रुद्राक्ष क्या हैं ?
रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक यौगिक शब्द है जो रुद्र (संस्कृत: रुद्र) और अक्सा (संस्कृत: अक्ष) नामक शब्दों से मिलकर बना है।
“रुद्र” भगवान शिव के वैदिक नामों में से एक है और “अक्सा” का अर्थ है ‘ अश्रु की बूँद’ अत: इसका शाब्दिक अर्थ भगवान रुद्र (भगवान शिव) के आसुं से है।
3 Mukhi Rudraksha को धारण करने के क्या लाभ है ? ( 3 mukhi rudraksha ke fayde )
- 3 Mukhi Rudraksha को पहनने से राहु की कुदृस्टि का प्रभाव नहीं होता ।
- अकाल मृत्यु और कई तरह के भय से भी मुक्ति मिलती है।
- इसे पहनने से ज्ञान, सम्मान और शक्ति में भी लाभ होता हैं।
- 3 मुखी रुद्राक्ष को पहनने वाले के जीवन से सभी तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं।
- राहु के ग्रह प्रभाव भी तीन मुखी रुद्राक्ष को पहनने से ठीक हो जाते हैं।
- 3 Mukhi Rudraksha वैदिक ग्रंथों के अनुसार बुरी आत्माओं के खिलाफ एक कवच प्रदान करता है।
3 Mukhi Rudraksha के स्वास्थ्य में क्या लाभ हैं ? Benifits of 3 mukhi rudraksha in hindi
- तीन मुखी फेफड़ों के रोगों को नियंत्रित करने में सहायक है।
- यह याददाश्त को बढ़ाता है।
- प्राचीन वैदिक ग्रंथों के अनुसार, एक 3 मुखी रुद्राक्ष नर्वस सिस्टम, प्रोस्ट्रेट, पित्ताशय और फेफड़ों के रोगों, से बचाता है।
- मोतियाबिंद, हाइड्रोसिल और श्वसन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए बेहद अनुकूल है।
3 MUKHI RUDRAKHA को धारण करने की क्या विधि हैं ? ( How to wear 3 Mukhi Rudraksha )
रुद्राक्ष को पहले पंचामृत के मिश्रण से और गंगाजल से स्नान कराये।
इसके बाद भगवान शिव जी का ध्यान करे।
शुद्ध करके इस चंदन, बिल्वपत्र, लालपुष्प अर्पित करें तथा धूप, दीप दिखाकर 3 Mukhi Rudraksha सिद्ध कर ले !
उसके बाद रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श कराकर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके मन्त्र जाप करते हुए इस 3 MUKHI RUDRAKHA को धारण करे।
3 MUKHI RUDRAKHA पहनने के बाद क्या नहीं करना चाहिए?
Original 3 MUKHI RUDRAKHA बहुत ही पवित्र रुद्राक्ष है इसे पहनने के बाद हमे मॉस – मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
और एक जरूरी बात ये भी है की रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए। इसके अलावा नवजात शिशु के जनम के स्थान पर भी रुद्राक्ष को नहीं ले जाना चाहिए।
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