हाल ही बीते कुछ महीनो पहले हरिद्वार मैं कुम्भ का मेला लगा था , जहां बड़े बड़े साधुओं के अखाड़े लगे थे। हरिद्वार मैं ४ शाही स्नान व ९ गंगा स्नान का आयोजन किया गया था। डोर दूर से श्रद्धालु गंगा स्नान करने आये थे , चारों ओर भक्ति भाव फैला हुआ था। ऐसे ही एक महादेव के असीम भक्त महेश भी अपनी पत्नी व बच्चो के साथ हरिद्वार पहुंचे। महेश सदा से ही महदेव का असीम भक्त था , प्रतिन शिव मंदिर जाकर पूजा करना और हर सोमवार उपवास रखना महेश का नियम था वह सदैव ही अपने बच्चो को भी शिव जी के चमत्कारों के बारे मैं बताता और उसको भी अपने साथ मंदिर भी ले जाया करता था। महादेव की कृपा महेश पर बनी रहती उसे कभी किसी पटाकर की तकलीफ नहीं हुआ करती थी। महेश के एक दोस्त ने महेश से खा की तुम कुम्भ मं जा तुमको शायद शिव जी के दर्शन हो जाये इसी कारन वह अपने परिवार के साथ हरिद्वार आया था। रात मैं वहां पांच कर महेश अपने परिवार के साथ वह के एक बड़े साधु के अखाड़े में रुका , जब उसकी मुलाकात उस साधु महाराज से हुई तब उसने अपनी दिल की बात उन्हें बताई की किस प्रकार वह कई सालों से शिव जी की भक्ति कर रहा है और उस पर शिव जी की कृपा बनी हुई है और अब बस उसकी एक मात्र इच्छा ही महादेव के दर्शन की , इस पर साधु बोले की तुम दिल के साफ़ हो तुम्हे महादेव जरूर मिलेंगे बस तम जब कल शाही स्नान करो तब अपने मन को साफ़ रख महादेव को याद करना। साधु जी बात सुन कर महेश अपने कमरे मैं चला गया और सारी रात उत्साह के कारन सो ही नहीं पाया की कल मुझे मेरे महादेव के दर्शन हो जायँगे। अगली सुबह ५ बजे वह गंगा घाट पर पहुंच गया और गंगा मैं उतर गया वह सच्चे मन से महादेव को याद करने लगा उसने पहेली डुबकी लगाई परन्तु कोई नहीं दिखा फिर उसने दूसरी डुबकी लगाई फिर भी कोई नहीं दिखा , परन्तु उसने आस्था नहीं छोड़ी और वह तीसरी डुबकी लगाने को पानी के अंदर गया तभी उसे महादेव की छवि दिखाई दी जिनके गले मैं नाग देव थे एक हाथ त्रिशूल दूजे हाथ डमरू शरीर पर बाघम्बर लपेटा हुआ है , महेश एक तक उन्हें देखता रहे गया , परन्तु वह ज्यादा देर पानी के अंदर नहीं रह पाया वह बाहर आ गया और फिर से डुबकी लगा क्र महदेव को देखने लगा परन्तु उसे कोई दिखाई नहा दिया। उसने वापस जा कर साड़ी बात अपने परिवारजनों को बताया पर कोई उसकी बात नहीं मान रहा था , तब महेश वापस नहीं साधू के पास गया र कहने लगा देखिये न कोई मेरी बात पर विश्वास नहीं कर रहा पर मैंने सच मैं महा देव को देखा है , इस पर साधू जी ने कहा की जो सच्चे मन से महादेव की उपासना करते है उन्हें ही उनके दर्शन होते है। इस प्रकार महादेव ने अपने सच्चे भक्त को दर्शन दिए।