Pausha Putrada Ekadashi – पुत्रदा एकादशी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो विशेष रूप से पुत्र संप्राप्ति की कामना करने वालों के लिए है. इस त्योहार का आयोजन भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर किया जाता है. इस अद्वितीय पर्व के माध्यम से हम पुत्र की प्राप्ति की कठिनाईयों को दूर करने के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं.
पुत्रदा एकादशी का महत्व
पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि – एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान का ध्यान करें. फिर गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल पंचामृत से भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद संध्या काल में दीपदान कर फलाहार कर सकते हैं. व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करना चाहिये |
पुत्रदा एकादशी का महत्व अत्यधिक है, और इसे हिन्दू परंपरा में विशेष रूप से माना जाता है. इस दिन व्रत रखकर और विशेष पूजा अर्चना करके, भक्त भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं और पुत्र संप्राप्ति की कामना कर सकते हैं. इस त्योहार के दिन विशेष रूप से ब्राह्मणों को दान देना शुभ होता है और इससे व्यक्ति को अद्भुत पुण्य मिलता है.
पुत्रदा एकादशी पूजा विधि
पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि (Putrada ekadashi ki puja vidhi) में विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस दिन उपवास करना और भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. व्रत की सही विधि के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
पुत्रदा एकादशी व्रत की तैयारी
पौष पुत्रदा एकादशी तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान कर भगवान विष्णु को प्रणाम करें. संभव हो तो गंगा स्नान करें और प्रभु का ध्यान करें. फिर आचमन कर व्रत का संकल्प लें. इस दिन पील रंग के वस्त्र पहनें ,पुत्रदा एकादशी के पहले दिन, व्रती को सात्विक आहार का पालन करना चाहिए. उपवास की सहायता से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है.
पुत्रदा एकादशी ( Putrada Ekadashi ) के दिन, व्रती को सभी नींदा, शोक, और अनिष्ट को दूर करके भगवान की उपासना करनी चाहिए.
पुत्रदा एकादशी विशेष पूजा अर्चना
पुत्रदा एकादशी व्रत की विधि : पंडित राम प्रकाश शर्मा ने बताया कि पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में या अपने घर पर ही स्नान इत्यादि करके भगवान विष्णु के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और उनको पीले रंग के फल, फूल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना करें और भगवान विष्णु की मूर्ति को सुगंधित तेल से स्नान कराएं और उन्हें कुमकुम और चंदन से अलंकृत करें.
पुत्रदा एकादशी दान एवं भोजन
मै एकादशी को निराहार रहकर दूसरे दिन भोजन करूंगा, आप मुझे उत्तम पुत्र दें, ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए। दिनभर सात्विक रहते हुए झूठ बोलने, क्रोध करने और दूसरों को हानि पहुचाने से बचना चाहिए। इस प्रकार व्रत करके एकादशी के महात्म्य की कथा सुनना चाहिए।
पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त
पुत्रदा एकादशी के व्रत का सही मुहूर्त है अत्यंत महत्वपूर्ण. इस विशेष मुहूर्त में पूजा करने से भक्त को अधिक पुण्य मिलता है ,इस रूपरेखा के अनुसार,पुत्रदा एकादशी का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए सही विधि से व्रत रखना और पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस साल, इस अद्भुत पर्व को भक्ति और उत्साह के साथ मनाएं और भगवान की कृपा को प्राप्त करें.
पुत्रदा एकादशी व्रत क्या होता है? | Putrada Ekadashi Vrat kya hota hain
यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन साधक एकादशी व्रत ( Ekadashi vrat ) रख भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। निःसंतान और नवविवाहित स्त्रियां पुत्र प्राप्ति हेतु पौष पुत्रदा एकादशी ( Putrada ekadashi )का व्रत करती हैं।
पुत्रदा एकादशी का व्रत कैसे रखते हैं? | Putrada Ekadashi Ka Vrat kaise rakhte hain
Pausha Putrada Ekadashii – पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को व्रत से पूर्व दशमी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान का ध्यान करें. फिर गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल पंचामृत से भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद संध्या काल में दीपदान कर फलाहार कर सकते हैं.
पुत्रदा एकादशी के व्रत में क्या खाना चाहिए? | Putrada Ekadashi ke Vrat me kya khana chaiye
इस दिन दूध या जल का सेवन कर सकते है। एकादशी व्रत में शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि पदार्थ खाने में शामिल कर सकते हैं।
पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से क्या फल मिलता है? | Putrada Ekadashi Ka Vrat karne se kya phal milta hain
ये व्रत पाप नाशक माना जाता है इसके प्रभाव से सुयोग्य संतान का सुख मिलता है. रक्षाबंधन से चार दिन पहले सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से वंश में वृद्धि होती है, संतान पर आने वाले संकटों का नाश होता है. इस व्रत में एकादशी की कथा का जरुर श्रवण करें, तभी पूजा का पूर्ण फल मिलेगा.
पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि – एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान का ध्यान करें. फिर गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल पंचामृत से भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद संध्या काल में दीपदान कर फलाहार कर सकते हैं. व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करना चाहिये.
पुत्रदा एकादशी पर हमें क्या करना चाहिए? | Putrada Ekadashi par hame kya karna chaiye
मोक्ष पाने और सभी पापों से छुटकारा पाने, संतान (विशेष रूप से पुत्र) प्राप्त करने के लिए पुत्रदा एकादशी सहित सभी एकादशियों के दिनों में विष्णु की पूजा एक सामान्य अनुष्ठान है। इस दिन पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत रखने वाले भक्त उस कमरे में सोते हैं जहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
पुत्रदा एकादशी का अर्थ क्या है? | Putrada Ekadashika arth kya hain
Pausha Putrada Ekadashi– भगवान विष्णु को समर्पित, श्रावण पुत्रदा एकादशी पर, विवाहित जोड़ों के मामले में, एकादशी व्रत/उपवास आमतौर पर पति और पत्नी दोनों द्वारा किया जाता है। यह पुत्र और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने और भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए किया जाने वाला एक शक्तिशाली व्रत है।
पौष शुक्ल एकादशी कब है? | Paush Shukla Ekadashi kab hain
Pausha Putrada Ekadashi – इस साल पौष पुत्रदा एकादशीजनवरी 21, 2024 को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, 20 जनवरी के दिन 07:26 पी एम से एकादशी तिथि की शुरुआत होगी, जो 21 जनवरी के दिन 07:26 पी एम मिनट तक रहेगी।
एकादशी का व्रत क्या खाकर खोलना चाहिए? | Ekadashi Ka Vrat kya kha kar kholna chaiye
इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी व्रत का पारण कभी भी अन्न से नहीं होता है। हमेशा फल खाकर ही व्रत खोलना चाहिए। साथ ही, पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण हमेशा अगले दिन द्वादशी तिथि पर ही किया जाता है। एकादशी की शाम व्रत खोलने से वह अपूर्ण रह जाता है।
पौष पुत्रदा एकादशी ( Pausha Putrada ekadashi )के दिन सुबह उठकर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए। साफ कपड़े पहनकर पूजा घर को भी शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और व्रत रखने का संकल्प लें। इस दिन पूजा में तुलसी दल का इस्तेमाल करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
पुत्रदा एकादशी व्रत के लिए क्या करना चाहिए? | Putrada Ekadashi Vrat ke liye kya karna chaiye
Pausha Putrada Ekadashi – पौष पुत्रदा एकादशी तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान कर भगवान विष्णु को प्रणाम करें. संभव हो तो गंगा स्नान करें और प्रभु का ध्यान करें. फिर आचमन कर व्रत का संकल्प लें. इस दिन पील रंग के वस्त्र पहनें.
पुत्रदा एकादशी कौन कर सकता है? | Putrada Ekadashi Vrat kaun kar sakta hain
भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं, विशेषकर विवाहित जोड़े जो पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु इस व्रत को करने वालों को सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण कब है? | Putrada Ekadashi Vrat ka paaran kab hain
सावन पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 28 अगस्त को किया जाएगा. उस दिन व्रत पारण समय सुबह 05:57 बजे से सुबह 08:31 बचे के बीच कभी भी किया जा सकता है. पारण करने पर ही व्रत पूरा होता है. इस दिन द्वादशी तिथि शाम 06:22 बजे खत्म होगी.