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    Home » नवरात्रि के महात्म्य : माँ कालरात्रि की कथा और महत्व
    Durga NAVRATRI

    नवरात्रि के महात्म्य : माँ कालरात्रि की कथा और महत्व

    VikashBy VikashOctober 20, 2023Updated:October 20, 2023
    Kaalratri
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    Maa Kaalratri Worship | माँ कालरात्रि की पूजा: नवरात्रि के सातवें दिन का महत्व

    Maa Kaalratri Worship –  नमस्कार, आप सभी को नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनाये। आज नवरात्रि का सातवा दिन हैं , और आज के दिन हम माँ कालरात्रि की पूजा करते  हैं। आज  हम आपको बताएंगे की कौन है देवी काल रात्रि और क्या है उनकी कथा?

    ये जानने के लिए इस पोस्ट  को पूरा पड़े और कमेंट सेक्शन में जय माँ काली ज़रूर लिखे।  आशा करते है माँ काली आपके सभी कष्ट और परेशानियाँ दूर कर दे।माँ कालरात्रि का रूप देवी पार्वती का रूप है, जो असुरों और अधर्म के खिलाफ लड़ने वाली हैं। उनकी पूजा नवरात्र की  सप्तमी को की  जाती है जिसे महा सप्तमी भी कहा जाता है , माँ की पूजा कर के  भक्त  शक्ति और सुरक्षा की कामना करते हैं। 

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    माँ कालरात्रि का भयानक और दिव्य स्वरूप: उनके रूप का वर्णन

    पहले हम बात करते हैं माँ कालरात्रि के स्वरूप की, आखिर कैसा  है माँ कालरात्रि का स्वरूप/ माँ कालरात्रि का रूप अत्यंत भयंकर और भयानक होता है और उनका चेहरा भयंकर रूप में होता है, साथ ही उनकी आंखें नीली होती हैं। व अक्सर अंधकार में विराजमान होती हैं, और माँ कालरात्रि अपने चेहरे की दृष्टि से  अपने  भक्तों के दुखों को दूर करती है । उनके हाथ में एक खड्ग यानी कटार) है                                                                                      जिससे वे असुरों और शैतानी शक्तियों प् प्रहार कर के उन्हें नष्ट कर देती है । माँ                                                                                        कालरात्रि की सवारी  गधा है, माँ कालरात्रि जो हमेशा अपने वहान के  साथ ही                                                                                            विराजमान होती हैं।    

    The Tale of Mother Kaalratri ‘s Divine Form |  क्यों धारण किया गया माँ कालरात्रि का रूप?

    देवी पार्वती को हिन्दू पौराणिक कथाओ में शक्ति और प्रेम की देवी के रूप में वर्णित किया गया है। पार्वती का स्वरूप बहुत ही समृद्धिशाली और शानदार होता है, जिसे सुंदरता और ममता  की देवी के रूप में वर्णित किया गया है।  लेकिन यही, अगर माँ विनाश का रूप लेती हैं, तो उन्हे कालरात्रि, काली, चंडी, चामुंडा, रौद्री जैसे अन्य नामों से जाना जाता हैं।   

    पौराणिक कथाओ के अनुसार एक बार रक्त बीज नामक असुर था, जिसने हर तरफ अपना आतंक मचाया हुआ था, मनुष्य के साथ साथ सबी देवी देवता उसके आतंक से परेशान थे। रक्त बीज को वरदान था की उसके खून की एक भी बूँद अगर धरती पर गिरेगी तो उसी की तरह एक और रक्त बीज का जन्म हो जाएगा।  

    रक्त बीज के वध से उत्पन्न आदिशक्ति: मां कालरात्रि की अद्वितीय उत्पत्ति कथा

    रक्त बीज के इस मचाए आतंक से सभी देवी देवता परेशान हो गए, तब सभी देवी देवता भगवान शिव के पास अपनी इस समस्या का हल मांगने गए। तब शिव जी ने देवी पार्वती से अनुरोध किया की “हे देवी अब तुम उस राक्षस का वध करो और सभी देवी देवताओ को उस राक्षस के आतंक से बचाओ।“ ऐसे मे देवी पार्वती रक्त बीज का वध करने पहुंची वहा उनका सामना रक्त बीज से हुआ, देवी पार्वती ने रक्त बीज के  शरीर से धड़ अलग कर दिया , तब देवी ने देखा की रक्त बीज की खून की बूंदों से हजारों रक्त बीज का जन्म हो रहा हैं; तब ऐसे मे देवी पार्वती ने वही ध्यान केंद्रीक करते हुए साधना की और तब उन्होंने विनाश करने वाली कालरात्री का रूप धारण किया।

    तब माँ दुर्गा ने रक्त बीज का वध किया और उसका सारा खून पी गई और एक भी बूँद नीचे न गिरने दी। इसी वजह से माँ कालरात्रि की जीब रक्त समान लाल दिखाई पड़ती हैं। रक्त बीज के वध के बाद से माँ के इस रूप को कालरात्रि के नाम से जानने – जाने लगा।  जैसा की आप सभी जानते हैं की माँ कालरात्रि का स्वरूप कितना भयंकर हैं तो ऐसे मे बहुत से लोग इनके स्वरूप के कारण इनसे भयभीत  रहते हैं, लेकिन वास्तव मे माँ कालरात्रि  का ये स्वरुप अपने भक्तों के लिए आशीर्वाद हैं, जो अपने भक्तों के जीवन से दुख को दूर करती हैं और सदेव शुभ फल देती हैं। 

    Blessings of Worshiping Mother Kaalratri in Navratri |  नवरात्रि में माँ कालरात्रि के पूजन से प्राप्त होने वाला आशीर्वाद

    तो चलिए माँ कालरात्रि की पूजा की विधि पर चर्चा करते हैं – सुबह स्नान करने के बाद, साफ व स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करे; लाल वस्त्र इसलिए क्यूंकी माँ कालरात्रि का प्रिय ‘रक्त‘ रंग हैं। इसके बाद मंदिर साफ करके माँ का स्मरण करे। फिर माँ कालरात्रि की प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान कराए। इसके बाद माँ कालरात्रि को धूप, फूल और गुड का भोग लगाए। फिर माँ को उनका प्रिय रात की रानी का फूल अर्पित करे और साथ ही लाल वस्त्र भी अर्पित करे। फिर माँ की आरती व मंत्र शुरू करे; आरती समाप्त होने के बाद माँ कालरात्रि को गुड व शहद का भोग अवश्य लगाए और अपने और अपने परिवार वालों की सुखमय जीवन के लिए आशीर्वाद ग्रहण करे।  

    Maa Kaalratri Mantra | माँ कालरात्रि मंत्र

    आप पूजा की विधि मे माँ कालरात्रि के इस प्रसिद्ध मंत्र का जाप भी कर सकते हैं –

    ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .
                             ॐ कालरात्र्यै नम:
                   ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ
    ॐह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा। 

    Maa Kaalratri Meditation Mantra | माँ कालरात्रि ध्यान मंत्र

    एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। 
    वामपादोल्ल सल्लोहलता कण्टक भूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

    यह मंत्र आपको शांति और ध्यान केंद्र करने मे भी मदद करता हैं।   

    Maa Kalratri Aarti Lyrics | Navratri Day 7 Aarti

    कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
    काल के मुह से बचाने वाली ॥
    दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
    महाचंडी तेरा अवतार ॥
    पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
    महाकाली है तेरा पसारा ॥
    खडग खप्पर रखने वाली ।
    दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
    कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
    सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
    सभी देवता सब नर-नारी ।
    गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
    रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
    कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
    ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
    ना कोई गम ना संकट भारी ॥
    उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
    महाकाली मां जिसे बचाबे ॥
    तू भी भक्त प्रेम से कह ।
    कालरात्रि मां तेरी जय ॥

     

    आज की इस पोस्ट मे बस इतना ही आशा करते हैं आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी; माँ कालरात्रि आपके परिवार को हमेशा खुश रखे और साथ ही आपकी रक्षा करे।   

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