जयपुर का अद्भुत मंदिर, भगवान विष्णु का 10 वां अवतार कल्कि (kalki bhagwan)
भारत कितना सुंदर नाम हैं यहा के लोग, स्थान व मंदिर बाकी देशों से कितना भिन्न हैं। और भारत देश के मंदिर में तो हमेशा से ही भगवानों की आस्था बनी रही हैं, क्यूंकी भारत एक ऐसा देश हैं, जहा कई प्रकार के अन्य मंदिर हैं, और इन सभी मंदिरों की गिनती कर पाना लग-भग मुश्किल हैं। और हर एक मंदिर की अपनी अपनी अलग कहानी हैं। जो बया करती हैं, की हमारे सनातम धर्म कितना सर्वश्रेष्ट धर्म हैं। (kalki bhagwan)
जिस तरह भारत मे कई प्रकार के मंदिर हैं, उसी तरह जयपुर के अन्य मंदिरों के बीच एक ऐसा मंदिर हैं, जिसके धार्मिक और रहस्यम के अस्तित्व से लोग अंजान हैं। जिस तरह भारत का हर एक मंदिर किसी न किसी देवी देवता के अस्तित्व की पूजा करता हैं, वही दूसरी तरफ राजस्थान की गुलाबी नगर कहे जाने वाले शहर जयपुर में एक ऐसा भगवान का मंदिर हैं जिनका अभी जन्म तक नहीं हुआ।
जी हाँ…! हम बात कर रहे हैं भगवान विष्णु के दसवे व आखिरी कल्कि अवतार के मंदिर के बारे मे। जिनका अभी जन्म तो नहीं हुआ ऐन लेकिन इस मंदिर की स्थापना बहुत साल पहले ही करदी गई हैं। वैसे तो बहुत कम लोग ही मंदिर के बारे मे जानते हैं, लेकिन इसका निर्माण सन 1739 मे जय सिंह द्वितीय जिन्हे सवाई राजा जय सिंह के नाम से भी जाना जाता हैं। उन्होंने इस मंदिर का निर्माण अपने महल के पास ही करवाया था, और यह मंदिर उन भगवान का हैं जिन्होंने अभी जन्म तक नहीं लिया हैं।
पौराणिक कथाओ की माने तो यह मंदिर का निर्माण होना कोई संयोग नहीं हैं। इस मंदिर का निर्माण पौराणिक कथाओ मे बहुत सालों पहले हो चुका हैं, इस मंदिर मे अभी भगवान कल्कि की घोड़े पर सवार प्रतिमा के साथ साथ भगवान विष्णु, माँ लक्ष्मी, ब्रह्मा देव, और भगवान शिव और पार्वती की प्रतिमाए हैं। जिन्हे वहाँ के स्थानीय वासी पूजा करते हैं।
लेकिन इस मंदिर का असल चमत्कार तो इस मंदिर के मुख्य दरवाजे सामने बनी खुले अहाते में एक छतरीनुमा गुमटी मे है जो चारों ओर से जाली वाले पत्थरों से ढकी हुई है, बंद गुमटी में बेशकीमती मार्बल के घोडे़ की मूर्ति बनी हुई है, जिसका बाया पैर खंडित हैं, जब इस मूर्ति का निर्माण हो गया था, तब वहाँ के लोगों को मालूम चला की इस मूर्ति का बाया पैर खंडित हैं। कई कोशिशों के बाद भी जब उस निशान को भरा न जा सका तो उसे ऐसे ही छोड़ दिया गया।
बीतते समय के साथ लोगों ने ध्यान दिया तो उन्हे मालूम चला की मूर्ति का खंडित पैर जिस पर लगा निशान अपने आप धीरे धीरे भर रहा हैं, तो उन्होंने इस निशान को चोट का नाम दे दिया। लेकिन घोड़े की मूर्ति के पैर पर चोट का निशान बनना कोई साधारण घटना नहीं थी। दरअसल इस मूर्ति का वर्णन भी हमे कल्कि पुराण मे देखने को मिलता हैं, जिसमे बताया गया हैं की कलयुग जब अपनी चरम सीमा पर होगा और पाप का घड़ा भर जाएगा तब भगवान विष्णु का दसवा व आखिरी कल्कि अवतार जन्म लेंगे। तब यह घोड़े की प्रतिमा जीवित होगी और भगवान कल्कि की कलयुग के महा युद्ध मे मदद करने आएगी।
जब जब धरती पर अधर्म और पाप बड़ा हैं, तब तब भगवान ने धरती पर अवतार लिया। बिल्कुल इसी तरह भगवान एक बार फिर धरती पर जन्म लेंगे और इस बार भी यही होगा, भगवान विष्णु का एक और अवतार अवत्रित होगा। और बुराई का सरविनाश करेगा।
जिस तरह हर युग मे हर भगवान का एक वहान होता हैं उसी तरह kalki bhagwan का भी एक वहान होगा, और वे और कोई नहीं जयपुर मे रखे मार्बल के बने घोड़े की मूर्ति होगी, जिसका नाम देवदत होगा और वह कलयुग के अंत मे जीवित होगी। और राक्षस कली का सरविनाश करने मे kalki bhagwan की मदद करेगी।
स्थानीय लोगों का मानना हैं की मूर्ति के पैर का घाव समय के साथ नहीं बल्कि यह बड़ते पाप के चलते भरता हैं। अगर पाप होने की गति धीमी हैं तो घाव उतना ही धीरे भरते हैं दूसरी तरफ पाप अगर अपनी रफ्तर से बढ़ता हैं तो यह घाव भी जल्दी ही भरता हैं।
यही कारण हैं की इस मंदिर की पहले की तस्वीरों और अब के घाव मे बहुत ज्यादा अंतर देखने को मिलता हैं, अब वो समय दूर नहीं जब भगवान कल्कि का वहान जाग उठेगा और बुराई का संगारक्ष करने भगवान कल्कि(kalki bhagwan )की मदद करने आएगा।