देश के स्वतंत्रता का दिन आ चुका है , इस दिन के लिए कितने ही वीरो ने अपने प्राणो की आहुति दी और आज भी स्वतंत्रता के इतने वर्षो के बाद भी हमारे देश के कितने ही वीर सैनिक और फौजी भाई अपनी जान को संकट में डाल विभिन्न विभिन्न सीमाओं पर हमारी और भारत माँ की रक्षा के लिए तैनात है। यह घटना ऐसे ही वीर सैनिक की है जिसकेसाथ कुछ ऐसी घटना हुई जिसे देख और जान सभी हैरान रह गए।
राजस्थान के पुष्कर शहर में सोमेश नाम का अनन्य हनुमान जी भक्त रहा करता था , वह हनुमान जी की पूजा आरधना बड़े आस्था भाव से किया करता था साथ ही मंगलवार का उपवास भी किया करता था। सोमेश ने निश्चय किया था की उसे किसी भी हाल में फ़ौज में होकर भारत माता की सेवा में अपना जीवन समर्पित करना है।
सोमेश ने अपने कई वर्षों तक कठिन परिश्रम किया जिसके बाद वह अपना फौजी बनने का सपना पूर्ण कर पाया , सोमेश की नियुक्ति पहले तो फ़ौज में मात्र सैनिक पद के लिए की थी परन्तु उसके अच्छे व्यवहार और काम के प्रति लगन को देख फौज के बड़े अफसरों से ऊँचा पद भी जल्दी मिल गया।
पदोनत्ति के बाद सोमेश का तबादला बारमेर सीमा से किन्नौर इलाके में कर दिया गया , परन्तु किन्नौर पहुँच कर भी सोमेश के उत्साह में कोई कमी न आई थी। दिन रात पूरी तैनात रह कर अपना कार्य पूरा किया करता , सोमेश ने किन्नौर में कई उग्रवादियों को पकड़ा और कई आतंकवादियों से वहाँ के लोगो की रक्षा की थी। किन्नौर के सामान्य निवासियों के बीच सोमेश नायक बन चुका था , वह सबकी मदद किया करता। सोमेश की कार्य कुशलता एवं उदार हर्दय के कारण सभी उसे सम्मान की दृष्टि से देखा करते थे।
किन्नौर के इलाके में सोमेश के आने के बाद आतंकी गतिविधियों पर विराम लग चुका था , उग्रवादियों का अंत हो चुका था , चारो ओर खुशहाली छायी हुई थी एवं सब सुखद व्यतीत हो रहा था। परन्तु समय चक्र सदैव एक जैसा नहीं रहता फिर कुछ ऐसा हुआ जिसे देख किन्नौर के सभी लोह सदमे में पड़ गए।
रात का समय था , चारो ओर अँधेरे में कोहरे की चादर बिछी हुई थी उस समय सोमेश इलाके की गश्त पर अपनी गाडी से निकला।
अमूमन सोमेश अपने साथ किसी साथी को लेकर जाया करता था परन्तु किसी निजी कारन से आज वह अकेला ही निकला था। सोमेश जब भी इस प्रकार अकेला गश्त पर जाता तब वह पूरे समय हनुमान चालीसा का पाठ किया करता था। आज भी उसी प्रकार गश्त लगाते हुए वह हनुमान चालीसा का पाठ करते करते निश्चिंत होकर आगे बढ़ रह था। परन्तु वह इस बात से अनजान था की आगे कितना बड़ा खतरा सोमेश का इंतज़ार कर रहा है।
सोमेश जब गाडी चला रहा था उस समय एक मामूली सा भूकंप का झटका आया परन्तु गाड़ी चलते हुए सोमेश ने उसपर ज्यादा गौर नहीं किया , ओर आगे बढ़ता गया। थोड़ा आगे चलते हुए सोमेश की गाडी के आगे कई भेड़ बकरियों का झुंड आ गया ओर गाडी के सामने आकर खड़ा हो गया जैसे की वह सभी मिलकर सोमेश को आगे जाने से रोक रहे हो सोमेश को समज नहीं आया की इतनी रात में ये झुण्ड यहाँ क्या कर रहा है , सोमेश को कुछ अजीब तो लगा पर फिर भी उसने उन सभी भेड़ बकरियों किनारे हटा दिया ओर आगे बढ़ने लगा।
आगे बढ़ते हुए कुछ समय हुआ था इतने में भयंकर लैंडस्लाइड हुई जिसके कारण पूरी सड़क सोमेश की गाडी सहित नीचे खाई में गिर गयी। सोमेश ने गाडी को रोकने का बहुत प्रयास किया परन्तु गाडी रुकने का नाम नहीं ले रही थी सोमेश ने तो गाडी से कूदने का भी प्रयास किया परन्तु यह योजा भी विफल रही।
सोमेश ने चिल्ला चिल्ला कर मदद मांगी परन्तु वहाँ दूर दूर तक कोई न था। आखिर में मृत्यु को सामने देख सोमेश ने बजरंगबली को याद किया ओर उन्ही से प्राण रक्षा की गुहार लगाई तभी कुछ ऐसा हुआ जिसे देख सोमेश को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ।
अचानक से गाडी नीचे गिरते हुए एक पत्थर से जा टकराई , जिसके कारण गाडी रुक गयी , जैसे ही गाड़ी रुकी तब सोमेश की जान में जान आयी। सोमेश तुरंत गाडी से नीचे उतरा ओर उसकी नज़र उस पत्थर पर पड़ी जिससे गाडी टकराई थी। स्मेश ने पत्थर को ध्यान से देखा तो प्रतीत हुआ की या कोई साधारण पत्थर नहीं है इसका आकर पूर्ण रूप से हनुमान जी की प्रतिमा की तरह है।
सोमेश को साड़ी बात समज आ गयी की जो भेड़ बकरियां आयी थी वह सभी मुझे आने वाले खतरे से सचेत करने आयी थी ओर जब मेरे प्राण संकट में आये तब स्वयं बजरंगबली ने मेरी रक्षा की है। ।
सोमेश ने हनुमान जी रुपी पत्थर को वहाँ के पेड़ के नीचे स्तापित कर दिया ओर उन्हें धन्यवाद कर वापस अपने साथियो के पास निकल गया।
अगले दिन साड़ी बात किन्नौर में यह बात आग की तरह फ़ैल गयी ,सभी लोग हैरानी में पड़ गए और कुछ लोग तो उस प्रतिमा के दर्शन करने भी गए।
इस प्रकार हनुमान जी ने अपने भक्त के संकट मई पड़े प्राणो की रक्षा की।