गरुड, इनका नाम तो आप सभी ने सुना तो जरूर ही होगा, यह पौराणिक कथाओं में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और उदाहरणीय चरित्र है। वह साथ ही दिव्य पक्षियों के राजा गरुड़, वाहन और भक्त भी हैं, और उनका संबंध भगवान विष्णु के साथ है। भगवान विष्णु के वहान के नाम से जाने वाले गरुड के चरित्र में उनकी शक्ति, चरित्र, और धार्मिक संस्कार से भरी कहानियाँ हमें धार्मिक नियमों और जीवन के महत्व के साथ मिलेंगी। Garud ne ke Mrityu talane kee koshish
गरुड को हिन्दू धर्म के साथ साथ बौद्ध धर्म मे भी काफी महत्वपूर्ण पक्षी का दर्जा दिया गया हैं, बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गरुड को अच्छे पंख वाला कहा गया हैं।
लेकिन एक समय ऐसा था की जब गरुड को लगता था की, मृत्यु को टाला जा सकता हैं या किसी की होने वाली मृत्यु को स्थान बदल कर मृत्यु से बचाया जा सकता हैं। आज के इस लेखन मे हम एक ऐसी आँख खोल देने वाली कहानी आपको सुनाएंगे जीसे सुनने के बाद आप भी कहेंगे, “यह तो सत्य हैं की, मृत्यु को टाला नहीं जा सकता”
लेकिन सवाल ये आता हैं की आखिर मृत्यु हैं क्या? साफ शब्दों मे किसी भी जीवात्मा अर्थात प्राणी के जीवन के अन्त को मृत्यु कहते हैं। वैसे तो मृत्यु के 101 स्वरूप हैं, लेकिन मुख्य 8 प्रकार की होती है। जिसमे बुढ़ापा, रोग, दुर्घटना, अकस्मती आघात, शोक, चिंता, और लालच मृत्यु के मुख्य रूप है।
तो चलिए अब शुरू करते हैं आज की कहानी को;
एक समय की बात हैं, जब भगवान विष्णु को भगवान शिव से किसी विषय मे बहुत जरूरी बात करनी थी, तब भगवान विष्णु अपने वाहन गरुड के साथ कैलाश पर्वत पहुचे। और गरुड को द्वार पर छोड़ खुद भगवान शिव से मिलने अंदर चले गए।
गरुड द्वार पर खड़े कैलाश पर्वत की सुंदरता को देख मंत्रमुग्ध हो गए। इस अनोखे स्थल की आध्यात्मिक ऊँचाइयों में गरुड को कैलाश पर्वत की प्राकृतिक सौंदर्य ने मन को मोहित कर दिया, गरुड इस सुंदर और शानदार पर्वत को देख ही रहे थे, तभी उन्हे वहाँ एक छोटी और प्यारी सी चिड़िया दिखी। गरुड उस छोटी सी चिड़िया को देख ही रहे थे।
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तभी वहाँ मृत्यु के सम्राट यमराज कैलाश पर्वत पहुचे, और वह उस छोटी सी चिड़िया को आश्चर्य दृष्टि से देखने लगे। वहाँ खड़े गरुड ने जब यमराज को उस छोटी सी चिड़िया को आश्चर्य भरी दृष्टि से देखते हुए देखा, तब गरुड को समझ आ गया, की अब इस प्यारी सी चिड़िया की मृत्यु निकट हैं और यमराज उसे अपने साथ यमलोक ले जाएंगे।
ऐसे मे गरुड पक्षियों के राजा थे, उन्हे बहुत दया आई क्यूंकी वह उस प्यारी सी चिड़िया को मरता नहीं देख सकते थे, ऐसे मे गरुड ने फैसला किया की वह उस प्यारी सी चिड़िया की जान बचाएंगे। तब गरुड ने अपने पंजों से उस छोटी सी चिड़िया को पकड़ा और यमराज की नज़रों से हजारों मिल दूर एक गनहे जंगलों मे छोड़ दिया।
चिड़िया को छोड़ने के बाद, गरुड कैलाश पर्वत पहुच गए, उनके मन मे शांति थी की अब उस प्यारी सी चिड़िया की जान बच गई हैं। यह जानते हुए भी की उस छोटी सी चिड़िया की आत्मा को यमराज अपने साथ यमलोक ले जाएंगे फिर भी गरुड ने यमराज से पूछा की आप उस छोटी सी चिड़िया को आश्चर्य दृष्टि से क्यूँ देख रहे थे?… तब यमराज हसे और गरुड से कहा की “इस जगत मे हर जीव की मृत्यु निश्चित हैं लेकिन मृत्यु के साथ साथ उस जीव का मृत्यु का स्थान भी निश्चित होता हैं, अर्थात: जिस चिड़िया को तुम अपने पंजों मे दबाए यहाँ से हजारों मिल दूर लेकर गए हो, उस चिड़िया की मृत्यु कुछ पल बाद ही उन्ही जंगलों मे एक नाग के द्वारा खा लेने से हो जाएगी। और अब वह चिड़िया यहाँ से हज़ारो मिल दूर उसी जंगल मे हैं, निश्चित हैं की अब तक उस चिड़िया को उस नाग ने निगल लिया होगा ।
इसी कारण से मैं उस चिड़िया को आश्चर्य भरी नज़रों से देख रहा था और मन ही मन यही सोच रहा था की, आखिर यह चिड़िया कुछ ही पालो मे हजारों मिल दूर उन गहने जंगलो मे कैसे पहुचेगी, लेकिन इस असंभव काम को तुमने संभव कर दिया”
तब गरुड को समझ आया की मृत्यु को कभी टाला नहीं जा सकता, जिस जीव ने जन्म लिया हैं उसकी मृत्यु होनी निश्चित हैं।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मृत्यु जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है, जिसे हम टाल नहीं सकते। गरुड की भ्रांति ने हमें यह सिखाया कि हमें अपने अनुभवों से सीखना चाहिए और यह समझना चाहिए कि जीवन का हर पल कैसा हो सकता है। चलिए, हम सभी मिलकर इस जीवन के अद्वितीय सफर का आनंद लें और सीखें कि हर कहानी में कुछ सीख है, जो हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।
मृत्यु से पहले यमराज क्या संकेत देते हैं? | Mrityu se pahle yamraj kya sanket dete hain?
बालों का सफेद होने लगना, दांतों का टूट जाना, आंखों की रोशनी का कमजोर होना और शरीर के अंगों का सही से काम न करना भी मौत से पहले के संकेत हो सकते हैं।
मरने के बाद कितने दिन बाद जन्म मिलता है? | Marane ke baad kitne din baad janam milta hai?
क्या मृत्यु का समय टल सकता है | Kya Mrityu ka samay tal sakata hai
जीवन का सबसे बड़ा सत्य है मृत्यु, जिसे कोई टाल नहीं सकता. जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है. हर व्यक्ति की मृत्यु का समय तय होता है.