Unique Blessing of Maa Durga God | देवी माँ का अद्वितीय आशीर्वाद : छोटे गाव के भक्त की अनूठी कहानी
Unique Blessing of Maa Durga God – माँ अपने भक्तों पर सदा अपनी दृष्टि बनाए रखती हैं, माँ अपने भक्तों को अपना आशीर्वाद अलग अलग तरीके से देती है, आईये देखते हैं एक ऐसा आशीर्वाद जिसे देखकर आपके भी उड़ जाएंगे होश।
रमेश जी और उनका परिवार मध्य प्रदेश के एक छोटे से जिले के छोटे से गाव मे रहता हैं। परिवार के साथ-साथ पूरा गाव देवी दुर्गा माँ का भक्त था; पूरा गाव देवी माँ को रोज पूजा करता था। लेकिन कोई और भी था जो देवी माँ को अपनी प्राणों से ज्यादा मानता था, वो थी रमेश की बहन ईशा; दरअसल ईशा का जन्म नवरात्रियों के दिनों मे ही हुआ था, जिस वजह से ईशा माँ दुर्गा की पूरे गाव मे सबसे बड़ी भक्त थी।
Witnessing Her Mother in the Form of Maa Durga God | भक्त की अनूठी भक्ति : माँ दुर्गा के रूप में अपनी माँ का दर्शन
खुद बाद मे खाना पहले देवी माँ को खिलना, और सच्चे दिल से देवी माँ से बात करना, ईशा शुरू से ही कहती थी की उसके सपने मे एक बहुत सुंदर स्त्री आती हैं, वह स्त्री ईशा को मेरी बच्ची कह कर पुकारा करती है। ईशा दिल और दिमाग दोनों से ही बहुत कोमल थी उसके लिए उसकी माँ दुर्गा ही सब कुछ थी।
लेकिन एक वक्त ऐसा आया जिसे रमेश के पूरे परिवार वालों को एक माँ दुर्गा का अलग रूप देखने को मिला। नवरात्रि आई पूरे गाव मे नवरात्रि की अलग ही धूम थी, दूसरी तरफ रमेश का परिवार जिसमे ईशा जो की पूरे गाव मे सबसे ज्यादा खुश थी। ईशा ने नवरात्रि के लिए इतनी सारी चीजे प्लान की हुई थी की आज वो माँ देवी को धरती पर बुला ही लेगी।
Maa Durga God Devotion | माँ दुर्गा की भक्ति: भक्त का नृत्य जो दिलों को छू गया
सुबह-सुबह ईशा पूजा की सारी तैयारी करती हैं और गाव के ही एक दुर्गा माँ के मंदिर मे अपने परिवार के साथ पहुँचती। जहा पूजा करने के बाद ईशा अपने परिवार के साथ ही मंदिर मे हो रहे भजन मे बैठ जाती हैं। कुछ समय बैठने के बाद ईशा अपनी कुछ सहेली के साथ भजन मे नाच करने के लिए चली जाती हैं।
ईशा माँ दुर्गा के भजन के नाच मे इतना मगन थी की माँ दुर्गा उसके नृत्य और श्रद्धा भक्ति से इतनी खुश हुई की उन्होंने ईशा को आशीर्वाद के तौर पर स्वय ईशा के शरीर मे प्रकट हो गई। जिससे ईशा के शरीर मे कंपन्न होने लगी, और उसने भजन मे जल रही कुंड के बचे गरम गरम कोयले को अपने मुह मे धर कर निगल लिया। लेकिन ईशा के शरीर को कुछ नुकसान नहीं हुआ, क्यूंकी जिस पर माँ दुर्गा प्रकट हुई हैं उसे भला कैसे कुछ हो सकता हैं। जब अपनी माँ अपने बच्चों पर एक आच नहीं आने देती तो भला दुर्गा माँ भी अपने बच्चों पर कैसे कोई आच आने देती।ईशा ये देख कर हैरान थी की आखिर ये सब लोग ऐसा क्यू कर रहे हैं। क्यूंकी ईशा के अंदर माता प्रकट होने से अनजान थी उसे नहीं मालू था जो भी उसके साथ हुआ।
Extraordinary Love for Maa Durga God | अद्वितीय भक्ति: भक्त का अद्वितीय माँ दुर्गा के प्रति प्रेम
कुछ देर बाद रमेश का परिवार ईशा को घर ले गया, और घर पर आकर ईशा सोने चली गई। लेकिन जब ईशा सो कर उठी, तो पूरे घर वालों की नजर ईशा की हरकतों पर गई। यह बात सब जानते थे की ईशा माँ दुर्गा की कितनी बड़ी भक्त हैं, पूरा परिवार ईशा की आस्था से खुश था। लेकिन जो आज ईशा की आस्था मे दिखाई दे रहा था, वो साधारण नहीं था।
ईशा पूरा माँ दुर्गा का शृंगार करे बैठी माँ दुर्गा की पूजा कर रही हैं, कुछ वक्त के लिए सबने यह सोच की नवरात्रि हैं शायद इसलिए ईशा माँ दुर्गा को और प्रसनन करने के लिए शृंगार किया हैं। लेकीन तभी ईशा जोर-जोर से माँ दुर्गा के ऐसे सांस्कृतिक मंत्रों का जाप करने लगी, जो ईशा के लिए बोल पाना बहुत कठिन हैं। ईशा बस अभी सिर्फ 12 साल की हैं, और किसी बच्ची के लिए इतनी सटीक और साफ मंत्रों का जाप यह पूरे परिवार वालों को काफी अचमबीत कर रहा था।
Abundant Devotion: Devotee Stance Strikes Fear in Hearts | अद्वितीय भक्ति से भरपूर: भक्त की रूख ने दिलों में डर डाला
सबने ईशा को बुलाया और पूछने की कोशिश करी लेकिन ईशा का कोई जवाब नहीं था, ईशा ने परिवार वालों की तरफ देखा तक नहीं। इतना माँ दुर्गा की भक्ति मे नील हो जाना यह सभी को सोचने पर मजबूर कर रहा था। कुछ वक्त बीता लेकिन ईशा का मंत्रों का जाप अभी तक नहीं रुका। अब सब लोग डरने लगे थे, ईशा ने अपने व्रत मे कुछ खाया पिया तक नहीं था, लेकिन ईशा के चेहरे से ऐसा कुछ मालूम नहीं हो रहा था की उसे भूख-पियास भी हैं भी, उसे तो बस माँ दुर्गा की भक्ति की ही भूख-पियास थी।
रात के 8 बज चुके थे, ईशा माँ दुर्गा की भक्ति से उठी; और माता रानी के लिए प्रशाद की व्यवस्था करने लगी, उस वक्त सबने ईशा से पूछने की कोशिश करी लेकिन ईशा किसी की बातों का जवाब ही नहीं दे रही थी। रसोईघर से घर के मंदिर मे प्रशाद लेकर जा ही रही थी, तभी रमेश ने उसे पकड़ कर रोका, पलक झपकते ईशा ने रमेश की तरफ अपनी लाल आँखों से देखा। उस वक्त घर मे एक अलग ही डर का माहोल बन गया था। ईशा ने उसे लाल भरी आँखों देखा और कहा छोड़ मुझे नहीं तो तेरे शरीर से तेरा सर अलग कर दूंगा, इतना सुनते ही रमेश ने ईशा को छोड़ दिया।
Blessings and Miraculous Event: The Glory of Mother Durga in Devotee Body | आशीर्वाद और अद्वितीय घटना: माँ दुर्गा की महिमा भक्त के शरीर में
सब डरे हुए थे क्युकी शरीर ईशा का और आवाज किसी और की, अभी बस सबके मन मे ऐसे सवाल थे जिनके जवाब मिलने असंभव से लग रहे थे। ईशा के पिता जल्द से जल्द उसी मंदिर मे गए और वहाँ से पंडित को घर लेकर आए और ईशा की सारी हरकतों के बारे मे बताया।
फिर पंडित जी ने अपने पास धरा गंगा जल ईशा पर डाला लेकिन ईशा को कुछ नहीं हुआ, अब पंडित जी सब समझ चुके थे; वह ईशा के पास जाते हैं और और ईशा के सर पर हाथ धर कर कहते हैं। “मेरे प्यारे बच्चे माता ने कहा है की अब तू सोजा कल सुबह उठकर कर भी तो मेरी आराधना करनी हैं” इतना कहते ही ईशा तभी के तभी सो गई।
तब पंडित जी ने घर पर बताया की इसके अंदर एक एसी आत्मा हैं जिस पर स्वयं माँ दुर्गा का आशीर्वाद हैं या यू कहो की माँ दुर्गा ने ही इस आत्मा को ईशा के शरीर मे भेजा हैं, देखिए आपकी बेटी माँ दुर्गा की बहुत बड़ी भक्त हैं और माँ दुर्गा भी इससे प्रसन हैं, यह आत्मा सिर्फ 9 दिन की मेहमान हैं, जो 11 कन्याओ को भोग लगाते ही ईशा के शरीर को त्याग देगी। और हर रात आपको ईशा को इसी प्रकार सुलाना हैं जैसे आज मैंने सुलाया हैं।पंडित जी की बात सुनने के बाद हम सभी ने ऐसा ही किया, और इस सब को माँ दुर्गा का उदेश्य समझ कर पूरा किया।
Maa Durga Mantra | माँ दुर्गा का मंत्र
देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
अर्थ: हे मां! आप सर्वत्र विराजमान हैं, शक्ति का रूप हैं, मां अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।
Maa Durga Aarti Lyrics | माँ दुर्गा की आरती के बोल:
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी