हिमाचल प्रदेश के पंचवक्त्र महादेव मंदिर के बाद,अब गुजरात का ये शिव मंदिर भी आया बाढ़ की चपेट में और मंदिर पूरा शिखर तक डूबा नज़र आया। मंदिर के गर्भगृह से लेकर शिखर तक सब जलमग्न हो गया और चारों ओर सब कुछ पानी पानी हो गया। पूर्णा नदी की बाढ़ में,डूबा हुआ वह प्राचीन शिव मंदिर बड़ा हीं रौद्र लग रहा था। गुजरात के दक्षिण गुजरात में पिछले चौबीस( Tarkeshwar Temple) घंटों से मूसलाधार बारिश हो रही है। वहीं, नवसारी शहर में पिछले 24 घंटों के दौरान 11 इंच बारिश से,बाढ़ के हालात बन गए हैं। कावेरी और पूर्णा नदी के उफान पर आ जाने से शहर के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। इसके चलते स्कूल-कॉलेज में आज की छुट्टी घोषित कर दी गई है।
कहा मौजूद है ये मंदिर
पूर्णा नदी के किनारे,महादेव का एक अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर मौजूद है…जिसे तारकेश्वर महादेव मंदिर (Tarkeshwar Temple)के नाम से भी जाना जाता है। बीते दिनों पूर्णा नदी में आए उस भयंकर बाढ़ ने,तारकेश्वर मंदिर को पूरी तरह डूबा दिया और मंदिर का शिखर तक डूबा नज़र आया। आपको बता दें,लगातार तेज बारिश से पूर्णा नदी के खतरे के निशान को पार गई है। इसके चलते सूरत-मुंबई हाइवे पर भी पानी भर गया है। इससे हाईवे पर दोनों ओर से लंबा जाम लग गया है। जिला प्रशासन ने अनुमान व्यक्त किया है कि,नवसारी की अन्य स्थानीय नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी होने से हालात और बिगड़ सकते हैं। पूर्णा नदी के साथ कावेरी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है।
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हिमाचल में बाढ़ से कोहराम
दोस्तों इन दिनों हिमाचल प्रदेश में भी भारी बारिश और बाढ़ से जलप्रलय जैसा मंजर है। मंडी जिले का ऐतिहासिक पंचवक्त्र महादेव मंदिर भी इस सैलाब के आगोश में दिखा। ब्यास नदी और सुकेती खड्ड के किनारे बने इस मंदिर की तस्वीरों ने केदारनाथ की याद दिला दी। जिसका मुख्य कारण है यह है कि,यह मंदिर केदारनाथ जैसा दिखता है। दस साल पहले( Tarkeshwar Temple)जब मंदाकिनी ने रौद्र रूप धारण किया था, तब केदारनाथ मंदिर और नदी की धारा के बीच एक शिला आ गई थी और मंदिर सुरक्षित बच गया था। अब हिमाचल में सैलाब से मचे हाहाकार के बीच एक बार फिर चमत्कार हुआ है। जहां एक ओर पुल, पहाड़ और बड़े-बड़े मकान धराशाई हो गए। वहीं पंचवक्त्र मंदिर पर कोई असर नहीं पड़ा।
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क्या हुआ था जब पंचवक्त मंदिर आया था बाढ़ की चपेट में
मंडी का प्रसिद्ध ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर, 300 साल से ज्यादा पुराना है। इसे तत्कालीन राजा सिद्ध सेन ने,साल 1684 से 1727 के बीच बनवाया था। शिव की नगरी मंडी में निर्मित प्राचीन मंदिर एक समृद्धशाली इतिहास का साक्षी रहा है। इस मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिव की प्रतिमा के कारण इसे,पंचवक्त्र नाम दिया गया है। जोकि गुमनाम मूर्तिकार की कला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर के निर्माण में पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।आपको बता दें,नवसारी शहर में पूर्णा नदी के समीप स्थित…तारकेश्वर मंदिर( Tarkeshwar Temple)को भी बड़ा प्राचीन मंदिर माना जाता है। महादेव का यह अत्यंत प्राचीन मंदिर,सदियों से स्थानीय आस्था का केंद्र रहा है। लेकिन इन दिनों भारत के शिव मंदिरों के साथ,कुछ अच्छा नहीं हो रहा और इस साल का ये दूसरा शिव मंदिर डूबा दिखा।