उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में नवीन नाम का अनन्य महादेव का भक्त रह करता था , नवीन के पिता जी भारतीय सेना में एक उच्च पद पर नौकरी किया करते थे , नवीन भी अपने पिता की तरह भारतीय थल सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहता था। इसीलिए नवीन ने बचपन से ही खुद को सेना के लिए तैयार करना शुरू कर दिया था। साथ ही नवीन बचपन से ही महादेव का अनन्य भक्त था।
नवीन के दिन क शुरुवात ही महादेव के मंदिर में पूजा करने से होती थी इसके साथ ही वह प्रत्येक सोमवार का व्रत किया करता था , नवीन सही मायने में एक अच्छा विद्यार्थी व व्यक्ति था। अपनी । पढाई पूरी करने के बाद नवीन ने सेना भर्ती की परीक्षा दी जोकि उसने महादेव की कृपा से अच्छे अंको के साथ उतरीं भी की। जिसके बाद नवीन को सेना में प्रशिक्षण के लिए भेज दिया गया।
नवीन ने पूरी महेनत व लगन के साथ प्रशिक्षण लिया और बाद में उसकी तैनाती राजस्थान के बाड़मेर में भारत पाकिस्तान की सीमा पर की गयी। नवीन अपने दिए कार्यो को बड़ी कुशलता के साथ पूर्ण किया करता था जिसके कारण वह जल्द ही अपने वरिष्ठ अधिकारियो का प्रिय बन गया।
एक दिन जब रात के समय नवीन अपने इलाके की गश्त पर निकला हुआ था उसने देखा की सीमा के उस पार से कुछ उग्रवादी हथियारों के साथ हमारे देश की सीमा में घुस आये है , नवीन अकेला होने के कारण उनसे लड़ नहीं सकता था इसीलिए वह चुप चाप छिपकर उनका पीछा करने लग गया। जिससे वह सभी किस ओर जा रहे ये पता लगा सके और उनकी रणनीति क्या है यह जान सके।
उग्रवादी जहाँ जहाँ जा रहे थे नवीन भी छुपकर उनका पीछा करता रहा , काफी देर बाद वह सभी एक छोटी से घास की झोपडी में घुस गए वहाँ भी नवीन बहार खड़े उनकी बातें सुनता रहा , जब उसे आभास हुआ की वह सभी बाहर आ रहे है तब वह चुप गया और उनके आगे बढ़ते ही उनका पीछा फिर से करने लग गया।
कुछ समय बाद उन सभी उग्रवादी को अंदेशा हो गया की कोई उनका पीछा कर रहा है , तो सभी एक साथ चौक्न्ने हो गए। सभी मिलकर इधर उधर नवीन को ढूंढ़ने लगे और नवीन एक पेड़ के पीछे छुप गया , तभी दो उग्रवादी उसी पेड़ के पास आने लगे जहाँ नवीन छुपा हुआ था।
नवीन थोड़ा डर गया और महादेव को याद करते हुए बोलै की यदि इन्होने मुझे देख लिया तो अवश्य ही यह मुझे मार देंगे परन्तु उस समय कुछ ऐसा हुआ जिसके कारण सभी आश्चर्य में पड़ गए।
उस समय नवीन का पैर फिसल गया और वह नीचे की और एक गड्डे में जा गिरा जिसके कारण उसे वह उग्रवादी देख नहीं पाए , जिसके बाद नवीन ने गड्डे से बाहर झांक कर देखा तो उसे अपने साथ के दो सैनिक दिखाई दिए उसने इशारो से उन्हें बुलाया।
फिर सभी ने नवीन और उसके साथियों ने उन सभी उग्रवादियों पर हमला कर उन सबको पकड़ लिया।
नवीन ने बाद में सभी को में बताया की किस प्रकार महादेव को यद् करते ही उसका पैर फिसल गया और वह गड्डे में जा गिरा जिसके कारण की उग्रवादी उसे ढूंढ नहीं पाया , सभी ने अगले दिन उस गड्डे को ढूंढ़ने का प्रयास किया परन्तु वहाँ कोई गड्डा नहीं था सबको यकीन हो गया महादेव ने ही नवीन की प्राण रक्षा की है।