नमस्कार दर्शको आइये जानते है की किस प्रकार बजरंगबली ने अपने परम भक्त को मृत्यु के मुख में से बाहर निकला।
उत्तर प्रदेश भदोही नामक जिले में सेवकलाल नाम का अनन्य बजरंग बलि का भक्त रहा करता था , वह एक सरकारी विभाग में चपरासी की नौकरी किया करता था। सेवकलाल रोज सुबह दफ्तर जाने से पहले नियमबद्ध रूप से बजरंगबली के मंदिर जाया करता और साथ ही हर मंगलवार का व्रत भी किया करता था।
सेवकलाल कभी जाने अनजाने में भी किसी का साथ बुरा नहीं किया करता था और अपने सामर्थ अनुसार सभी की सहायता भी किया करता था।
सेवकलाल की आस्था के चर्चे पूरे दफ्तर में थे। सेवकलाल अपनी पत्नी व एक बेटे के साथ रहा करता था। जीवन की समस्याओं से कितना ही क्यों ना घिर जाये वह बिना चिंतित हुए बजरंगबली के सामने समर्पण कर दिया करता था।
श्रीमद भगवत गीता में श्री कृष्ण भी तो यही कहते है की जीवन की हर समस्या का हल समर्पण से ही प्रारम्भ होता है और समर्पण पर ही समाप्त। सेवकलाल इसी बात को ध्यान में रख पालन किया करता था । परन्तु सेवकलाल ने कभी सोचा भी ना था ऐसी परेशानी भविष्य में उसका इंतज़ार कर रही थी।
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सर्दियों का समय चल रहा था एक रात पूरे शहर की बिजली कट गयी , पूरा शहर अँधेरे की चादर से ढका हुआ था। सेवकलाल अपने परिवार के साथ छत पर बैठा हुआ था।
उसी समय पुलिस की एक गाडी सड़क से गुज़रते हुए सबको चेतावनी देती हुई निकली , कोई भी व्यक्ति घर से बाहर ना आये एक खतरनाक मुजरिम पुलिस को चकमा देकर शहर में घुस आया है। वह आपको हानि भी पंहुचा सकता है सभी से अनुरोध है की कृपया सतर्क और सावधान रहे।
यह सब सुनकर सभी के बीच डर का माहौल बना हुआ था , सेवकलाल तुरंत ही अपने परिवार को छत से नीचे ले गया और घर के सारे खिड़की दरवाजे बंद कर दिए।
फिर उसे ध्यान आया की वह ऊपर छत का दरवाजा बंद करना तो भूल गया है वह छत की ओर भागा परन्तु तब तक देर हो चुकी थी। पुलिस जिस मुजरिम की बात कर रही थी वह छत के द्वार से घर में घुस चूका था।
सेवकलाल ने उसे रोकने का प्रयास किया परन्तु उसके हाथ में बन्दूक देख सेवकलाल डर गया।
सेवकलाल ने मुजरिम से उसे और परिवार को छोड़ने की बहुत विनती की परन्तु उसने सेवकलाल की एक ना सुनी। सेवकलाल ने अपने बेटे और पत्नी को दूसरे कमरे में बंद कर दिया परन्तु वह स्वयं अभी भी मुजरिम की कैद में था।
को मार्ग ना मिलने पर सेवकलाल ने बजरंगबली को याद कर प्राण रक्षा की गुहार लगाई। तभी कुछ ही देर में पुलिस को विशेष सूत्र से खबर मिली की वह मुजरिम सेवकलाल के घर में छिपा हुआ तो पुलिस वहाँ आ पहुंची परन्तु घर का द्वार बंद होने के कारन पुलिस अंदर आने में असमर्थ थी।
मुजरिम ने पुलिस की आवाज सुनकर सेवकलाल के ऊपर बन्दूक तान दी और पुलिस को अंदर ना आने को कहा , सेवकलाल ने डरते हुए हनुमान जी को याद करना शुरू कर दिया तभी अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसे देख सभी की आँखे फटी रह गयी।
सेवकलाल के हनुमान जी को याद करते ही छत पर लगा पंखा उस मुजरिम के ऊपर गिर गया जिससे वह घायल हो गया और बन्दूक उसके हाथ से छूट गयी , पुलिस ने भी अंदर आकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
किसी को समज नहीं आय यह चमत्कार हुआ तो कैसे , तब सेवकलाल ने सभी को बताया की किस प्रकार उसने बजरंगबली को याद की और बजरं बलि ने उसकी प्राण रक्षा की।
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