हेलो दोस्तों आपका हमारे यूट्यूब चैनल में स्वागत है। आज एक ऐसी ही सच्ची घटना का जिक्र इस वीडियो में करेगें। जिसको देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगें।
कहते हैं कि, मानो तो सबकुछ है ना मानो तो कुछ भी नहीं है। इसका मतलब है कि, यदि मानो तो भगवान हमारे आस-पास है नहीं मानो तो वो कही भी नहीं है। ऐसी ही एक कहानी हमारे साथ शुभम राजपूत ने साझा की है। दरअसल, शुभम बचपन से ही महादेव का परम भक्त है। शुभम ने बताया कि, बचपन में वह हिमाचल के एक छोटे से गांव में रहता था। वहां पर एक महादेव का एक रहस्यमय मंदिर है जिसमें सिर्फ शुभम ही जा सकता है। यह सुनने में आपको जरूर अटपटा लग रहा होगा, लेकिन यह सच है कि, वहां पर सिर्फ शुभम ही महादेव और पार्वती के दर्शन कर सकता है। महादेव का यह मंदिर पहाड़ों में काफी फीट ऊपर जाकर स्थित है। कोई भी साधारण इंसान इस मंदिर के दर्शन नहीं कर सकता। शुभम ने बताया कि, मेरी मां का देहांत बचपन में ही हो गया था। मैं उनको बहुत याद करता था। उस समय मेरी उम्र महज 13 साल की थी। मुझे मेरी मां इतनी याद आती थी कि, उनको सोचकर मैं अकेले पहाड़ों पर जाकर रोने लगता था।
एक बार मेरी सौतली मां ने मेरी गलती पर मेरा हाथ जलती लकड़ी से जला दिया और मुझसे कहा कि तू यहां से चला जा तेरी वजह से हमारे घर में क्लेश रहता है। उस समय हाथों में जितना दर्द हो रहा था उतना ही दिल दुखी था। ऐसे में रोते-रोते में पहाड़ों की तरफ जाने लगा और कब मैं पहाड़ों की ऊंचाई पर पहुंच गया मुझे पता नहीं चला। थोड़ी दूर और आगे चलने पर मैंने देखा कि, एक गुफा के अंदर से आवाज़ आ रही है जैसे ही मैं उस गुफा में गया तो मैंने देखा पार्वती और महादेव जैसे कपड़े पहनकर कोई आपस में लड़ रहा है। जैसे ही मैं उनके पास गया तो पार्वती बनी महिला ने मुझे गले लगा लिया। फिर मैं उनके गले लगकर बहुत बुरी तरह से रोने लगा, क्योंकि उस दिन मुझे मेरी मां की कमी खल रही थी। इसके बाद जैसे ही मैंने उनसे पूछा कि, आप लोग कौन हो तो उन्होंने कहा कि, मैं मां पार्वती हूं और ये महादेव है।
यह सुनकर मुझे यकीन नहीं हुआ मैंने पूछा कि, क्या आप सच में भगवान हो। उन्होंने कहा हां मैं हम सच में भगवान है। यह सुनकर यकीन तो हो नहीं रहा था, लेकिन उन्होंने जब मेरे बारे में सबकुछ बताया तो मुझे यकीन हो गया कि, वाकई में यह भगवान है। इसके बाद जब मैंने उनसे मेरी मां लौटाने की इच्छा रखी तो उन्होंने कहा कि, पुत्र तुम्हें तुम्हारी असली मां हम नहीं लौटा सकते, लेकिन हां तुम्हारी सौतली मां को असली मां बना सकते है। तुम जब घर जाओगे तो वह तुम्हारे साथ असली मां जैसा व्यवहार करेगी। इसके बाद महादेव ने कहा कि, पुत्र बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है, तुमने हमें स्वयं रूप में देखा है। आजतक भी किसी ने हमें इस रूप में नहीं देखा। तब शुभम ने बोला कि, महादेव ऐसा वरदान दे दो मैैं दुखी लोगों की पीड़ा हर सकूं। उनको सही मार्गदर्शन दे सकूं और लोगों की सेवा कर सूकं। तब महादेव ने शुभम को एक रूदाक्ष दिया और कहा कि, बेटा निस्वार्थ से तुम यदि लोग कल्याण करना चाहते हो तो मैं तुम्हारे साथ हूं। आज से यह रूद्राक्ष तुम्हारे हमेशा काम आएगा। यह कहकर महादेव ने कहा कि, तुम्हारा नाम शुभम नहीं आज से रूद्रा है। तुम्हें लोग रुद्रा के नाम से जानेगें। यह कहकर उन्होंने मुझे वहां से जाने को कहा।
उस समय में मैं बच्चा ही था ज्यादा समझ नहीं होने की वजह से बिना कुछ कहे मैं वहां से चला गया। इसके बाद जैसे ही गुफा से निकला तो फिर से झगड़ा करने की आवाज़ें आने लगी मैंने जैसी पीछा मुड़कर देखा तो वहां पर कोई नहीं था। धीरे-धीरे मेरी आंखों के सामने वो गुफा लुप्त होने लगी। यह देखकर मेरी रूह कांप गई और डरते-डरते मैं पहाड़ों से नीचा आया और घर जाकर सारी बातें बताई, लेकिन किसी ने भी मेरा यकीन नहीं किया, लेकिन जैसा महादेव ने कहा था। वैसा ही मेरे साथ होना शुरु हो गया। मेरी मां का व्यवहार मेरे लिए बिल्कुल बदल गया और कुछ सालों बाद में संयासी बन गया लोग मुझे रूद्रा बाबा के नाम से जाने लगे। मेरे पास कोई भी अपनी समस्या को लेकर आता है तो मैं उसका समाधान जरूर करता हूं। कोई भी भक्त मेरे पास से खाली हाथ नहीं जाता। आज मैं पहाड़ों पर वास करता हूं और फिर से उस गुफा के दिखने का इंतजार कर रहा हूं। अब महादेव मुझे कब दर्शन देंगे यह इंतजार मुझे रहता है। दोस्तों यदि आपको हमारी यह कहानी पसंद आई हो तो कमेंट बॉक्स में हर-हर महादेव लिखें।