सर्वोत्तम परिणाम प्राप्ति के लिए सरस्वती कवच को बुधवार के दिन पहना जाना चाहिए। पहनते समय माँ सरस्वती के मंत्र का जाप जरूर करें- “ओम श्री सरस्वत्यै नमः”
कवच का सामान्य रूप से अर्थ होता है रक्षा करने वाला एक ऐसा उपकरण जो बाहरी आक्रमणों से हमारी रक्षा करता है। वैदिक युगों से ही देवता, असुर, राजा-महाराजा कवच को अपनी आत्म रक्षा के रूप में प्रयोग में लाते थे जबकि आज के इस आधुनिक युग में व्यक्ति की रक्षा के लिए चमत्कारी कवच होते हैं जिसमें शामिल अलौकिक शक्तियां व्यक्ति की रक्षा करती हैं। Saraswati Kavacham भी उन्हीं शक्तियों में से एक है इस अद्भुत कवच को धारण करने वाले व्यक्ति में विद्या की देवी कही जाने वाली देवी सरस्वती की अलौकिक शक्तियों का समावेश होता है।
1. Saraswati Kavacham जो भी व्यक्ति धारण करता है उसे मानसिक स्थिरता और शांति प्राप्त होती है।
2. जिन बच्चों का पढ़ाई में मन न लगे, ज्यादा देर तक पढ़ाई में ध्यान न दे पाते हों उनके लिए यह कवच बहुत उपयोगी है।
3. याददाश्त बढ़ाने के लिए, बौद्धिक क्षमता का विकास करने के लिए बहुत लाभकारी है सरस्वती कवच।
4. संगीत, कला और ज्ञान के क्षेत्रों में कार्य करने वालों को सफलता दिलाने के लिए यह Saraswati Kavacham अत्यंत लाभकारी है।
1. Saraswati Kavacham धारण करने के सबसे शुभ दिन बृहस्पतिवार और बसंत पंचमी माना जाता है।
2. शुभ मुहूर्त में प्रातःकाल स्नानादि क्रियाओं से निवृत होने के पश्चात पीले या श्वेत वस्त्र धारण करें।
3. एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उसपर माता सरस्वती की प्रतिमा को रखें साथ में कवच भी रखें।
4. उसपर गंगाजल का छिड़काव करें फिर देवी सरस्वती और Saraswati Kavacham पर तिलक लगाएं।
5. अब घी का दीपक और धूप जलाकर सरस्वती वंदना करें।
6. इसके उपरान्त सरस्वती कवच का पाठ करें।
7. सरस्वती माता का ध्यान करते हुए Saraswati Kavacham को धारण करें।
1. Saraswathy Pooja के लिए सबसे शुभ दिन गुरूवार और Vasant Panchami माना जाता है।
2. शुभ मुहूर्त पर Saraswati pic या प्रतिमा को पीले वस्त्र अर्पित करने चाहिए।
3. इसके उपरांत देवी को रोली, चन्दन, हल्दी और सफेद पुष्प अर्पित करें।
4. देवी को भोग स्वरुप पीली या श्वेत मिठाई या खीर चढ़ाएं।
फिर Saraswati puja में आसान पर बैठकर देवी सरस्वती के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें।
ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः।
ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।।
देवी सरस्वती का जन्म ब्रह्मा जी के कमंडल से छिड़के गए जल से हुआ था इसलिए उनके पिता ब्रह्मा जी माने जाते हैं।
मां सरस्वती के पिता ब्रह्मा जी हैं जिन्होंने इस सृष्टि का निर्माण किया और उसके बाद संसार में हर्ष, ज्ञान और कला के विस्तार के लिए देवी सरस्वती को अपने कमंडल से जन्म दिया।
Goddess Saraswati के वैसे तो अनेकों नाम हैं पर यहाँ उनके 12 नामों का उल्लेख किया गया है।
1. शारदा
2. सरस्वती
3. जगती
4. हंसवाहिनी
5. भारती
6. वागीश्वरी
7. बुद्धिदात्रि
8. ब्रह्मचारिणी
9. कुमुदी
10. वरदायिनी
11. भुवनेश्वरी
12. चंद्रकांति
हमारे धार्मिक पुराणों में कहा गया है कि देवी सरस्वती सप्तविध स्वरों का ज्ञान प्राप्त होता है इसलिए उन्हें सरस्वती नाम दिया गया है। देवी सरस्वती ज्ञान की देवी मानी जाती है उनकी कृपा के बिना कोई पूर्ण रूप से शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकता है। जिसपर भी Devi Saraswati की असीम कृपा होती है उसके अपने जीवन का सही अर्थ समझ में आ जाता है। वह जीवन के हर इम्तिहान को अड़चनों के बावजूद पूर्ण करने में सफल होते हैं।
बड़े बुजुर्ग हर समय यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि जो भी बोलो अच्छा बोलो क्योंकि उनका तर्क होता है कि दिन में एक बार सरस्वती जुबान पर जरूर बैठती है। वैसे तो कहा जाता है कि रात के 3:10 से लेकर 3:15 के बीच का ब्रह्ममुहूर्त सबसे शुभ माना गया है। इस समय Saraswati जुबान पर होती हैं और इस दौरान बोली गई हर बात सत्य होती है।