आज से कई वर्षो पहले की बात है , बिहार के एक गांव में हीरा नाम का व्यक्ति रहा करता था , जोकि महादेव के प्रति घनिष्ठ आस्था रखा करता था साथ ही एक लम्बे अरसे से उनकी पूजा पाठ किया करता था और प्रत्येक सोमवार का व्रत भी किया करता। उसे गरीब व असाहय लोगो की सहायता करना भी बड़ा पसंद था उसे जब भी उसे कोई जरूरतमंद व्यक्ति दिखाई देता तो वह उसकी मदद करने से कभी पीछे नहीं हटा करता था।
हीरा एक किराने की दुकान चलाया करता था , उसके सभी की मदद करने और भक्ति भाव वाले आचरण की वजह से आस पास के सभी लोग हीरा को सम्मान की दृष्टि से देखा करते थे। हीरा को भी किसी के प्रति ईर्ष्या , द्वेष की कोई भावना न थी। हीरा अपने माता पिता से बेहद ही प्रेम किया करता था , बचपन से ही हीरा ने अपनी माता पिता की कोई ऐसी बात न थी जो मानी न हो।
सब कुछ सुखमय रूप से व्यतीत हो रहा था , परन्तु हीरा के जीवन मैं जो संकट आने वाला था वह उससे अनजान था , और फिर जो हुआ उसे देख सभी के होश उड़ गए ,परन्तु आगे बढ़ने से पहले आगे बढ़ने से पहले यदि आप हमारे चैनल पर नए है तो चैनल को सब्सक्राइब अवश्य कर दे और साथ ही नीचे दिए गए घंटी के बटन को दबाना ना भूले।
एक दिन सूर्योदय के समय हीरा के पिता छत से सूर्य देव को जल चढ़ा कर नीचे आ रहे थे , तभी उनका पैर सीढ़ियों से फिसल गया और उनके सर मैं घंभीर चोट आयी बहुत तेज खून नहीं बहने लगा , या देख हीरा उनके पास पंहुचा और उन्हें उठा कर जल्द से जल्द अस्पताल लेकर गया।
अस्पताल में उन्हें भर्ती किया गया , डॉक्टरों के एक समूह ने तुरंत ही उनके इलाज़ की प्रक्रिया शुरू कर दी। बाहर हीरा चिंता में पागल हो रहा था , वह बस महादेव से प्रार्थना करता रहा की कैसे भी उसके पिता जी स्वस्थ हो जाए।
तभी कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आये और हीरा को बुला कर कहने लगे की आपके पिता जी का काफी खून बह चुका है जल्द से जल्द आपको इनसे मिलने वाले खून का प्रबंध करना पड़ेगा , अन्यथा बड़ी समस्या आ सकती है।
हीरा तुरंत अस्पताल से निकल कर खून का प्रबंध करने में लग गया सुबह से शाम हो गयी परन्तु खून का इंतज़ाम नहीं हुआ। जब उसे कोई मार्ग नहीं दिखा तो वह पास ही के महादेव के मंदिर में पहुँच कर महादेव से प्रार्थना करने में लग गया उसने महादेव के ही सामने प्रतिज्ञा ली की जा तक उसके पिता पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं हो जाते तब तक वह मंदिर में ही बैठ बिना कुछ खाये पिए तप करेगा।
पूरी रात गुज़र गयी परन्तु हीरा अपने स्थान से नहीं हिला , समय और आगे बढ़ता रहा परन्तु हीरा ने हिलने का नाम नहीं लिया। तभी वह एक बूढा व्यक्ति वहाँ आया और हीरा से पूछने लगा , क्या अभी तुम्हारे पिता जी ठीक नहीं हुए , हीरा आस्चर्य में था की यह कोण है और इसे मेरे पिता जी के बारे में कैसे पता।
हीरा ने उत्तर दिया नहीं , तब उस वृद्ध व्यक्ति ने एक भभूत की पुड़िया हीरा को देकर कहा इसे अपने पिता जी के मस्तिष्क पर लगा देना वह जल्द ही स्वस्थ हो जायेंगे ,इतना कह कर वह वृद्ध व्यक्ति वहाँ से चला गया।
हीरा भाग कर तुरंत ही अस्पताल गया और और वृद्ध व्यक्ति के कहे अनुसार वह भभूत अपने पिता के मस्तिष्क पर लगा दी , और कक्ष से बहार आकर महादेव से प्रार्थना करने लगा। कुछ देर बाद डॉक्टर ने हीरा के पिता की जाँच की तो पता चला की उनके सर में लगी चोट अंदरूनी रूप से बिलकुल ठीक हो चुकी है , डॉक्टर यह देख पूर्ण रूप से आश्चर्य में था उसे समज नहीं आ रहा था की यह चमत्कार हुआ तो कैसे , डॉक्टर ने बहार आकर साड़ी बात हीरा को बतायी हीरा की ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा।
जब डॉक्टर ने पूछा की यह चमत्कार कैसे हुआ तो हीरा ने उत्तर दिया यह कुछ और नहीं महादेव का किया छंटाकर है जिसके कारन मेरे पिता जी आज स्वस्थ हुए है।
इसके बाद हीरा ने महादेव को धन्यवाद अर्पित किया और उस दिन से हीरा की आस्था महादेव के प्रति और प्रबल हो गयी।