हर संकट दूर हो जाते है हनुमान जी के नाम लेने मात्र लेने से , यह तो हम सबने कई बार अपने जीवन में सुना ही है परन्तु क्या ऐसा हो सकता है। इस कहे सुने कथन में कितनी सत्यता इसका जिवंत उदहारण मिलता है मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में रहने वाले राकेश जी के साथ हुई घटना को जानकर। राकेश जी के साथ जो हुआ उसे देख देखने वाले दंग रह गए किसी को अपनी आँखों देखे पर भी विश्वास ना हुआ।
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ग्वालियर शहर में राकेश नाम का एक व्यक्ति रहा करता था। राकेश एक छोटी सी दुकान चलाया करता था , राकेश के परिवार में उसके माता, पिता व उसकी पत्नी ही थी। दुकान से जो भी आमदनी हुआ करती उसमे वह व उसका परिवार संतुष्ट थे। राकेश की रूचि सदा से ही अध्यात्म ओर अधिक थी। वह बजरंग बलि का अनन्य भक्त था। राकेश प्रतिदिन मंदिर जाकर हनुमानजी की पूजा अर्चना किया करता , मंगलवार को व्रत किया करता ओर हनुमान जयंती तो बड़े ही उत्साह से अपने पूरे परिवार के साथ मनाया करता।
राकेश सादा जीवन उच्च विचार वाली प्रवर्ति का व्यक्ति था , उसे किसी से भी ना तो कोई द्वेष भावना थी न ही ईर्ष्या।
राकेश एक दिन अपने निजी कार्य से दुसरे शहर गया था , उसे लौटने में काफी रात हो गयी वह बीच मार्ग में खड़ा होकर ग्वालियर जाने वाली बस का इंतज़ार कर रहा था। लेकिन बहुत देर तक इंतज़ार करने के बाद भी उसे कोई बस नहीं मिली , अंदर अधिक था और दूर दूर तक वहाँ कोई व्यक्ति भी दिखाई नहीं पड़ रहा था।
राकेश को जब कोई भी साधन नहीं मिला तो उसने सोचा क्यों ना थोड़ा आगे जाकर देखा जाये शायद आगे से कोई साधन मिल जायेगा।
राकेश पैदल ही आगे बढ़ने लगा , आगे बढ़ते हुए राकेश को किसी के बहुत तेज चलने की आवाज आयी , उसने पीछे मुड़ कर देखा पर वहाँ कोई ना था , राकेश आगे बढ़ता रहा तभी उसे महसूस हुआ की जैसे किसी ने अत्यधिक बल के साथ किसी ने उसके पैरो को जकड लिया हो ,राकेश ने पैर छुड़ाने की अत्यधिक कोशिश की परन्तु वह नाकाम रहा। राकेश लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गया कोई अदृश्य शक्ति उसे नीचे दबा रही थी।
राकेश खड़ा भी नहीं हो पा रहा था , साथ ही उसके शरीर पर गहरे नाखूनो के घाव पड़ने लगे , वह चिल्ला कर मदद की गुहार लगाने लगा परन्तु वहाँ उसकी मदद करने के लिए कोई मौजूद नहीं था। जब राकेश को कोई मार्ग नहीं दिखा तो उसने बजरंगबली को याद कर हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए उन्ही से मदद की गुहार लगाई , फाई जो हुआ उसे जान्ने वाले सभी के होश उड़ गए।
कुछ ही देर बाद राकेश को एक बहुत बड़ी परछाई अपने से कुछ दूर दिखाई दी , परन्तु वहाँ कोई व्यक्ति ना था , यह देख राकेश और भी अधिक भयभीत हो गया। परछाई राकेश के करीब आने लगी राकेश का दर भी बढ़ रहा था। परछाई जैसे ही राकेश की समीप आयी तो राकेश के ऊपर से पूरा भार हट गया।
जो घाव शरीर पर पड़ रहे थे वह भी रुक गए इसके साथ राकेश के जकड़े हुए पैर भी अब आज़ाद थे। राकेश ने जब दोबारा उस परछाई को देखा तो ज्ञात हुआ की उसके हाथ में गदा है और परछाई की एक लम्बी पूँछ भी है।
राकेश को ज्ञात हुआ यह कोई और नहीं स्वयं बजरंग बलि है जिन्होंने आकर मेरी रक्षा की है। एवं इस प्रकार बजरंग बलि का नाम लेने मात्र से भक्त के सारे संकट दूर हो गए। इस किस्से के बाद राकेश का विश्वास बजरंग बलि के प्रति और दृढ हो गया l