हमारे शास्त्रों में अपनी इन्द्रियों को नियंत्रण में रखने का एकमात्र उपाय जाप (Jaap) बताया गया है। किसी भी व्यक्ति का मन इतना चंचल होता है कि भले ही शरीर एक स्थान पर हो परन्तु मन देश-विदेशों की सैर तक कर आता है। भटकता हुआ यह मन हमें सकारत्मक अनुभव कराता है तो हमें दुःखी करने के लिए नकारात्मक विचारों की भी सुनामी सी ला देता है।
फिर इसे रोकने के लिए व्यक्ति अपने आप को व्यस्त रखने के प्रयास करता है। तरह-तरह के कामों में उलझ जाता है और अपनी परवाह किये बगैर खुद पर ज्यादतियां करना शुरू कर देता है। जबकि हमारे मन पर काबू पाने का सबसे सरल उपाय है जाप।
यदि व्यक्ति अपने रोजमर्रा के कामों से कुछ देर के लिए छुटकारा पाकर जाप करता है तो वह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ और शांत स्वभाव का रहता है। चलिए जानते है जाप करने का महत्व, उसके लाभ और नियमों के बारे में।
जाप का महत्व ( Jaap ka Mahatva )
जाप करने से व्यक्ति न केवल ईश्वर के निकट होना महसूस करता है बल्कि यह क्रिया हमें आत्म संतुष्टि और आत्मसंयम की दिशा में ले जाने का काम करती है। व्यक्ति अपने कामों में इतना उलझ जाता है कि खुद तक पहुँचने का मार्ग भी भूल जाता है। जाप की क्रिया हमें यह मार्ग तलाशने में सहायता करती है।
हिन्दू धर्म में मंत्र साधना (Mantra Sadhna) की बात की गई है वह सभी प्रकार की साधनाओं से ऊपर मानी गई है। इसके पीछे की वजह यह है कि मंत्र साधना में मंत्रो का लगातार उच्चारण बिना किसी के व्यवधान के करते रहना कोई आसान क्रिया नहीं मानी जाती है। शास्त्रों में तो यहाँ तक वर्णित है कि मंत्रो के जाप से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
मंत्र जाप के फायदे ( Mantra Jaap ke fayde )
1. जप माला (Japa Mala) के 108 मनकों से जाप करना बहुत लाभदायक है क्योंकि यह मन की एकाग्र क्षमता को बढ़ाता है।
2. व्यक्ति भीतर से स्वस्थ और शक्तिशाली महसूस करता है।
3. सकारात्मक विचारों का मन-मस्तिष्क में अधिक विस्तार होता है।
4. बुरी शक्तियों को हमारे आभामंडल से दूर रखने में जाप बहुत सहायक है।
5. चंचल मन शांत, निर्भीक और स्थिर स्वभाव का हो जाता है।
जाप कैसे करें? ( Jaap Kaise Kare? )
1. यदि आप अपने किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए जाप कर रहे हैं तो उसके लिए कामना करें और फिर मंत्र का संकल्प ले।
2. जाप करने से पहले स्नान करें और उसके बाद ही घर में स्वच्छ स्थान पर आसन बनाकर बैठे व जप करें।
3. आसन पर बैठने की प्रक्रिया में बार-बार परिवर्तन न करें। एक ही तरीके से बैठकर जाप करना चाहिए।
4. जाप करते समय अन्य सभी बातों पर बिल्कुल भी ध्यान न दें।
5. मन्त्रों का उच्चारण जाप करते समय इस तरह किये जाये कि पास में बैठा आदमी भी वह समझ न सके और केवल होंठ हिले।
6. जाप करते समय मंत्रो का तालमेल व्यक्ति की सांस से होना चाहिए। उदहारण के लिए यदि कोई मंत्र साँस छोड़ते समय बोल रहें हैं तो उसे उसी समय बोले।
7. Vishnu Mantra का जाप करते समय ध्यान रखें कि वह Original Tulsi Mala हो क्योंकि यह माला उन्हें सबसे प्रिय है।
8. जाप करने के लिए माला को चुनना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि Maha Shiv Mantra का जाप करना है तो उसके लिए Original Rudraksha Mala सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
9. माला जाप करने के लिए पूर्व की दिशा का ही चयन करें यानी मुख को पूर्व की दिशा में रखें।
10. माला जाप करने के लिए निश्चित संख्या का होना बहुत जरुरी माना गया है।
जाप में उँगलियों के प्रयोग का महत्व ( Jaap me ungliyo ke prayog ka mahatva )
जाप के लिए यदि अनामिका ऊँगली का प्रयोग किया जाए तो शुद्धता मिलती है। कनिष्ठा ऊँगली से जाप करने से गुणों के विकास में वृद्धि होती है। जबकि घर में सुख-समृद्धि के लिए जाप करना हो तो मध्यम ऊँगली से जाप करना चाहिए।
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