अपने भगवान अपने ईष्ट को पूजने के लिए तो ना तो कोई दिन देखा जाता है, और ना ही समय। अगर आपके अंदर सच्ची आस्था और श्रद्धा है, तो आप अपने भगवान को कभी भी पूज सकते है। सनातन धर्म के अनुसार हफ्ते का हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है, और इन दिनों में पूरे विधि-विधान से भगवान जी की पूजा अर्चना और व्रत(Shanivar vrat) किया जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि शनिवार का दिन किन देवी-देवताओं को समर्पित है।
शनिवार के दिन किसी भगवान को होता है समर्पित
हिंदू धर्म के अनुसर हफ्ते के सातों दिनों का अपना एक अलग महत्व होता है क्योंकि ये सभी किसी न किसी ग्रह या देवी-देवता की पूजा से जुड़े हुए हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार शनिवार का दिन भगवान शनिदेव जी की पूजा के लिए बेहद ही शुभ माना जाता है। शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को ही समर्पित होता है। शनिवार के दिन भगवान शनिदेव (Shanivar vrat)की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते है, और भक्तों के सभी कष्ट दूर कर उनको जीवन को खुशियों से भर देते है।
शनिवार के दिन क्यों की जाती है बजरंगबली की पूजा
शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को तो समर्पित होता ही है लेकिन इसी के साथ शनिवार(Shanivar vrat) को भगवान हनुमान जी की पूजा करने का भी महत्व है।धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भक्त शनिवार के दिन बजरंगबली की पूजा करते हैं उनसे शनि देव प्रसन्न होते हैं और उन्हें कष्ट नहीं देते. इसलिए शनिवार के दिन शनि देव के साथ ही बजरंगबली की भी पूजा जरूर करें. आइए जानते है कि आखिर क्यों शनिवार के दिन भगवान शनिदेव के साथ-साथ भगवान हनुमान जी की पूजा की जाती है।
हनुमान जी की मदद से रावण की कैद से आजाद हुए शनिदेव
त्रेतायुग के रामायण काल के समय रावण जब माता सीता का हरण कर उन्हें लंका ले गए थे। तब प्रभु श्रीराम की आज्ञा पाकर बजरंगबली माता सीता को ढूंढ़ते हुए लंका पहुंचे थे। लंका पहुंचते ही बजरंगबली ने देखा कि रावण ने कारागार में शनि देव को भी बंदी बना रखा है। बजरंगबली ने शनि देव से इसका कारण पूछा, तो पता चला कि रावण ने शनि देव के साथ ही कई अन्य ग्रहों को भी कैद कर रखा था। जिसने बाद हनुमान जी ने शनिदेव जी की रावण की कैद से बाहर निकलने में मदद की। रावण की कैद से बाहर आकर शनिदेव ने हनुमान जी को वरदान मांगने को कहा।
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हनुमान जी ने शनिदेव से क्या वरदान मांगा
तब बजरंगबली ने शनि देव से वरदान मांगा कि, जो भी भक्त शनिवार के दिन मेरी पूजा करेगा उसे आप कभी भी कोई कष्ट नहीं देंगे। इसके बाद से ही शनिवार(Shanivar vrat) के दिन शनि देव के साथ बजरंगबली की पूजा करने का विधान है। शनि देव की साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए भी शनिवार के दिन बजरंगबली की पूजा जरूर करें।
कैसे करें शनिवार का व्रत। Shanivar vrat vidhi
शनिवार का व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करना चाहिए। इसके बाद साफ कपड़े धारण कर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। शनिदेव(Shanivar vrat) की लोहे से बनी प्रतिमा को पंचामृत से नहलाएं फिर इस प्रतिमा को चावलों से बनाए गले कमल दल पर स्थापित करें और काले तिल, काला कपड़ा, तेल, धूप और दीप जलाकर शनिदेव की पूजा करें।
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शनिवार व्रत का महत्व। shanivar vrat mahatva
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिवार का व्रत रखने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत करने से नौकरी और व्यापार में सफलता मिलती है। यह व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मान-सम्मान बना रहता है। शनिवार(Shanivar vrat) के व्रत व्यक्ति का जीवन रोग मुक्त होता है और आयु में वृद्धि होती है।
कैसे करें शनिवार व्रत का उद्यापन। shanivar vrat udyapan
शनिवार यानि कि भगवान शनि देव जी के व्रत का उद्यापन करने के लिए मंदिर में तिल का तेल, काली उड़द की दाल, काली वस्तुएं, काला तिल और तेल से बने भोजन का प्रसाद चढ़ाएं। पूजा कथा सुनने के साथ ही सूर्यास्त के 2 घंटे बाद ही भोजन करना चाहिए। इसी के साथ भोजन में उड़द की दाल से बनी खाद्य सामग्री को पहले गरीबों को दान करने के बाद ही खाना चाहिए। गरीब व्यक्ति को क्षमता के अनुसार ही दान करें।