शिव नटराज रूप | Shiva Nataraja Roop
Shiva Nataraja Roop – यह मूर्तिकला नृत्य और नाटकीय कला के स्वामी के रूप में शिव का प्रतीक है। इसमें आमतौर पर शिव को नाट्य शास्त्र की मुद्राओं में से एक में नृत्य करते हुए दिखाया गया है, उनके बाएं पिछले हाथ में अग्नि है, अगला हाथ गजहस्ता या दंडहस्ता मुद्रा में है, सामने वाला दाहिना हाथ लपेटे हुए है
कौन है शिव नटराज और क्यों इनकी पूजा की जाती है ?
महादेव के अनेकों रूप है, और वही महादेव का एक ऐसा रूप भी है जिसे नृत्यक अपने नृत्य शुरू करने से पहले पूजते है तब जाकर नृत्य शुरू करते है । महादेव का यह रूप नटराज माना जाता है और मूर्ति रूप में इसकी पूजा की जाती है । यहाँ तक बड़े से बड़े डांस स्कूल्स में भी नटराज की इस मूर्ति को रखा जाता है और उनकी रोज पूजा की जाती है ।
शिव नटराज की पूजा क्यों की जाती है ? |
नटराज को नृत्य का स्वामी माना जाता है । लेकिन क्या आपने कभी सोच की आखिर क्या कारण हो सकता है जो नटराज नृत्य के स्वामी माने गए है और हर नृत्य से पहले उनका आशीर्वाद क्यूँ लिया जाता है ? तो चलिए आज के इस लेखन में हम इसी रहस्य से पर्दा उठेंगे ।
नटराज भी महादेव का ही स्वरूप है । आज तक हमने ये तो सुना है की महादेव क्रोध में तांडव करते है, जिसे रौद्र तांडव भी कहा जाता है, लेकिन महादेव का एक और तांडव है जो बेहद आनंदित है और प्रेम भाव लेकर किया जाता है । महादेव के इस तांडव को आनंद तांडव कहा जाता है और इस तांडव को ही हम नटराज कहते है ।
नटराज को अक्सर मूर्ति के रूप में नृत्य की मुद्रा बनाए देखा गया है । नटराज रूप की मुद्रा और इनकी कलाकृति का वर्णन कई ग्रंथों में भी मिलता है । यहाँ तक की कई सारे भारतीय ऐतिहासिक स्थानों में नटराज की मूर्ति देखने को मिलती है । नटराज के नृत्य को cosmic dance भी कहा जाता है जो दर्शाता है की जीवन की उत्पत्ति और जीवन की शुरुआत क्या है, और जीवन का अंत और विनाश क्या है ।
इस नृत्य से महादेव ने समझाया है की यह पूरा जीवन क्या है । कई लोगों का कहना है की No dance, No creation मतलब जहाँ नृत्य नहीं वहाँ कोई जीवन की उत्पत्ति नहीं । इसके पीछे भी एक कहानी छिपी हुई है ।
जाने आखिर क्या कहानी छिपी हुई है शिव के नटराज स्वरुप के पीछे ?
दर्सल एक बार भगवान शिव और माँ काली के बीच एक प्रतियोगिता हुई जहां वो दोनों यह देखना चाहते थे की माँ काली और महादेव के बीच में कौन नृत्य और अभिव्यक्ति यानि की एक्सप्रेस करने में सबसे ज्यादा अच्छा है । इस बीच विष्णु जी भी वहाँ उपस्थित थे जो यह बताने वाले थे की दोनों में से कौन सर्वश्रेष्ठ है ।
जब महादेव ने अपना आंदन तांडव शुरू किया तब उनके अभिव्यक्ति पूरे शरीर के साथ झलक रही थी । उनका नृत्य ऐसा नृत्य था की पूरा ब्रह्माण देवी देवता और साधू संत सभी देखने लगे और देखकर बेहद आनंदित हो उठे । कोई भी नहीं चाहता था की यह आनंदमाई नृत्य कभी खत्म हो ।
देवी काली की जब बारी आई तब देवी काली ने भी बेहद आनंदमई नृत्य किया और सुंदर मुदराए दिखाई । और उनका नृत्य भी बेहद आनंदमई था लेकिन थोड़ा विकराल रूप का था ।
वैसे तो महादेव और महाकाली एक ही है , वह अर्धनरेश्वर भी कहलाते है लेकिन विष्णु जी ने महादेव को ‘नटराज’ घोषित किया । ये तो थी नटराज की कहानी ।
शिव नटराज किसका प्रतिनिधित्व करते हैं?
अब हम आपको बताते है की महादेव की इस नटराज रूप की मुद्रा का क्या मतलब है । क्यूँ की आपने देखा होगा की नटराज जी के पैर के नीचे एक बालक रूप में कोई लेटा हुआ होता है । जिसपर नटराज ने अपना दायाँ पैर रखा हुआ है और नटराज अभय मुद्रा में खड़े है । नटराज के चारों ओर एक अग्नि का चक्र है जो की उनके पैरों पर शुरू होता है और पूरा गोल आकार करके उनके पैरों पर खतम हो जाता है ।
नटराज की मूर्ति की चार भुजाएँ है और उन्होंने अपने एक पाँव से एक बालक को नहीं बल्कि एक बौने अप्समार को दबा रखा है दर्सल अप्समार एक राक्षस है जो की बुराई को दर्शाता है , उनका दूसरा पाँव नृत्य मुद्रा में ऊपर की ओर उठा हुआ है। उन्होंने अपने पहले दाहिने हाथ में डमरु पकड़ा हुआ है।
डमरू की आवाज निर्माण का प्रतीक है। इस प्रकार यहाँ शिव ही ब्रह्माण के निर्माण की शक्ति को दर्शाते है। ऊपर की ओर उठे हुए उनके दूसरे हाथ में अग्नि है। यहाँ अग्नि विनाश का प्रतीक है। इसलीए महादेव को destroyer भी कहा जाता है ।इक इसका अर्थ यह है कि शिव ही एक हाथ से सृजन करतें हैं तथा दूसरे हाथ से विलय।
उनका दूसरा दाहिना हाथ अभय (या आशीष) मुद्रा में उठा हुआ है जो कि हमारी बुराईयों से रक्षा करता है। उनका उठा हुआ पांव मोक्ष को दर्शाता है । उनका दूसरा बाया हाथ उनके उठे हुए पांव की ओर इंगित करता है।
इसका अर्थ यह है कि शिव मोक्ष के मार्ग का सुझाव करते और उन्ही के चरणों में मोक्ष है। उनके पांव के नीचे कुचला हुआ बौना दानव अज्ञान का प्रतीक है जो कि शिव द्वारा नष्ट किया जाता है। शिव अज्ञान का विनाश करते हैं। चारों ओर उठ रही आग की लपटें इस ब्रह्माण्ड की प्रतीक हैं। उनके शरीर पर से लहराते सर्प कुण्डलिनी शक्ति के द्योतक हैं। उनकी संपूर्ण आकृति ॐ कार स्वरूप जैसी दिखती है। यह इस बात को दर्शाती है की ॐ शिव में ही निहित है।
शिव नटराज स्वरूप क्या है? | Shiva Nataraja Savroop Kya hai
नटराज चरणों के नीचे कौन है? | Who is under the feet of Nataraja?
क्या नटराज अवतार हैं? | Kya Nataraja Avatar hai
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