Hanuman ji ki kripa: जब हनुमान जी आये अपने भक्तो को बचाने
Hanuman ji ki kripa: यह कहानी शुरू होती हैं, साल 2014 से जब रंजीत पांडे जी अपने 3 दोस्तों के साथ एक हॉस्टल के बने एक कमरे मे रहते थे, जिसमे एक दोस्त का नाम कार्तिक और दूसरे का नाम आयुष था। तीनों ही आपस मे पक्के दोस्त थे।लेकिन एक रात एसी थी जिसमे इन लोगों के लिए हनुमान के प्रति प्रेम और भरोसे की भावना बहुत बड़ गई।
शनिवार की रात तीनों दोस्त अपने कमरे मे आराम कर रहे थे, उन्मे से आयूष कहता हैं चलो बाहर टहलने चलते हैं, कार्तिक और रंजीत दोनों मना करते हैं और कहते हैं, रात के 10 बज रहे है इस वक्त बाहर जाना सही नहीं होगा। लेकिन आयूष अपनी जिद्द पर था वो जैसे-तैसे दोनों को मना लेता हैं, और फिर तीनों बाहर जाते हैं।लेकिन एक रात एसी थी जिसमे इन लोगों के लिए हनुमान के प्रति प्रेम और भरोसे की भावना बहुत बड़ गई।`
Sankatmochan Hanuman Ji :आपातकाल के दूत
शनिवार की रात तीनों दोस्त अपने कमरे मे आराम कर रहे थे, उन्मे से आयूष कहता हैं चलो बाहर टहलने चलते हैं, कार्तिक और रंजीत दोनों मना करते हैं और कहते हैं, रात के 10 बज रहे है इस वक्त बाहर जाना सही नहीं होगा। लेकिन आयूष अपनी जिद्द पर था वो जैसे-तैसे दोनों को मना लेता हैं, और फिर तीनों बाहर जाते हैं। लेकिन एक रात एसी थी जिसमे इन लोगों के लिए हनुमान के प्रति प्रेम और भरोसे की भावना बहुत बड़ गई। शनिवार की रात तीनों दोस्त अपने कमरे मे आराम कर रहे थे, उन्मे से आयूष कहता हैं चलो बाहर टहलने चलते हैं, कार्तिक और रंजीत दोनों मना करते हैं और कहते हैं, रात के 10 बज रहे है इस वक्त बाहर जाना सही नहीं होगा। लेकिन आयूष अपनी जिद्द पर था वो जैसे-तैसे दोनों को मना लेता हैं, और फिर तीनों बाहर जाते हैं।
रंजीत और कार्तिक के मन मे बस यही चल रहा था की बाहर का एक चक्कर लगा कर जल्दी हॉस्टल वापिस आ जाएंगे। तीनों जाते तो जल्दी वापिस आने के लिए हैं, लेकिन रात के अंधेरे मे बातें करते करते थोड़ा ज्यादा ही आगे निकल जाते हैं।अब तीनों को वापिस जाना होता हैं लेकिन जब वापिस आते हैं, तो 2 रास्ते हॉस्टल वापिस जाने के होते हैं, तीनों ही थक गए थे तो छोटा वाला रास्ता लेते हैं।तीनों आराम से जा ही रहे होते हैं, तभी कार्तिक बोलता हैं “ये रास्ता कितना डरावना हैं पूरा जंगलों से घिरा हुआ हैं, मुझे तो बहुत डर लग रहा हैं” रंजीत, कार्तिक को बोलत हैं अब ज्यादा दूर नहीं हैं पँहुचने ही वाले हैं।
Shree Hanuman Ji : अद्वितीय बल की उपासना
आयुष रात के अंधेरे का फायेदा उठाते हुए कार्तिक को डराने लगता हैं, और कहता है “सुना है रात के अंधेरे मे भूत घूमते हैं” ये सुनने के बाद कार्तिक थोड़ा और डर जाता हैं, जिससे वह जल्दी हॉस्टल चलने के लिए बोलता हैं।तीनों थोड़ा आगे जाते ही है, अचानक से कार्तिक धड़ाम से नीचे गिर जाता हैं और चिल्लाते हुए उनसे आगे भाग जाता हैं। यह देखने के बाद रंजीत और आयुष दोनों डर जाते हैं और कार्तिक की पीछे भागने लगते हैं, लेकिन कार्तिक कही अंधेरे मे ही गायब हो जाता हैं। आयुष और रंजीत, कार्तिक को हर जगह आवाज लगाते हैं, लेकिन कार्तिक का कोई जवाब नहीं मिलता।दोनों और आगे जाते हैं कार्तिक को ढूँढने के लिए, कुछ दूर चलते ही दोनों को कार्तिक बेहोशी की हालत मे मिलता हैं।
दोनों कार्तिक को जगाने की कोशिश करते हैं, थोड़ी मेहनत करने पर कार्तिक को होश आया। रंजीत पूछता हैं हुआ क्या था भागा क्यूँ? कार्तिक बड़ा डरता हुआ और धीमी आवाज मे कहता हैं, “तुम दोनों आगे चल रहे थे मैं तुम लोगों से थोड़ा पीछे था अचानक मुझे किसी ने जोर से नीचे की ओर धक्का दिया, मुझे कुछ नहीं सुझा और मैं वहा से भाग गया; थोड़ा आगे जाकर मुझे एक औरत दिखी जो मुझे बहुत भयानक तरीके से घूर रही थी, उसे देखने के बाद मैं बेहोश हो गया।“
भगवान हनुमान के चमत्कार
रंजीत समझ चुका था की आखिर यहा जो भी हुआ वो क्या था! रंजीत हनुमान जी का बहुत बड़ा भक्त था, जिस वजह से रंजीत समझ चुका था यहां तीनों के लिए ज्यादा देर रुकना थीक नहीं होगा, वह दोनों जल्द से जल्द इस जगह से निकलने की सलाह देता हैं, लेकिन आयुष कहता हैं “कार्तिक तू बेकार मे डरता हैं भूत-प्रेत आत्मा जैसा कुछ नहीं होता” आयुष का इतना बोलते ही आसमान मे बादल थोड़े छठते हैं और चाँद की रोशीनी से आस-पास देखने से मालूम पड़ता हैं, यह तीनों अभी एक कब्रिस्तान मे खड़े हैं। अब आयुष थोड़ा शांत हुआ और वहा से जल्द ही तीनों के साथ निकलने लागा, आयुष तो बस कार्तिक को हौसला दे रहा था, की जो भी था वो सब आँखों का धोखा था। लेकिन अब आयुष को इतना कुछ देखने के बाद डर लग रहा था।
जैसे-तैसे तीनों हॉस्टल पहुच जाते हैं, किसी को बिना कुछ बोले अपने बिस्तर पर जाकर कंबल ओड़ कर लेट जाते हैं। डर के कारण किसी की आँखों मे नींद नहीं होती, थोड़ा वक्त बीता अचानक से कमरे मे किसी के दौड़ने की आवाज आने लगी, तीनों घबराहट मे झट से कंबल निकालते हैं और देखते हैं यह कैसी आवाज हैं?!?! लेकिन कमरे मे देखा तो मालूम चला सिर्फ वही तीनों हैं । तीनों इतने डरे हुए थे की किसी मे हिम्मत नहीं थी की उठ कर कमरे का दरवाजा बंद करदे। आयुष थोड़ा बाहर कमरे के दरवाजे की तरफ देखता है की एक औरत दरवाजे पर खड़ी उसी की तरफ घूर रही थी।
Hanuman ji की लीला
आयुष बहुत तेज चीखा और रंजीत के बराबर मे भाग कर लेट गया और डर के कारण कार्तिक भी रंजीत के पास भाग गया। आयुष रंजीत से कहता हैं, “रंजीत तू तो हनुमान जी का भक्त है न कुछ कर” रंजीत ये सुनकर हनुमान चालीसा गुण-गान करने लगता हैं और हनुमान से अपनी और अपने दोस्तों की जान भीक माँगता हैं, चालीसा पाठ के दौरान उनका बेड जोर से अपनी जगह से खिसक गया।
रंजीत हनुमान जी को और जोर जोर से याद करता हैं और कहता हैं, “हे प्रभु राम दूत हनुमान हमारी रक्षा करो हमे बचाओ” कुछ ही देर मे, कमरे मे अचानक से शांति हो जाती हैं, और तीनों के कान मे एक मधुर-धुन सुनाई पड़ती हैं तब थोड़े शांत होते और एक ही बिस्तर पर लेट जाते हैं। और तीनों की लेटे-लेटे ही आँख लग जाती हैं। तीनों को रात में एक ही सपना आता हैं जिसमे तीनों अपनी अवस्ता मे सो रहे होते है और हनुमान तीनों के सर पर हाथ फेरते हैं और कमरे की खिड़की खुलती हैं और हनुमान जी वहा से छलांग लगा देते हैं।सुबह उठे तो देखा की वास्तव मे वह खिड़की खुली हुई थी जिसे रंजीत ने खुद अपने हाथों से बंद करी थी।
इसी तरह हनुमान जी ने अपने भक्त की शैतानी आत्मा से रक्षा करी।
Hanuman ji के इन मंत्रों में है बड़ी शक्ति, टल जाता है हर बड़ा संकट:
हनुमान मंत्र: ” ॐ नमो हनुमते भयभंजनाय सुखं कुरु फट् स्वाहा ”
ऐसा माना जाता है कि यह मंत्र सुरक्षा प्रदान करता है और किसी के जीवन से भय और बाधाओं को दूर करता है। राम मंत्र: “ओम श्री राम जय राम जय जय राम।” ऐसा माना जाता है कि यह मंत्र किसी के जीवन में शांति, सद्भाव और खुशी लाता है।
पावन पुत्र हनुमान की आरती: पढें हनुमान जी की आरती –
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥