Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    • Silver Jewellery
    • Spiritual T Shirt
    • Spiritual Locket
    • Spiritual Ring
    • Spiritual Bracelet
    0 Shopping Cart
    Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    0 Shopping Cart
    Home » Mahabharat: क्या एकलव्य कर्ण और अर्जुन से भी ज्यादा ताकतवर योद्धा था
    Mahabharat

    Mahabharat: क्या एकलव्य कर्ण और अर्जुन से भी ज्यादा ताकतवर योद्धा था

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiAugust 1, 2023
    mahabharat
    mahabharat
    Share
    Facebook WhatsApp

    आखिर क्यों किया था भगवान श्रीकृष्ण ने एकलव्य का वध।अगर गुरू द्रोणाचार्य एकलव्य का अंगूठा ना मांगते तो क्या वह कर्ण और अर्जुन से भी ज्यादा पराक्रमी योध्दा थे। धनुर्विद्या में महारत हासिल करने वाले एकलव्य की आखिर क्या है कहानी। जानने के लिए वीडियो को अंत तक देखें। और वीडियो पसंद आए तो लाइक जरूर करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हो तो चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले। और साथ ही साथ कमेंट बॉक्स में जय श्री कृष्णा लिखना ना भूलें। एकलव्य जोकि रिश्ते में भगवान श्रीकृष्ण के चचेरे भाई लगते थे, और धनुर्विद्या में माहिर इतने की सब उनकी इस विद्या का लोहा मानते थे। चचेरे भाई होने(Mahabharat) के बावजूद क्यों एकलव्य समझता श्रीकृष्ण को अपना दुश्मन। हरिवंश पुराण के हरिवंश पर्व अध्याय 34 के अनुसार महाभारत काल में प्रयाग के तटवर्ती प्रदेश में श्रृंगवेरपुर नाम के राज्य के प्रमाण मिलते है। जहां  निषादराज हिरण्यधनु का पूरा साम्राज्य था। मान्यता के अनुसार एकलव्य को स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने निषाद राजा को सौंप दिया था। तो वहीं गुरू द्रौषाचार्य और एकलव्य को लेकर एक खास प्रसंग हमें जानने को मिलता है।

    आखिर एकलव्य ने कैसे सीखी धनुर्विद्या

    जब गुरु द्रोणाचार्य हस्तिनापुर के राजकुमारों को धनुर्विद्या की शिक्षा देने आरम्भ कर रहे थे तो तभी एक दिन द्रोणाचार्य की भेंट एकलव्य से हुई। एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा देने को कहा था। लेकिन(Mahabharat) तब गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को शिक्षा देने से इंकार कर दिया था। क्योंकि वो अपने वचन से बाधित थे।क्योंकि उन्हें सिर्फ और सिर्फ हस्तिनापुर के राजकुमारों को ही धनुर विद्या सिखाने का प्रावधान था। गुरु द्रोणाचार्य के इंकार करने के बाद एकलव्य ने द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाई और उस मूर्ति को गुरु मान कर धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा। लगातार अभ्यास करने से वह भी धनुर्विद्या सीख गया।

    Also Read-महाभारत में पांडवों की नजर से कैसे जिंदा बच निकले थे ये कौरव

    क्यों एकलव्य को देख हैरान रह गए थे गुरू द्रोणाचार्य

    एक दिन पांडव और कौरव राजकुमार गुरु द्रोण के साथ शिकार के लिए पहुंचे। राजकुमारों का कुत्ता एकलव्य के आश्रम में जा पहुंचा और भौंकने लगा। कुत्ते के भौंकने से एकलव्य को अभ्यास करने में परेशानी हो रही थी। तब उसने बाणों से कुत्ते का मुंह बंद कर दिया। एकलव्य ने इतनी कुशलता से बाण चलाए थे कि कुत्ते को बाणों से किसी(Mahabharat) प्रकार की चोट नहीं लगी।गुरु द्रोण ने देखा तो वे धनुर्विद्या का ये कौशल देखकर दंग रह गए।गुरु द्रोण को लगा कि एकलव्य अर्जुन से श्रेष्ठ बन सकता है। तब उन्होंने गुरु दक्षिणा में उसका अंगूठा मांग लिया था और एकलव्य ने अपना अंगूठा काटकर गुरु को दे भी दिया। लेकिन इसके बाद भी एकलव्य का सफर खत्म नहीं हुआ। इसके बाद एकलव्य वापस अपने राज्य लौटा और निषादों का राजा बना। उसने निषाद भीलों की सेना बनाई और अपने राज्य का विस्तार किया। एक प्रचलित कथा के अनुसार एकलव्य श्रीकृष्ण को शत्रु मानने वाले जरासंध के साथ मिल गया था।

    Kedarnath Dham Graphic Printed T-Shirt

    बलराम और एकलव्य के बीच जब हुआ युद्ध

    एक कथा के अनुसार बलराम और एकलव्य के बीच भीषण युद्ध हुआ। जिसमे एकलव्य हार गया था। एकलव्य को चार अंगुलियों से धनुष चलाते देख भगवान श्री कृष्ण समझ गए थे कि यह पांडवों और उनकी सेना के लिए खतरनाक(Mahabharat) साबित हो सकता है। जिसके बाद आता है महाभारत का वो अध्याय जिसमें स्वयं भगवान श्रीकृष्म और एकलव्य का आमना-सामना हुआ था, और उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अपने सुदर्शन चक्र से एकलव्य का वध किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अर्जुन से भी कहा था कि अगर मैं एकलव्य का वध नहीं करता और गुरु द्रोणाचार्य छल पूर्वक एकलव्य का अंगूठा नहीं कटवाते तो वह इतने पराक्रमी थे कि देवता, दानव कोई भी मिलकर उन्हें युद्ध में परास्त नहीं कर सकता था। तो इस बात से यह सिद्ध होता है कि अगर गुरु द्रोणाचार्य उनका अंगूठा नहीं कटवाते तो वह कर्ण और अर्जुन से भी बड़े योद्धा होते, जिन्हें हराना शायद नामुमकिन होता।

    Share. Facebook WhatsApp
    Previous ArticleAyodhya Ram Mandir: 24 जनवरी 2024 को भगवान रामलला की होगी प्राण प्रतिष्ठा
    Next Article Hariyali Teej: जानिए इस बार हरियाली पर कौन सा योग बन रहा है

    Related Posts

    Mahabharat Story:कैसे गांधारी के एक श्राप से श्रीकृष्ण के कुल का हुआ अंत

    Mahabharat Story: महाभारत में पांडवों की नजर से कैसे जिंदा बच निकले थे ये कौरव

    Mahabharat story: क्या इस योध्दा के पास भी था कर्ण जैसा कवच

    Leave A Reply Cancel Reply

    Special for You

    भारत के वो 6 स्थान जिन्हे माना जाता है हनुमान भगवान का जन्म स्थान।

    Hanuman August 24, 2023

    हनुमान जी संसार के सबसे लोकप्रिय भगवान में से एक है और हज़ारो सालो से…

    भारत के प्रसिद्ध मंदिर।

    August 19, 2023

    सोमनाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है इसकी भविष्यवाणी।

    August 18, 2023

    Ganga Ji: सपने में गंगा जी देखना कैसा होता है।

    August 11, 2023
    Recent
    • भारत के वो 6 स्थान जिन्हे माना जाता है हनुमान भगवान का जन्म स्थान।
    • भारत के प्रसिद्ध मंदिर।
    • सोमनाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है इसकी भविष्यवाणी।
    • Ganga Ji: सपने में गंगा जी देखना कैसा होता है।
    • Dhan ki Varsha: यदि आपके पर्स में होंगी ये 5 चीजे तो माँ लक्ष्मी करेगी धन की वर्षा

    भारत के वो 6 स्थान जिन्हे माना जाता है हनुमान भगवान का जन्म स्थान।

    Hanuman August 24, 2023

    हनुमान जी संसार के सबसे लोकप्रिय भगवान में से एक है और हज़ारो सालो से…

    सोमनाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है इसकी भविष्यवाणी।

    Mahadev August 18, 2023

    क्या आज के समय में जो कुछ भी हो रहा है,उसका वर्णन पहले हीं हो…

    Recent Posts
    • भारत के वो 6 स्थान जिन्हे माना जाता है हनुमान भगवान का जन्म स्थान।
    • भारत के प्रसिद्ध मंदिर।
    • सोमनाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है इसकी भविष्यवाणी।
    • Ganga Ji: सपने में गंगा जी देखना कैसा होता है।
    • Dhan ki Varsha: यदि आपके पर्स में होंगी ये 5 चीजे तो माँ लक्ष्मी करेगी धन की वर्षा
    Top Product
    • Silver Jewellery
    • Spiritual T Shirt
    • Spiritual Locket
    • Spiritual Ring
    • Spiritual Bracelet
    Imp Links
    • Privacy Policy
    • Shipping and Delivery Policy
    • Terms and Conditions
    • Disclaimer
    • Privacy Policy
    • Shipping and Delivery Policy
    • Terms and Conditions
    • Disclaimer
    © 2022-23 Prabhubhakti Private Limited

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.