हिन्दू महाकाव्यों में कितने प्रकार के धनुषों का वर्णन मिलता है? | How many types of bows are described in Hindu epics?
रामायण हो या महाभारत इन दोनों महाकाव्यों में जितनी महत्वपूर्ण भूमिका युद्ध और योद्धाओं की थी,उतने ही महत्वपूर्ण उनके अस्त्र थे। वो अस्त्र जिनके माध्यम से योद्दाओं ने अपनी वीरता का इतिहास लिखा। यूं तो हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में अनेकों अस्त्रों-शस्त्रों का वर्णन मिलता है। लेकिन इन सब में धनुष बाण की अपनी एक अलग विशेषता है। पुराणों में धनुष को शस्त्र और उससे निकलने वाले बाण को अस्त्र कहा गया है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में केवल योद्धाओं के ही नहीं,बल्कि देवताओं के धनुषों का भी वर्णन मिलता है। जिस प्रकार अर्जुन गांडीव और कर्ण का विजय धनुष का प्रयोग किया करते थे।ठीक उसी प्रकार महादेव पिनाक और भगवान विष्णु शारंग धनुष का प्रयोग करते थे। रामायण में भगवान श्री राम ने जिस धनुष का प्रयोग किया उसका नाम कोदंड था और श्री कृष्ण ने द्वापरयुग में जिस धनुष का प्रयोग किया था,वो स्वयं नारायण का शारंग धनुष था। तो आखिर इन सभी धनुषों में,कौन था हिन्दू पौराणिक इतिहास का सबसे शक्तिशाली धनुष? आइये जानते हैं।
कैसे हुआ इन तीन शक्तिशाली धनुषों का निर्माण? | How were these three mighty bows made?
प्राचीन काल में कण्व नामक एक बड़े सिद्ध ऋषि हुए,जो अपनी कठोर तपस्या के लिए सम्पूर्ण विश्व में विख्यात थे। एक बार ऋषि कण्व ने सदियों तक तपस्या की और ध्यान-साधना की चरम सिमा को प्राप्त कर लिया। लेकिन इतने वर्षों तक उसी अवस्था में बैठे रहने के कारण,उनके शरीर पर दीमक लग गए और चारों ओर पौधे उग आए। ऋषि कण्व की इस प्रचंड तपस्या से प्रसन्न हो,स्वयं ब्रह्मदेव उनके समक्ष प्रकट हुए और उन्हें वरदान दिया। लेकिन तभी ब्रह्मदेव का ध्यान ऋषि कण्व के शरीर पर उगे गठीले बांसों पर पड़ा,जिनकी मज़बूती की कोई सीमा नहीं थी। इससे पहले कोई असुर उन दिव्य बांसों का प्रयोग करे,उससे पहले ब्रह्मदेव ने उन बांसों को काट कर देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा को दे दिया। विश्वकर्मा ने इन दिव्य और कठोर बांसों से तीन प्रचंड धनुषों का निर्माण किया। जिनमें से एक धनुष का नाम पिनाक,दूसरे का शारंग और तीसरे धनुष का नाम गांडीव रखा। ब्रह्मदेव ने इन तीनों दिव्य धनुषों को देवताओं के राजा इन्द्र को सौंप दिया था। कहते हैं अग्निदेव के मांगने पर इन्द्र ने उन्हें गांडीव धनुष से दिया और बाद में एक कठोर तपस्या के बाद अर्जुन को अग्निदेव से गांडीव प्राप्त हुआ।
अर्जुन के गांडीव और कर्ण के विजय धनुष में,कौन था सबसे शक्तिशाली? | Among Arjuna’s Gandiva and Karna’s Vijay Dhanush, which one was the most powerful?
कौरवों की विशाल और प्रचंड नाग रूपी सेना के मुंह से,जीत छीनने वाले वीर पांडव योद्धा का नाम था अर्जुन। जिस प्रकार पांडवों की जीत में अर्जुन की महत्वपूर्ण भूमिका रही,ठीक उसी प्रकार गांडीव धनुष ने अर्जुन की जीत में निर्याणक भूमिका निभाई। वो गांडीव धनुष ही था,जिसके प्रयोग से अर्जुन ने वीरता के अनेकों अध्याय लिखे और महाभारत के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कहलाए। भगदत्त,जयद्रथ और कर्ण जैसे महारथियों का वध अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष से हीं किया था। पितामह भीष्म को बाणों की सैय्या पर भेजने से लेकर समस्त कौरव सेना के संहार में,अर्जुन और उसके गांडीव धनुष की बड़ी निर्णायक भूमिका रही थी। लेकिन जिस धनुष ने गांडीव को टक्कर दी,उसका नाम था विजय धनुष। विजय धनुष किसी भी प्रकार के अस्त्र या शस्त्र से खंडित नहीं हो सकता था,इससे तीर छुटते ही भयानक ध्वनि उत्पन्न होती थी और इसी के प्रयोग से कर्ण ने अर्जुन को पूरी चुनौती दी थी। विजय धनुष अंगराज कर्ण का दिव्य धनुष था,जो उन्हें गुरु परशुराम द्वारा प्राप्त हुआ था और इसी के प्रयोग से कर्ण ने पांडवों में खलबली मचा दी थी। लेकिन कर्ण की मृत्यु विजय धनुष भी ना रोक सका और अर्जुन विजयी रहे।
श्री राम के धनुष का क्या नाम था? | What was the name of Shri Ram’s bow?
जिस प्रकार महाभारत काल के धर्म स्थापना में गांडीव धनुष की महत्वपूर्ण भूमिका रही,ठीक उसी प्रकार रामायण काल के धर्म स्थापना में कोदंड धनुष ने बड़ी निर्णायक भूमिका निभाई। श्री रामचंद्र जी ने रामायण में इसी धनुष का प्रयोग किया था और इसी वजह से श्री राम को कोदंड नाम से भी जाना जाता है। श्री राम का ‘कोदंड रामालयम मंदिर’ इस बात का प्रमाण है। कोदंड एक ऐसा धनुष था,जिसका छोड़ा गया बाण लक्ष्य को भेदकर ही वापस आता था। इसलिए रामायण में प्रभु ने बहुत कम बार इस धनुष का प्रयोग किया। उन्होंने कोदंड का प्रयोग विकट स्थियों में ही किया। इसी के प्रयोग से श्री राम ने समुन्द्र को सुखाने का प्रयत्न किया था। तुलसीदास जी ने भी,अपनी रचना श्री रामचरितमानस में कोदंड धनुष का वर्णन किया है। जब इंद्रपुत्र जयंत कौवे के रूप में माता सीता को चोंच माकर भागा था,तब श्री राम ने कोदंड धनुष के अनुसंधान से एक दिव्य तीर उस पर छोड़ दिया था। जयंत कौवे के रूप में इधर-उधर भागता रहा,लेकिन उस अभेद्य तीर ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। उस तीर ने जयंत का हर लोक और हर ब्रह्माण्ड में पीछा किया। अंत में जयंत श्री राम के शरण में गया और उसकी जान बच गई।
शिव जी के पिनाक और भगवान विष्णु के शारंग धनुष में,कौन था सबसे शक्तिशाली? | Between Shiva’s Pinaka and Lord Vishnu’s Sharang Dhanush, who was the most powerful?
श्री राम के कोदंड धनुष के सामान ही,पिनाक और शारंग भी एक अत्यंत शक्तिशाली धनुष थे। गांडीव के अलावा ये अन्य दो धनुष थे,जो ऋषि कण्व के शरीर पर उगे बांसों से बने थे और ब्रह्मदेव ने इन्हे इन्द्र को दे दिया था। लेकिन इंद्रदेव यह जानना चाहते थे कि,पिनाक और शारंग में कौन सा धनुष सबसे शक्तिशाली है। इसलिए उन्होंने पिनाक धनुष को शिव जी को दे दिया और शारंग धनुष विष्णु जी को दिया। इसके बाद इन्द्र ने दोनों देवों से आपस में युद्ध करने को कहा,ताकि वे जान सकें कि इन दोनों में सबसे शक्तिशाली धनुष कौन सा है? दोनों देवताओं ने इन्द्र की प्रार्थना स्वीकारी और आपस में बड़ा गहन युद्ध किया। कहते हैं इस युद्ध में शिव जी का पिनाक धनुष,विष्णु जी के शारंग धनुष से हार गया और बाद में शिव जी ने इस धनुष को अपने शिष्य परशुराम को दे दिया। श्री रामचरितमानस के सीता स्वयंवर में,प्रभु श्री राम ने इसी धनुष को तोड़ा था। उधर भगवान विष्णु ने भी शारंग धनुष को अपने पास नहीं रखा और वरुणदेव को दे दिया। द्वापरयुग में श्री कृष्ण को शारंग धनुष वरुण देव द्वारा हीं प्राप्त हुआ था। बाकी आप किस धनुष को सबसे शक्तिशाली मानते हैं? हमें कमेंट कर के जरूर बताइएगा