यह घटना है उत्तराखंड के धुनर गांव की जहां ज्योति नाम की महिला अपने पति व परिवार के साथ रहा करती थी। शादी के कुछ समय पश्चात ही ज्योति गर्भवती हो गई, परंतु उसके सास-ससुर नहीं चाहते थे कि घर में किसी पुत्री का जन्म हो। उनकी इच्छा थी कि उनका सिर्फ पुत्र हो और पुत्र ही इस घर का वारिस बने।
देखते-देखते 9 महीनों का समय गुजर गया और जिस बात का डर था वही हुआ घर में एक पुत्री का जन्म हुआ जिससे सास-ससुर नाखुश थे। एक दिन सास ससुर ने एक योजना तैयार की , जब आज रात सब सो जायेंगे तब हम उस बच्ची को जान से मार देंगे। यह सब ज्योति ने सुन लिया। वह यह सब सुनकर चिंतित हो उठी, उसने जाकर सारी बात अपने पति मुकेश को बताई। जब उन दोनों को कोई और मार्ग नहीं दिखाई दिया तो उन्होंने निर्णय किया की हम इस बच्ची को माँ गंगा को सौंप देंगे वही अब इसकी रक्षा कर पाएंगी। फिर वह दोनों योजना अनुसार जल्दी सुबह ही उठकर उस बच्ची को गंगा के घाट ले गए।
एवं उस बच्ची को एक टोकरी में रखकर महादेव को याद कर गंगा में बहा दिया और कहा महादेव इसकी रक्षा बस आप ही कीजिए। टोकरी बहते हुए बीच नदी में जा पहुंची बहाव तेज होने के कारण बीच बीच में नदी का पानी टोकरी में आ रहा था , तभी वहाँ पर एक इच्छाधारी नागिन आ गयी और उसने अपने शरीर से टोकरी को खुद से लपेट लिया और टोकरी गंगा नदी में से किनारे की ओर ले जाते हुए ,उत्तराखंड के दूसरे गांव श्यामपुर जा पहुंच गई, जहां पर गंगा के घाट पर विमल और शीतल नाम के एक दंपत्ति माँ गंगा से प्रार्थना कर रहे थे। उन्हें काफी समय से संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी। तभी उन्होंने देखा कि एक टोकरी उनकी तरह बहती हुई आ रही है , जिससे एक नागिन लिपटी हुई है वह दोनों यह देख डर गए , की नागिन उन्हें कुछ हानि ना पंहुचा दे। तभी उन्हें उस टोकरी से एक बच्चे की रोने की आवाज आने लगी।
विमल और शीतल ने सोचा की यह नागिन बच्चे को कोई नुक्सान ना पंहुचा दे। इसलिए जैसे ही टोकरी किनारे की ओर आयी दोनों ने तुरंत टोकरी से बच्चे को उठा लिया , और वह इच्छाधारी नागिन भी किसी को बिना कोई हानि पहुचाये वहाँ से गायब हो गयी यह देख विमल और शीतल आश्चर्य में रह गए। उन्होंने बच्ची को गोद में लिया पर एक दूसरे से कहने लगे कि क्या उनके माता-पिता की क्या मजबूरी रही होगी। एक बच्ची को इस तरह से बहा दिया। और इतने तेज़ बहाव में भी इस बच्ची को कुछ ना हुआ और ना ही नागिन ने इस बच्ची को कोई नुक्सान पहुंचाया ये कैसे संभव है , इस पर शीतल ने उत्तर दिया की यह कोई साधारण नागिन नहीं थी यह शयद इच्छाधारी नागिन थी , और माँ गंगा की कृपा है जिससे हमें इस संतान की प्राप्ति हुई है। बेशक यह बच्ची हमारी नहीं है परन्तु हम इसकी परवरिश असली माता पिता की तरह ही करेंगे। विमल भी शीतल की बात से सहमत हो गया।
वे दोनों उस बच्ची को घर ले गए , उसका पालन-पोषण करने लगे दोनों उसका बहुत ख्याल रखते उसकी हर जरूरत को पूरा करते । धीरे-धीरे पर बच्ची बड़ी होने लगी। वह बच्ची पढ़ने में बहुत होशियार थी। कक्षा में हमेशा अव्वल आया करती l समय के साथ वह बच्ची बड़ी हुई और अच्छे अंको से अपनी पढाई पूर्ण करने के बाद मात्र 21 वर्ष की आयु में यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर आईएएस अफसर बन गई। वह अपने क्षेत्र में बहुत अच्छे से कार्य कर रही थी। उसे लोग जानने लगे थे। आस पास के ही नहीं पूरे शहर के लोग उसकी बड़ी इज़्ज़त किया करते थे।
ज्योति ने एक दिन उस बच्ची को टीवी पर आते देखा। वह उसके गाल पर जो तिल था, ज्योति उसे पहचान गई कि यह किसी और की नहीं है। मेरी बच्ची है अपने पति से उसका पता करवाया और श्यामपुर गांव पहुंची। उसने उस बच्ची को सारी हकीकत वह विमल और शीतल को सब कुछ बताया कि किस प्रकार उसने और उसके पति ने उस बच्ची को टोकरी में रखकर गंगा में बहा दिया था।
ज्योति की सारी बात सुनकर उस बच्ची को बहुत गुस्सा आया कि उसके मां-बाप उसे इस तरह कैसे छोड़ सकते हैं l ज्योति चाहती थी कि उसकी बेटी उसके साथ वापस आ जाए, परंतु उसने मना कर दिया। बच्ची विमल और शीतल को ही अपना माता पिता मान चुकी थी और वह उन्ही के साथ जीवा भर रहना चाहती थी। ज्योति और उसका पति निराश होकर घर को लौट गए।
घर पहुंचकर ज्योति ने अपने सास-ससुर को सारी बात बताई। सारी हकीकत जान कर उन्हें बहुत पछतावा हुआ। उस बच्ची को गंगा नदी में बहाने के बाद ज्योति व उसके पति को कभी भी दूसरी संतान की प्राप्ति नहीं हुई एवं इस प्रकार इच्छाधारी नागिन ने एक बच्ची की जान बचाई l