ज्ञानवापी मस्जिद का फैसला कब आएगा 2024? | Gyanvapi Masjid ka faisla kab aayega | ज्ञानवापी का विवाद क्या है? | Court on gyanvapi mosque
Gyanvapi Case Hearing In Allahabad HighCourt : उत्तर प्रदेश स्थित ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार 6 फरवरी 2024 को सुनवाई हुई. सुनवाई की शुरुआत मुस्लिम पक्ष की दलीलों से हुई। अब इस मामले की सुनवाई 7 फरवरी 2024 यानी बुधवार को होगी ज्ञानवापी मामले में अब बुधवार 7 फरवरी 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।
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क्या है ज्ञानवापी विवाद? कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था। जिसपर हिंदू पक्ष का दावा है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी। जिसे लेकर हिंदू पक्ष की तीन मुख्य मांगें है।
ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराने वाला औरंगजेब को माना जाता है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पर भगवान विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योर्तिलिंग था, मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने यहां मस्जिद बनवाई थी। 1991 में इसे लेकर हरिहर पांडे, सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
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अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी। इसके मुताबिक, ज्ञानवापी परिसर में मंदिर की संरचना मिली है। इस पर हिंदू पक्ष ने अपनी जीत बताते हुए कहा है कि सर्वे रिपोर्ट से साफ हो गया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। अब हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए।
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ज्ञानवापी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – ज्ञान और वापी। कहा जाता है कि यहां एक तालाब था, जिसे ज्ञान का तालाब कहा जाता था। इसलिए इसका नाम ज्ञानवापी पड़ा। पुराणों में जिन 6 वापियों यानी तालाब का जिक्र किया गया है, उसमें ज्ञानवापी भी शामिल है।
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ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के समक्ष विराजमान नंदी महाराज के सामने लगी बैरीकेडिंग को हटाकर रास्ता खोला जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 1993 में तत्कालीन सपा सरकार के दौरान बैरिकेडिंग कर पूजा-पाठ बंद करा दिया गया था। मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत के इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है।
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- हिंदू पक्ष का दावा है कि औरंगज़ेब ने भगवान विश्वेश्वर का मंदिर तोड़कर उसी जगह पर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी।
- 1669 में, मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश से, मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया और उसके स्थान पर एक ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया।
- 1776 और 1978 के बीच, इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने ज्ञानवापी मस्जिद के पास वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया।
- 1735 में इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई ने ज्ञानवापी परिसर के पास काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया।
- 1883-84 के राजस्व दस्तावेजों में ज्ञानवापी मस्जिद का पहला ज़िक्र जामा मस्जिद ज्ञानवापी के तौर पर दर्ज किया गया।
- 1809 में हिन्दू समुदाय के लोगों ने ज्ञानवापी मस्जिद को उन्हें सौंपने की मांग की।
- 1991 में इसे लेकर हरिहर पांडे, सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
- हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया कि ASI के सर्वे में ज्ञानवापी के तहखाने में मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां मिली हैं. दीवारों पर त्रिशूल, कलश, कमल और स्वास्तिक के निशान मिले हैं. हालांकि, इसको लेकर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई है।
ज्ञानवापी का अर्थ होता है ज्ञान+वापी यानी ज्ञान का तालाब। ज्ञानवापी का जल श्री काशी विश्वनाथ पर चढ़ाया जाता था। मस्जिद के पीछे की दीवार हिंदू शैली में बनी हुई है, जो कि एकदम मंदिर जैसी दिखती है। हिंदू पक्षकारों का दावा है कि मंदिर को औरंगजेब ने तोड़ दिया था और ऊपर से आंशिक रूप से मस्जिद का निर्माण कर दिया था।
ज्ञानवापी कितना पुराना है? | Gyanvapi kitna purana hai? | gyan vapi news in hindi
ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास 355 साल पुराना है। ऐसा दावा किया जाता है कि मुगल शासक औरंगज़ेब ने साल 1669 में मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद की स्थापना की थी।ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। मंदिर पक्ष का कहना है कि सतयुग में उस कुएं को खुद भगवान शिव शंकर ने अपने त्रिशूल से बनाया था।
इस कुएं का नाम ज्ञानवापी रखा गया और फिर बाद में इसी नाम से पूरे परिसर को जाना जाने लगा। ज्ञानवापी मस्जिद का पहला ज़िक्र साल 1883-84 के राजस्व दस्तावेज़ों में जामा मस्जिद ज्ञानवापी के तौर पर दर्ज किया गया। 1809 में हिन्दू समुदाय के लोगों ने ज्ञानवापी मस्जिद को उन्हें सौंपने की मांग की।ज्ञानवापी परिसर से जुड़े अलग-अलग अदालतों में 20 से ज़्यादा मुकदमे चल रहे हैं।
ज्ञानवापी का क्या मामला है? | Gyanvapi ka mamla kya hai | Gyanvapi Case In Hindi
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि वजूखाने में मौजूद चीज़ शिवलिंग है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने अलग दावा किया है। वाराणसी कोर्ट ने इस विवादित जगह की जांच एएसआई को इसलिए नहीं करने दी, क्योंकि ये मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस पूरे क्षेत्र को फिलहाल सील किया गया है।
12 सितंबर 2022 को हुई सुनवाई में वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में देवी देवताओं की पूजा की मांग को लेकर की गई पांच महिलाओं की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।11 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि ज्ञानवापी के वजूखाने में मिली उस संरचना को संरक्षित किया जाए जिसे हिंदू पक्ष शिवलिंग कह रहा है।
कहा गया कि यह आदेश अगले आदेश तक लागू रहेगा। इस संरचना की सुरक्षा के लिए पुलिस की तैनाती की व्यवस्था बरकरार रखी गई। वाराणसी कोर्ट ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार दे दिया है। 31 साल से व्यासजी के तहखाने में पूजा नहीं हो रही थी।