क्या सच में लुप्त हो जाएगा केदारनाथ। क्या है इसकी कहानी। और आखिर क्या है केदारनाथ (Kedarnath Mandir) शिवलिंग का रहस्य,,, 400 सालों तक कहा था केदारनाथ मंदिर,,, कहा अचानक लुप्त हो गया था केदारनाथ मंदिर,,अचानक एक दम कहां से प्रकट हुआ केदारनाथ में शिवलिंग। क्या सच केदारनाथ को पांडवों ने बनवाया है,, या फिर बात कुछ और है।
क्या है केदारनाथ मंदिर का रहस्य। kedarnath mandir ka rahasya
केदारनाथ,,,धरती का स्वर्ग कहे जाने वाला केदारनाथ आज हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल बन चुका है। लोग सपने देखते है केदारनाथ (Kedarnath Mandir)जाने की, और बहुत कम जिनकों भगवान शिव का बुलावा आता है उनका सपना पूरा भी हो जाता है। पहाड़ियों की गोद में बसा हुआ केदारनाथ जितना सुदंर और अद्भुत है उतने ही इस मंदिर के चमत्कार भी प्रचलित है। मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित है। कुछ लोग कहते है कि यह मंदिर 8वी शताब्दी में आदिशंकराचार्य द्वारा बनाया गया। तो वहीं कुछ लोग कहते है इस पांडवो ने बनवाया। वहीं यह भी कहा जाता है कि यह मंदिर पूरे 400 वर्षों तक बर्फ में छिप गया है। तो आइए जानते है कि इन तथ्यों में कितनी सच्चाई है।
क्या 400 सालों तक बर्फ में दबा रहा केदारनाथ
वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि केदारनाथ मंदिर( Kedarnath Mandir)पूरे 400 सालों तक बर्फ में ढका रहा । वैज्ञानिकों के अनुसार13वीं शताब्दी से 17 वीं शताब्दी यानि 400 साल तक एक छोटा हिमयुग आया। जिसके चलते हिमाचल का बड़ा क्षेत्र बर्फ के अंदर दब गया। उसमें मंदिर का यह क्षेत्र भी शामिल था। वैज्ञानिकों के अनुसार मंदिर की दीवार और पत्थरों पर आज भी यह निशान देखें जा सकते है। दरअसल केदारनाथ का यह हिस्सा चारोबारी ग्लेशियर का हिस्सा है। वहीं वैज्ञानिकों ने कहा है कि ग्लेशियर के लगातार पिघलते रहने से भविष्य में भी ऐसी जलप्रय जैसी प्राकृतिक आपदाएं आ सकती है।
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क्या सच में लुप्त हो जाएंगे केदारनाथ। kya lupt ho jaaygea kedarnath mandir
पुराणों की भविष्वाणी के अनुसार इस समूचे क्षेत्र के तीर्थस्थल लुप्त हो जाएंगे।माना जाता है कि जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे। ब्रदीनाथ का मार्ग पूरी तरह से बंद हो जाएगा, और भक्त बद्रीनाथ के दर्शन नहीं कर पाएंगे। पुराणों के अनुसार वर्तमान में केदारेश्र्वर धाम( Kedarnath Mandir)और ब्रदीनाथ धाम लुप्त हो जाएंगे, और वर्षों बाद भविष्य में भविष्बद्री नामक नए तीर्थ का उद्गम होगा।
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किसने की केदारनाथ मंदिर की खोज।kedarnath mandir ki khoj kisne ki
मान्यता है कि महाभारत के बाद पांडव अपने गोत्र बंधुओं की हत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान शिव की शरण में जाना चाहते थे। और इसके लिए वह भगवान शिव की खोज करने हिमालय की ओर गए। तब भगवान शिव अंतर्ध्यान होकर केदार में (Kedarnath Mandir)जा बसे।पांडव भी उनके पीछे केदार पर्वत पहुंच गए। तब भगवान शिव ने पांडवों को आता देख भैंसे का रूप धारण कर लिया और पशुओं के बीच में चले गए। भगवान शिव के दर्शन पाने के लिए पांडवों ने एक योजना बनाई और भीम ने विशाल रूप धारण कर अपने दोनों पैर केदार पर्वत के दोनों और फैला दिए।सभी पशु भीम के पैरों के बीच से गुजर गए, लेकिन भैंसे के रूप में भगवान शिव भीम के पैर के नीचे से निकले।
तभी भगवान शिव को पहचान कर भीम ने भैंसे को पकड़ना चाहा तो वह धरती में समाने लगा। तब भीम ने भैंसे का पिछला भाग कस कर पकड़ लिया।भगवान शिव पांडवों की भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर पाप से मुक्त कर दिया। कहा जाता है कि तभी से भगवान शिव की यहां भैंसे की पीठ की आकृति के रूप में पूजे जाते हैं। मान्यता है कि इस भैंसे का मुख नेपाल में निकला, जहां भगवान शिव की पूजा पशुपतिनाथ के रूप में की जाती है।