‘संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरे हनुमत बल बीरा ” हनुमान चालीसा की ये चोपाई कितनी सत्य है इसका प्रमाण मिलता है हमे जब हम मुरादाबाद मैं रहने वाले शिवा की कहानी सुनते है। शिवा मुरादबाद मैं रहता है और एक प्राइवेट कम्पनी मैं नौकरी कर रहा है। उसे बचपन से ही हनुमान जी के किस्से व कहानी सुनना किस प्रकार हनुमान जी ने बड़े बड़े दुष्टों का विनाश किया यह सब जानना बेहद ही पंसद था। बड़े होकर शिवा रोज़ नियमबद्ध रूप से हनुमान जी की पूजा अर्चना किआ करता था। वह पूर्ण रूप से बाल ब्रम्चारी रह कर बजरंग बलि की उपासना करना चाहता है। वह कभी किसी के साथ कुछ भी गलत नहीं करता सबके साथ सौम्यता से व्यवहार करता है। शिवा को किसी के प्रति कोई हीं भावना नहीं थी। शिवा को एक दिन कम्पनी की ओर से एक मीटिंग के लिए भेजा गया , मीटिंग बहुत बड़ी एक ईमारत में थी। शिवा मीटिंग के अनुसार नौवे माले पर पहुँच गया। मीटिंग शुरू होने में अभी समय था वह उस ईमारत को कांच की एक बड़ी सी दिवार से झांक कर देखने लगा। उसे था नहीं पता था की वहाँ कोई हादसा भी हो सकता है। और जैसे ही वह पीछे की ओर मुड़ा उसका पैर ज़मीन पर गिरे पानी पर पड़ा जिससे वह वहाँ पर मोजूद कांच की दिवार पर गिर गया। गिरने के कारन कांच की दिवार टूट गई ओर शिवा ईमारत से नीचे गिरने लगा तभी उसने हवा में ही ईमारत में निकली हुई लोहे की एक रॉड को पकड़ लिया। अब वह नौवीं मंजिल पर मात्र लोहे की रॉड के सहारे लटका हुआ था पर वहाँ किसी ने उसकी एक आवाज ना सुनी। तब नीचे से गुज़रते व्यक्ति ने शिवा को ऐसे लटकता देख दमकल विभाग को फ़ोन करके भुलाया परन्तु उनका आने का कोई निश्चित समय नहीं था। शिवा बजरंज बलि से जान बचाने की गुहार लगाने लगा। देखते ही देखते शिवा का हाथ छूट गया , ओर वह गिरने लगा अचानक से शिवा के गिरने की गति कम हो गई ओर अब वह बड़े आराम से नीचे की ओर आ रहा था। नीचे आकर एक रेत के ढेर पर ऐसे आ गिरा की कुछ फ़ीट से गिरा हो उसे देख अस पास के सभी लोग हैरान रहे गए। सभी शिवा से पूछने लगे की यह कैसे हुआ की तुम इतनी ऊंचाई से नीचे गिरे परन्तु तुमको को कोई खरोंच तक नहीं आयी , इस पर शिवा ने उत्तर दिए की जब में उस लोहे की रॉड पर लटका था तब मैंने बजरंज बलि से मेरे प्राणो की रक्षा की गुहार लगी ओर उसके बाद मेरा हाथ वह से छूट गया , परन्तु गिरते समय मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था की किसी दिव्य शक्ति और मजूबत भुजाओं ने मुझे गोद में ले रखा हो हो ना हो बजरंज बलि ने ही स्वयं अदृश्य होकर मेरी प्राण रक्षा की है , सब लोग हनुमान जी के ऐसे चमत्कार व शिवा की भक्ति देख दंग रह गए और कुछ लोग तो ऐसे भाव बिहार हो गए की अपने आसूं रोक नहीं पाए।
जब ऊँची ईमारत से गिरते हुए अपने परम भक्त को बचने आये हनुमान जी।
By Prabhu BhaktiUpdated: