श्री कृष्ण (Shri krishna) ने राधा से क्यूँ नहीं किया विवाह ?
हिंदू धर्म ग्रंथों में श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम के कई प्रसंग मिलते हैं श्रीकृष्ण बिन राधा के अधूरे माने जाते हैं, इसलिए जब भी श्रीकृष्ण (shrii krishna) का नाम आता है तो सबसे पहले राधा नाम पुकारा जाता है ।
सच तो ये है कि हम राधा कृष्णा(Radha krishna) कहे या कृष्णा राधा कहे । बात तो एक ही है , क्यूँ की श्रीकृष्ण (shrii krishna), विष्णु जी का अवतार है और राधा जी उनकी शक्ति माँ लक्ष्मी का अवतार है।
यह बात पूरे संसार को पता है कि बरसाने कि रानी राधा भगवान श्री कृष्ण से प्रेम करती थी और भगवान कृष्ण भी राधा रानी से बेहद प्रेम करते थे । इनकी अलौकिक प्रेमकथा को कौन नहीं जानता होगा? यहाँ तक कि कुछ पुराणों में तो उनके विवाह का भी जिक्र है, कहा जाता है श्री कृष्ण और राधा रानी का विवाह ब्रह्मा ने स्वप्न्लीला में करवाया था ।
Krishna Silver Pendants पर स्पेशल ऑफर
लेकिन प्रेम से हटकर जब श्री कृष्ण(shri krishna) की धर्म पत्नी का जिक्र होता है तब सिर्फ एक ही नाम आता है जो है रुक्मणि जी का । हम सभी के मन्न में ये सवाल हमेशा से है की जब श्री कृष्ण और राधा रानी एक दूसरे से इतना प्रेम करते थे तो क्यूँ श्री कृष्ण ने उनसे विवाह नहीं किया ? इस सवाल का जवाब देंगे हम आज आपको इस लेखन में ।
भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर कई जन्म लिए हैं । उनकी शक्ति देवी लक्ष्मी इस सठिठि मे हमेशा विष्णु जी के बिना वैकुंठ धाम में अकेले ही रह जाती थी । तब उन्होंने विष्णु जी से ये अनुरोध किया की मुझे भी आपके साथ पृथ्वी लोक में जन्म लेना है, तब जाकर माता लक्ष्मी ने त्रेता युग में विष्णु जी की आज्ञा से माँ लक्ष्मी का धरती पर पहला जन्म प्रभु श्री राम की अर्धांगिनी बनकर धरती पर माता सीता के रूप में जन्म लिया और द्वापर युग में श्री कृष्ण की राधा रानी के रूप में जन्म लिया ।
धार्मिक कथाओं के अनुसार, जब श्रीकृष्ण वृंदावन छोड़कर जा रहे थे, जाने से पहले वह राधा जी से मिले और वापस लौटकर आने का वादा किया । इसके बाद श्रीकृष्ण वृंदावन से चले गए । वही दूसरी ओर रुक्मणी श्रीकृष्ण को पसंद करती थीं और उन्हें मन ही मन अपना पति स्वीकार कर चुकी थीं.
रुकमनी जी का विवाह उनके पिता उनकी इच्छा के खिलाफ जाकर किसी और से करा रहे थे, जब इस बात की खबर श्रीकृष्ण (shrii krishna)को मिली तो वे वहाँ पहुँच गए और तब उन्होंने रुक्मणी से विवाह रचा लिया । कहते है श्री कृष्ण (shrii krishna) और राधा जी के इस युग में एक दूसरे के साथ विवाह ना करने का ये भी एक कारण था की वह समाज को एक संदेश देना चाहते थे की जरूरी नहीं आगर आप प्रेम करते है तो विवाह भी उन्ही से होगा । क्यूँ की प्रेम और विवाह दोनों का महत्व अलग है ।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार देखा जाए तो , श्रीकृष्ण और राधा रानी का विवाह नहीं होने का एक कारण यह भी माना जाता है की जब तक श्री कृष्ण मथुरा वापस आए, तब तक राधा जी का विवाह यशोदा जी के भाई रायान गोपा से हो चुका था और वह रिश्ते में श्रीकृष्ण की मामी लगने लगी थीं ।
कहते हैं कि राधा रानी माता लक्ष्मी का स्वरूप थीं और रुक्मणी भी माता लक्ष्मी का स्वरूप थीं, इसलिए माना जाता है कि राधा और रुक्मणी एक ही अंश थे. इस प्रकार श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मणी से हुआ था.
द्वापर युग में माता लक्ष्मी ने श्री कृष्ण के साथ ही रुक्मणी जी का अवतार लिया था, देवी लक्ष्मी ने रुकमणी जी के रूप में विदर्भ देश के राजा भीष्मक के यहाँ उनकी पुत्री बनकर जन्म लिया था । रुकमणी को पुत्री रूप में पाकर राजा भीष्मक बह प्रसन्न हो गए थे, लेकिन रुकमणी जी के जन्म के कुछ ही समय बाद एक राक्षसी ने रुकमणी जी को अगवा कर लिया और आकाश के रास्ते अपने साथ ले जाने लागि । रुक्मणी जी ने आकाश में जाते हुए अपना वजन बढ़ाना शुरू कर दिया और तब राक्षसी उनका भार सम्हाल नहीं पाई और उन्हे आकाश से धरती की तरफ छोड़ दिया ।
राक्षसी के चांगऊल से छूट कर रुकमणी जी एक बरसाना के तालाब में कमल के फूल के ऊपर जाकर गिरी । उसी समय वहाँ से जाते हुए वृषवान नाम के बरसाना निवासी और उनकी पत्नी कृति देवी ने रुकमणी जी को फूल पर देख लिया और उन्हे गोद ले लिया । और उनको अपनी बेटी मानकर उनका नाम राधा रख दिया ।
तब राधा जी और श्री कृष्ण(shrii krishna) मिले और एक दूसरे से प्रेम कर बैठे । लेकिन एक बार , जब कृष्ण, राधा जी से और गोकुल के निवासियों को छोड़ कर वृंदावन चले गए थे, उन्होंने सोचा जब वह वापस आएंगे तो राधा जी से विवाह कर लेंगे । लेकिन श्री कृष्ण के जाने के कुछ समय बाद ही विदर्भ राज्य के राजा भीष्मक को यह पता चल जाता है कि राधा उनकी बेटी रुकमणी है, तब वह उसे लेकर विदर्भ राज्य चले जाते हैं
तब वह रुकमणी जी को बताते है की विदर्भ राज्य और गोकुल एक दूसरे के दुश्मन है इसलिए वह किसी भी स्थिति में गोकुल के किसी भी निवासी से रुकमणी जी का विवाह नहीं होने देंगे, और जब वो रुक्मणि जी का विवाह किसी और से करने लगते हैं तब श्री कृष्ण को इसका ज्ञात हो जाता है और वह की उनकी राधा जो की अब रुकमणि है, वहाँ आकार उनका हरण कर लेते है और उनसे विवाह कर लेते है ।
राधा कृष्ण का विवाह | Radha Krishna Marriage | Krishna Vivah | Krishna Marriage
कृष्ण की कथा हिंदी में | Krishna Story in Hindi
कृष्ण की पत्नी का नाम | krishna wife name in hindi
सनातन धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थी। इनके नाम क्रमश:
- रुक्मणि,
- जाम्बवन्ती,
- सत्यभामा,
- कालिन्दी,
- मित्रबिन्दा,
- सत्या,
- भद्रा
- और लक्ष्मणा था। इसके अलावा, उन्होंने 16000 से अधिक कन्याओं संग विवाह किया था।
Real Story of Krishna in Hindi | Lord Shri Krishna Story in Hindi
कृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया | श्री कृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया
राधा रानी माता लक्ष्मी का स्वरूप थीं और रुक्मणी भी माता लक्ष्मी का स्वरूप थीं, इसलिए माना जाता है कि राधा और रुक्मणी एक ही अंश थे. इस प्रकार श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मणी से हुआ था. द्वापर युग में माता लक्ष्मी ने श्री कृष्ण के साथ ही रुक्मणी जी का अवतार लिया था, देवी लक्ष्मी ने रुकमणी जी के रूप में विदर्भ देश के राजा भीष्मक के यहाँ उनकी पुत्री बनकर जन्म लिया था । रुकमणी को पुत्री रूप में पाकर राजा भीष्मक बह प्रसन्न हो गए थे, लेकिन रुकमणी जी के जन्म के कुछ ही समय बाद एक राक्षसी ने रुकमणी जी को अगवा कर लिया और आकाश के रास्ते अपने साथ ले जाने लागि । रुक्मणी जी ने आकाश में जाते हुए अपना वजन बढ़ाना शुरू कर दिया और तब राक्षसी उनका भार सम्हाल नहीं पाई और उन्हे आकाश से धरती की तरफ छोड़ दिया ।
राधा और रुक्मणि यूं तो दो हैं, परंतु दोनों ही माता लक्ष्मी के ही अंश हैं. उम्मीद है कि अब भगवान श्रीकृष्ण(shrii krishna)और राधा के प्रेम और विवाह को लेकर आपके मन में कोई संदेह नहीं होगा