परशुराम भगवान | Parshuram Bhagwan
भगवान परशुराम (Parshuram Bhagwan) का जन्म वैशाख तृतीय शुक्ला को एक ब्राह्मण ऋषि परिवार में हुआ था. भगवान परशुराम का जन्म स्थान मध्य प्रदेश के जानापाव पर्वत बताया जाता है. परशुराम के पिता का नाम जमदग्नि तथा इनकी माता का नाम रेणुका था. परशुराम श्री हरि विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं.
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परशुराम की कहानी : आखिर परशुराम कौन थे? ( Story of Parshuram in hindi : Parshuram kaun the? )
Parshuram ki kahani इस प्रकार है कि परशुराम का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था उनके पिता महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका थीं। उनके जन्म के संबंध में प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि जमदग्नि ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया था जिससे प्रसन्न होकर देवराज इन्द्र ने उनकी पत्नी रेणुका को वरदान दिया था।
इस वरदान के परिणामस्वरूप ही उनकी पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख की शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीय को पांचवें पुत्र के रूप में परशुराम का जन्म हुआ। परशुराम का जन्म स्थान मध्यप्रदेश के इन्दौर जिला ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत था।
इस वरदान के परिणामस्वरूप ही उनकी पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख की शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीय को पांचवें पुत्र के रूप में परशुराम का जन्म हुआ। परशुराम का जन्म स्थान मध्यप्रदेश के इन्दौर जिला ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत था।
परशुराम का इतिहास ( History of Parshuram )
Parshuram ji का उल्लेख रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और यहाँ तक की कल्कि पुराण तक में मिलता है। वैसे उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण अहंकारी और धृष्ट हैहय वंशी क्षत्रियों का पृथ्वी से 21 बार संहार किया जाना है। मान्यता यह भी है कि भारत में मौजूद अधिकतर ग्राम भगवान परशुराम द्वारा ही बसाये गए हैं। उनका प्रमुख उद्देश्य पृथ्वी पर हिन्दू वैदिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना था।
Bhagwan Parshuram भले ही ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते हो पर वे केवल ब्राह्मण समाज के ही आदर्श नहीं है बल्कि पूरे हिन्दू समाज के आदर्श माने जाते हैं। सतयुग में जब उन्हें भगवान शिव के दर्शन करने से गणेश जी द्वारा रोका गया तो उन्होंने अपने परशु से गणेश जी के दन्त पर प्रहार कर दिया था तभी से गणेश जी एकदन्त कहलाए।
प्रभु श्री राम के काल में भी उनका उल्लेख हमें मिलता है तो महाभारत काल में भी उन्होंने श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र देकर उपलब्ध कराकर अपना प्रमाण दिया। इसी वजह से यह कहा जाता है कि कलिकाल के अंत में भी Parshuram avatar अवशय ही दिखाई देंगे।
Bhagwan Parshuram भले ही ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते हो पर वे केवल ब्राह्मण समाज के ही आदर्श नहीं है बल्कि पूरे हिन्दू समाज के आदर्श माने जाते हैं। सतयुग में जब उन्हें भगवान शिव के दर्शन करने से गणेश जी द्वारा रोका गया तो उन्होंने अपने परशु से गणेश जी के दन्त पर प्रहार कर दिया था तभी से गणेश जी एकदन्त कहलाए।
प्रभु श्री राम के काल में भी उनका उल्लेख हमें मिलता है तो महाभारत काल में भी उन्होंने श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र देकर उपलब्ध कराकर अपना प्रमाण दिया। इसी वजह से यह कहा जाता है कि कलिकाल के अंत में भी Parshuram avatar अवशय ही दिखाई देंगे।
ऐसे पड़ा परशुराम नाम ( What does Parshuram mean? )
Parshuram Bhagwan विष्णु के छठे और आवेशावतार माने जाते हैं। अपने पितामह महर्षि भृगु द्वारा किये गए नामकरण संस्कार के बाद राम कहलाए और शिवजी द्वारा दिए गए फरसा के कारण उनका नाम परशुराम पड़ा। साथ ही बता दें कि वे महर्षि जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य भी कहलाये जाते हैं।
परशुराम की प्रतिज्ञा : क्यों परशुराम ने क्षत्रियों का 21 बार संहार किया? ( Why did Parshuram killed Kshatriyas 21 times? )
प्रतिज्ञा से जुड़ी Parshuram katha के अनुसार हैहय वंश के क्षत्रिय राजा सहस्त्रार्जुन को अपनी शक्ति का बहुत घमंड हो गया था और इस घमंड के चलते उन्होंने ब्राह्राणों और ऋषि-मुनियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। ऐसे ही एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी सेना लेकर भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि के आश्रम पहुंचा। महर्षि जमदग्नि ने सेना का खूब आदर सत्कार किया और अच्छे से खान पान की व्यवस्था भी की।
महर्षि जमदग्नि ने आश्रम में मौजूद चमत्कारी कामधेनु गाय के दूध से समस्त सैनिकों की भूख को शांत किया। सहस्त्रार्जुन के मन में कामधेनु गाय के चमत्कार को देखकर उसे पाने का लालच पैदा आया। अपने लालच के कारण उसने महर्षि से कामधेनु गाय को बलपूर्वक छीन लिया। जब इस बात की भनक परशुराम को लगी तो उन्होंने क्रोध में आकर सहस्त्रार्जुन का वध कर डाला।
फिर यहीं से शुरू परशुराम की प्रतिज्ञा की कहानी आरम्भ होती है जब सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने प्रतिशोध की अग्नि में जलते हुए महर्षि जमदग्नि का वध कर दिया। पिता की हत्या किये जाने के बाद उनकी माँ रेणुका भी वियोग में चिता पर सती हो गयीं। Parashuram ने अपने पिता के शरीर पर 21 घाव को देखे थे इन घावों को देखते हुए ही उसी क्षण परशुराम ने प्रतिज्ञा ली कि वह इस धरती से समस्त क्षत्रिय वंशों का 21 संहार करेंगे।
महर्षि जमदग्नि ने आश्रम में मौजूद चमत्कारी कामधेनु गाय के दूध से समस्त सैनिकों की भूख को शांत किया। सहस्त्रार्जुन के मन में कामधेनु गाय के चमत्कार को देखकर उसे पाने का लालच पैदा आया। अपने लालच के कारण उसने महर्षि से कामधेनु गाय को बलपूर्वक छीन लिया। जब इस बात की भनक परशुराम को लगी तो उन्होंने क्रोध में आकर सहस्त्रार्जुन का वध कर डाला।
फिर यहीं से शुरू परशुराम की प्रतिज्ञा की कहानी आरम्भ होती है जब सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने प्रतिशोध की अग्नि में जलते हुए महर्षि जमदग्नि का वध कर दिया। पिता की हत्या किये जाने के बाद उनकी माँ रेणुका भी वियोग में चिता पर सती हो गयीं। Parashuram ने अपने पिता के शरीर पर 21 घाव को देखे थे इन घावों को देखते हुए ही उसी क्षण परशुराम ने प्रतिज्ञा ली कि वह इस धरती से समस्त क्षत्रिय वंशों का 21 संहार करेंगे।
भगवान परशुराम के कितने नाम है? ( Names of Parshuram Bhagwan)
Parshuram ji ki katha में उनके अनेकों नाम है जिनमें से हमने उनके कुल 21 नामों का ज़िक्र किया है जो इस प्रकार है – भार्गव, भृगुपति, रेणुकेय, कोङ्कणासुत, जामदग्न्य, राम, परशुधर, खण्डपरशु, ऊर्ध्वरेता, मातृकच्छिद, मातृप्राणद, कार्त्तवीर्यारि, क्षत्रान्तक, न्यक्ष, न्यस्तदण्ड, क्रौञ्चारि, ब्रह्मराशि, स्वामिजङ्घी, सह्याद्रिवासी, चिरञ्जीवी आदि।
परशुराम ने माता का वध क्यों किया? ( Why Parshuram Bhagwan killed his mother? )
परशुराम ने अपनी माता का वध अपने पिता महर्षि भृगु के कहने पर किया था जब रेणुका के देरी से आने के कारण क्रोध के आवेग में महर्षि भृगु ने माता रेणुका का सिर काटने के आदेश दिया तो उनके सभी भाइयों ने ऐसा करने से मना कर दिया। जिसपर महर्षि भृगु ने उन्हें विचार चेतना नष्ट हो जाने का श्राप दे दिया था।
जब परशुराम से उन्होंने ऐसा करने के लिए कहा तो श्राप के भय और अपने पिता की आज्ञा का उल्लंघन न करते हुए उन्होंने अपनी माता रेणुका का सर धड़ से अलग कर दिया। महर्षि भृगु परशुराम के आज्ञा पालन से खुश हुए और फिर उन्होंने वरदान मांगने को कहा। Parshurami ने अपने पिता से तीन वरदान मांगे जिसमें से पहला वरदान था उनकी माता को जीवित कर दिया जाए। दूसरा वरदान था भाइयों की विचार चेतना नष्ट न हो और तीसरा वरदान था कि उन्हें मरने की स्मृति याद न रहे।
जब परशुराम से उन्होंने ऐसा करने के लिए कहा तो श्राप के भय और अपने पिता की आज्ञा का उल्लंघन न करते हुए उन्होंने अपनी माता रेणुका का सर धड़ से अलग कर दिया। महर्षि भृगु परशुराम के आज्ञा पालन से खुश हुए और फिर उन्होंने वरदान मांगने को कहा। Parshurami ने अपने पिता से तीन वरदान मांगे जिसमें से पहला वरदान था उनकी माता को जीवित कर दिया जाए। दूसरा वरदान था भाइयों की विचार चेतना नष्ट न हो और तीसरा वरदान था कि उन्हें मरने की स्मृति याद न रहे।
भगवान परशुराम जी की पत्नी का क्या नाम था? ( Parshuram Bhagwan Wife’s name )
श्रीमदभागवतम में परशुराम के विवाह के संबंध में कोई उल्लेख नहीं मिलता है, इसलिए अधिकतर लोगों का मानना है कि वे आजीवन ब्रह्मचारी रहे। जबकि विष्णु पुराण में परशुराम की पत्नी के संबंध में हमें वर्णन इस प्रकार मिलता है :
”पुनश्चपद्मा सम्पादित यदादित्योऽभवद्धरिः।
यदा च भार्गवो रामस्तदाबुद्धित्व धातु।।”
अर्थात पद्म का जन्म तब हुआ जब हरि आदित्य (अदिति के पुत्र) बने और जब वे भार्गव राम बने, तो वह धरणी के रूप में आईं। पौराणिक Parshuram story में वे भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं इसलिए उनकी पत्नी माता लक्ष्मी की अवतार धरणी बताई गई हैं।
”पुनश्चपद्मा सम्पादित यदादित्योऽभवद्धरिः।
यदा च भार्गवो रामस्तदाबुद्धित्व धातु।।”
अर्थात पद्म का जन्म तब हुआ जब हरि आदित्य (अदिति के पुत्र) बने और जब वे भार्गव राम बने, तो वह धरणी के रूप में आईं। पौराणिक Parshuram story में वे भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं इसलिए उनकी पत्नी माता लक्ष्मी की अवतार धरणी बताई गई हैं।
परशुराम के शिष्य कौन कौन थे? | Parshuram Bhagwan shishy ke kon kon the
परशुराम/Parshuram के शिष्य भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य और अंगराज कर्ण उनके शिष्य थे जिन्होंने महाभारत के युद्ध में 17 दिनों तक युद्ध की कमान संभाले रखी थी।
परशुराम ने माता का सिर क्यों काटा? | Parshuram Bhagwan ne apne mata ka sar kyu kata
परशुराम की कथा/Parshuram ki katha के अनुसार उन्होंने अपने पिता महर्षि भृगु की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता का सिर काटा था।
भगवान परशुराम कितने भाई थे? | Parshuram Bhagwan ke kitne bhai the
परशुराम महर्षि भृगु और रेणुका के पांचवे पुत्र थे, इस प्रकार भगवान परशुराम/bhagwan parshuram के चार भाई थे – रुक्मवान, सुखेण, वसु, विश्वानस।
भगवान परशुराम की कथा | Bhagwan Parshuram ki katha
भगवान परशुराम/bhagwan parshuram का जन्म वैशाख तृतीय शुक्ला को एक ब्राह्मण ऋषि परिवार में हुआ था. भगवान परशुराम का जन्म स्थान मध्य प्रदेश के जानापाव पर्वत बताया जाता है. परशुराम/Parshuram के पिता का नाम जमदग्नि तथा इनकी माता का नाम रेणुका था. परशुराम श्री हरि विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं.
अब कहाँ हैं परशुराम? | Where is Parshuram now?
अधर्म के प्रति सदैव क्रोध परायण रहने वाले भगवान परशुराम जी ने अश्वमेध महायज्ञ का आयोजन कर सप्तद्वीप युक्त पृथ्वी महर्षि कश्यप को दान स्वरूप दी और उनके आदेशानुसार स्वयं महेन्द्र पर्वत पर चले गए और आज भी वहीं पर निवास करते हैं। एक समय भगवान परशुराम/bhagwan parshuram जी भगवान शिव के दर्शन हेतु कैलाश गए।
परशुराम भगवान किसके अवतार हैं | Parshuram Bhagwan kiske avatar hai
भगवान परशुराम को विष्णु भगवान (Lord Vishnu) का छठवां अवतार माना जाता है. उन्हें 8 चिरंजीवी पुरुषों में एक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी इस धरती पर मौजूद हैं. वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम (Lord Parshuram) का जन्म हुआ था.
परशुराम कितने वर्ष जीवित रहे? | Parshuram kitne salo tak jivit rahe
परशुराम जी ,अश्वत्थामा ,राजा बलि , महर्षि वेद व्यास ,हनुमानजी ,,विभीषण, कृपाचार्य तथा मारकंडे यह सभी अमर है ।
कौन हैं परशुराम भगवान – परशुराम कौन थे – भगवान परशुराम कौन थे | Kon hai Parshuram Bhagwan – Bhagwan Parshuram kaun the
वे भगवान विष्णु के आवेशावतार हैं। महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम जी का मूल नाम राम था किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम/Parshuram जी हो गया। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए।
परशुराम की पत्नी का नाम – परशुराम जी की पत्नी का नाम | Parshuram ki patni ka naam
इस वरदान के परिणामस्वरूप ही उनकी पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख की शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीय को पांचवें पुत्र के रूप में परशुराम का जन्म हुआ। परशुराम का जन्म स्थान मध्यप्रदेश के इन्दौर जिला ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत था।
भगवान परशुराम कौन थे – परशुराम कौन है ? | Parshuram kaun hai – Parshuram ji kaun the ( bhagwan parshuram story )
1 Comment
मै श्री निवास कुमार परशुराम आवतार के कहानी सुनकर बहुत खुश हुआ। धन्यवाद