Shardiya Navratri Day 8th Maa Mahagauri 2023 :
आप सभी को नवरात्रि के आठवे दिन की हार्दिक शुभकामनाये।
Maa Mahagauri – नवरात्रि के आठवें दिन ‘माँ महागौरी’ की पूजा की जाती है। हम माँ के नाम से ही अंदाज़ा लगा सकते है की माँ के इस रूप में कितनी शक्ति होगी।
‘महा’ का अर्थ है ‘अत्यंत’ और ‘गौरी’ का अर्थ है ‘श्वेत’।
महागौरी , महादेव की पत्नी ‘पार्वती माँ’ का ही स्वरुप है , मान्यता है की अगर कोई भी महागौरी माँ की पूजा और आराधना करता है तो उसकी मनोकामना ज़रूर पूरी होती है।
अगर किसी के विवाह में कोई अड़चन या दिक्कत आ रही हो,ऐसे में अगर वो भक्त माँ महागौरी की सच्चे मन्न से पूजा करता है तो उनकी विवाह से जुडी अड़चन दूर हो जाएगी और माँ महागौरी अपने आशीर्वाद से उस भक्ति की सारी रुकावट दूर कर देंगी।
अगर किसी की कुंडली में विवाह से जुडी कोई परेशानी है, तब उन भक्तो को माता महागौरी की आराधना ज़रूर करनी चाहिए।
माँ अपने भक्तों की सारी हल दूर कर देती है और अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती।
आज इस लेखन में हम आपको बताएंगे की कैसे माँ पारवती का नाम माहागौर पड़ा और कैसे माँ ने शेर को अपना वाहन बनाया ।
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Goddess Mahagauri ‘s Devotion: माँ महागौरी की अत्यंत तपस्या और रूपान्तरण
‘माँ महागौरी’ यानी की ‘माँ पारवती’ ने महादेव को अपने पति के रूप में पाने के लिए महादेव की 4000 से भी ज़्यादा सालों तक घोर तपस्या की।उस समय माँ सती के देह त्याग की वजह से महादेव वैरागी हो गये थे और संसार त्याग कर योग निद्रा में चले गए थे। जिस के कारण इस बार महादेव को पति रूप में पाने के लिए माँ को घोर तपस्या करनी पड़ी।
माँ हिमालय राज्य के राजा शैल और उनकी रानी मेनिका के वहां जन्मी थी, जिस कारन उन्हें शैलपुत्री भी कहा जाता है ।
राजकुमारी होने के बावजूद माँ ने महादेव को पाने के लिए अपना महल छोड़ दिया और जंगलों में घोर तपस्या करने चली गयी ,जहाँ उन्होंने केवल फल और फूल खाए, थोड़े समय बाद बस पेड़ से गिरे हुए पत्ते खाए और आखिर में उन्होंने निर्जल और निराहार हो कर तपस्या की।
जिस वजह से धीरे-धीरे माँ का शरीर बहुत कमज़ोर हो गया, उनका रंग भी गहरा और नीला पड़ने लगा, लेकिन उसके बावजूद माँ तपस्या करती रही।
ये सब देख कर सारे देवी-देवताओं ने मिल के महादेव को योग निद्रा से उठाने की ठानी और जैसे तैसे महादेव को योग निद्रा से उठाया और तब जा के महादेव माँ पारवती की तपस्या देखकर प्रसन्न हो गए और माँ पार्वती से विवाह कर लिया।
लेकिन इतनी घोर तपस्या के बाद माँ आदिशक्ति का रूप बहुत बदल गया था, तब एक बार महादेव माँ ने परिहास में माँ पारवती से कहा की आपका रूप तो बिलकुल महाकाली जैसा हो गया है, ये बात सुनकर माँ पारवती को बुरा लगा और उनके मन्न में अपना श्वेत रूप वापस पाने की ईच्छा प्रकट हुई।
Goddess Parvati ‘s Divine Transformation : माँ पार्वती का शेर वाहन और ‘महागौरी’ की प्राप्ति
माँ पार्वती इस बार ब्रह्मा जी से अपना श्वेत रूप वापस पाने के लिए तपस्या में लीन हो गयी। माँ पारवती जंगल में जा कर तप कर रही थी, तभी एक विशाल शेर वहां आ जाता है और माँ पार्वती को अपना शिकार बनाने की कोशिश करता है।जैसे ही वो शेर माँ के करीब जाता, तो माँ के तेज से वह शेर आगे नहीं भड़ पाता, वो शेर वही बैठकर माता की तपस्या ख़तम होने का इंतज़ार करने लगा और जब माँ की तपस्या ख़तम हुई तब ब्रह्मा जी ने माँ को अपना श्वेत रूप वापस पाने का आशीर्वाद दिया।
जब माँ तप से उठी तब उन्होंने शेर को उनका इंतज़ार करता देखा। ये देखकर माँ ने उस शेर को अपने पास रख लिया और उसे अपनी सवारी बना लिया। उस दिन के बाद से माँ पार्वती का रूप अत्यंत श्वेत रंग का हो गया, और बहुत कोमल हो गया और तबसे उनका नाम ‘महागौरी’ पड़ा और उस दिन से ही शेर माँ की सवारी बन गया। मान्यता है की माता के इस रूप की पूजा करने से भक्तों को सौंदर्य की प्राप्ति होती है और घर में सुख समृद्धि आती है।
Maa Mahagauri Pooja Vidhi | मां महागौरी की पूजा विधि
जलाभिषेक करें।
लाल चुनरी चढ़ाएं।
कुमकुम लगाएं।
फूलों की माला अर्पित करें।
हलवा पूड़ी का भोग चढ़ाएं।
दुर्गा सप्तशती या महागौरी चालीसा का पाठ
आरती से पूजन का समापन करें।
Maa Mahagauri Mantra
आप माँ की पूजा करते हुए इस मंत्र का जप कर सकते है।
‘ॐ महागौरिये नमः।
इस मंत्र का 108 बार जप करने से भक्तों की सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी और माँ का आशीर्वाद उस भक्त पर बना रहेगा।
Maa Mahagauri Meditation Mantra | माँ महागौरी ध्यान मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
वन्दे वांछित कामार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढाचतुर्भुजामहागौरीयशस्वीनीम्॥
Maa Mahagauri Aarti Lyrics | Navratri Day 8 Aarti
जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता।
कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥