं। जैसे की इस मंदिर का कुंड जिसमे लगी नंदी जी की एक छोटी सी मूर्ति के मुह से हमेशा पानी निकलता रहता हैं और यह पानी कहा से निकलता हैं यह आज तक मालूम नहीं चला कुंड मे जाता हुआ पानी न तो कभी सूखा और न ही कभी भरा।
और इस मंदिर का यह भी एक रहस्य हैं की यह कभी कौवे नहीं आते। इसके पीछे कारण यह हैं जब ऋषि अगस्त्य bhagwan shiv की तपस्या कर रहे थे तब ढेर सारे कौवे बहुत जोर जोर से शोर कर रहे थे जिस वजह से ऋषि अगस्त्य ने श्राप दिया की अब से यह पर एक भी कौवा पर भी नहीं मारेगा।
इस श्राप के बाद से कोई भी कौवा आज तक इस मंदिर मे नहीं आया। जिस कारण इस मंदिर मे शनि देव का वास भी नहीं होता।