श्री कृष्ण के चमत्कार किसने देखे व सुने नहीं है , आज कलयुग में भी ना जाने कितने चमत्कार हो जाते है जिन्हे देख सभी दंग रह जाते है।
ऐसा ही चमत्कार हुआ झारखण्ड के धनबाद नामक शहर में रहने वाले शांतनु के साथ , जिसे देख उन्हें खुद भी विश्वास ना हुआ।
शांतनु डाक विभाग में करने वाला एक आम आदमी है , वह बचपन से ही श्री कृष्ण की बाल लीला व पराक्रम के किस्से सुनते हुए ही बड़ा हुआ है, शांतनु श्री कृष्ण की भक्ति में लगा रहता है। यहाँ तक की शांतनु तो श्री कृष्ण को अपने परिवार का ही सदस्य मानता है , उनकी देख रेख भी एक बालक की भांति करते हुए उन्हें भोजन का भोग लगाना उन्हें सुलाना यह सब कुछ वह बड़े ही आदर व आस्था भाव से किया करता है।
शांतनु बड़े ही शांत प्रवृति का व्यक्ति है जो सभी सहायता करने हेतु भी सदैव तत्पर रहता है।
कुछ वर्षो पुरानी बात है , शांतनु की इच्छा थी की वह इस वश आने वाली जन्माष्टमी अपने परिवार सहित श्री कृष्ण के धाम मथुरा में जाकर मनाये। शांतनु के माता पिता ने भी उसके इस सुझाव पर सहमति दिखाई।
सभी लोग जन्माष्टमी से एक दिन पहले मथुरा के लिए रवाना हो गए , सभी भक्ति भाव से परिपूर्ण थे। शांतनु गाडी चला रहा था व उसके माता पिता पीछे बैठे हुए थे , श्री कृष्ण के भजन गाते हुए आगे बढ़ रहे थे।
परन्तु वह यह नहीं जानते थे की कोई बड़ा संकट उनके निकट आने को तैयार बैठा हुआ है। वह सभी एक लम्बे सफर के बाद लखनऊ पहुंचे। तभी शांतनु के पिता ने कहा की हमें कुछ देर यहाँ रुक कर आराम कर लेना चाहिए और इसी बहाने कुछ जलपान भी हो जायेगा।
शांतनु ने अपने पिता की बात मान कर गाडी सड़क किनारे स्थित एक ढाबे पर लगायी , माता पिता गाडी से उतर गए एवं शांतनु गाडी को पार्क करने के लिए गाडी जैसे ही पीछे की।
तभी उसे नज़र आया की दूसरी और से एक बड़ी बस बेकाबू होकर उसकी और तेज रफ़्तार में बढ़ी चली आ रही है। यह देख वह घबरा गया उसने तुरंत गाडी को आगे लेने का प्रयास किया गाडी आगे तो हो गयी परन्तु गाडी का पीछे का हिस्सा बस से टकरा गया। और शांतनु की गाडी बहुत तेजी से पलट कर सड़क पर उलटी गिर गयी , इतना भयानक एक्सीडेंट देख वह मौजूद लोग डर गए , तुरंत ही गाडी के चारो और भीड़ जमा हो गयी , शांतनु के माता पिता भी गाडी के पास पहुँच गए।
शांतनु को गंभीर रूप से चोट आयी थी , वहाँ उपस्थित लोगो ने गाडी से शांतनु को गाडी से बाहर निकला , शांतनु को इस हाल में देख उसके माता पिता अपने आंसू रोक नहीं पाए। लोगो ने उसे उसे होश में लाने के लिए बहुत प्रयास किये किसी ने उसके अचेत शरीर को हिलाया , तो किसी ने पानी के छीटें उसके चेहरे पर मारे परन्तु किसी रूप की कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।
तभी वहाँ कुछ ऐसा हुआ जिसे देख वहाँ मौजूद सभी लोग दंग रह गए किसी को अपने आँखों देखे पर यकीन ना हुआ।
अपने पुत्र को अचेत अवस्था में देख शांतनु के माता पिता ने विलाप करते हुए श्री कृष्ण से प्रार्थना करते हुए , अपने पुत्र के प्राण रक्षा की गुहार लगायी। कुछ ही समय बाद वहाँ एक व्यक्ति पंहुचा जिसके चेहरे पर एक विशेष रुपी तेज़ था , सभी चिंताओं को भुला देने वाली मुस्कान थी।
उसने वहाँ आस पास से भीड़ को एक और किया और शांतनु के करीब आकर बैठ कर उसके कान में कुछ कहा और फिर शांतनु के सर पर अपना हाथ फिराया।
जिसके कुछ ही देर बाद शांतनु का अचेत शरीर मे चेतना आने लगी उसकी आँखे धीरे धीरे खुलने लगी , लोग या देख आश्चर्य में थे की यह चम्तकार कैसे हुआ किसी के हाथ फेरने मात्र से कैसे किसी अचेत शरीर में जान आ गयी।
कुछ ही देर बाद जा लोगो ने उस व्यक्ति को ढूंढ़ने का प्रयास किया तब तक वह वहाँ से लुप्त हो चूका था किसी को को कुछ समज नहीं आ रह था। शांतनु की आँखे खुलते ही माता पिता के चेहरे की मुस्कान लौट आयी थी।
माता पिता ने ही सबको बताया की उस व्यक्ति को ढूंढ़ने का प्रयास बंद कीजिये वह कोई आम मनुष्य नहीं था वह तो स्वयं श्री कृष्ण थे जिन्होंने हमारी प्रार्थना का स्वीकार करके हमारे पुत्र की प्राण रक्षा की है , इतना बड़ा चमत्कार देख व माता पिता की बात उपस्थित लोगो की आँख फटी की फटी रह गयी।
इस प्रकार श्री कृष्ण ने जन्माष्टमी के दिन ही अपने सच्चे भक्त की प्राण रक्षा की।