गरुड़ पुराण ( Garuda Purana ) में जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें वर्णित हैं, जो हमें सुख-समृद्धि के मार्ग पर ले जाती हैं। साथ ही, इस पुराण में कुछ कार्यों के बारे में भी चेतावनी दी गई है, जो हमें अपनी दिनचर्या में नहीं शामिल करना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसे कार्यों को करने से हमारी आयु कम हो सकती है। उनमें से एक है कपूर को जलाना, जो किचन की ऊर्जा को शुद्ध करता है और गरुड़ पुराण मुक्ति भी प्रदान करता है, लेकिन कपूर को रोज़ जलाना नहीं चाहिए।
1- गरुड़ पुराण ( Garun Puran ) के अनुसार, सूर्योदय के बाद उठने से नकारात्मकता आती है जीवन में। ब्रह्म मुहूर्त में उठना अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस समय हवा शुद्ध और ताजी होती है, जो हमारी सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है। देर से उठने पर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है, जिससे शरीर आसानी से बीमारियों की चपेट में आ जाता है।
2- रात के समय दही का सेवन नहीं करना चाहिए। असल में दही की तासीर ठंडी होती है, जिससे कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। इसलिए दही का सेवन दोपहर में करें।
3- इसके अलावा शमशान के धुंएं से भी दूर रहना चाहिए। क्योंकि जब दाह संस्कार होता है, तो शरीर से निकलने वाले विषैले तत्व हवा में घुल जाते हैं, जिसमें कई प्रकार के विषैले बैक्टीरिया और वायरस होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
4- गरुड़ पुराण के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में काम की भावना मन से दूर रखना चाहिए, बल्कि इस समय भगवान की भक्ति में बिताना चाहिए, इससे भी आयु घटती है।
गरुड़ पुराण में किन पापों का उल्लेख है? | Garuda Purana mein kin paapon ka ullekh hai
गरुड़ पुराण भ्रूण, नवजात या गर्भवती महिला को मारने या नुकसान पहुंचाने के कृत्य की कड़ी निंदा करता है। इस तरह का जघन्य कृत्य करने से व्यक्ति की मृत्यु के बाद नरक की यात्रा सुनिश्चित हो जाती है, जहां उन्हें कष्टदायक यातनाएं सहनी पड़ती हैं।
गरुड़ पुराण क्यों नहीं पढ़नी चाहिए? | Garuda Purana kyu nahi padhane chahiye
Garud Puran क्यों नहीं पढ़ना चाहिए? गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा की गति का विवरण है। उसके कर्मों अनुसार क्या क्या गति मिलेगी ऐसा जिक्र इस पुराण में है। इसलिए इसे आम आदमी पढ़ने से डरता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार पाप क्या है? | Garuda Purana ke Anusar paap kya hain
गरुड़ पुराण के अनुसार पाप क्या है? गरुड़ पुराण में ब्राह्मण की हत्या करना, मदिरापान करना , चोरी करना , गुरु पत्नी के साथ गमन करना , और इन सभी का साथ देना ,ये पांच महापातक बताए हैं ।
गरुड़ पुराण में धोखा देने की सजा क्या है? | Garuda Purana mein dhokha dene kee saja kya hai?
यह उन पापियों के लिए नरक है जो दूसरे व्यक्ति की संपत्ति या संसाधनों को जब्त करते हैं और उनका आनंद लेते हैं। जब इन लोगों को इस नरक में डाला जाता है, तो जिन लोगों को उन्होंने धोखा दिया है, वे एक भयानक सर्प “रुरु” का रूप धारण कर लेते हैं। जब तक उनका समय पूरा नहीं हो जाता तब तक साँप उन्हें गंभीर रूप से पीड़ा देंगे।
गरुड़ पुराण कौन कौन सुन सकता है? | Garuda Purana kaun kaun sun sakta hain
लेकिन गरुड़ पुराण ( Garuda Purana ) पाठ किसी परिजन की मृत्यु के पहले या कभी भी पढ़ा जा सकता है. जो व्यक्ति इसे पढ़ने की इच्छा रखता है वह इसे पढ़ सकता है. पवित्रता और शुद्ध मन के साथ गरुड़ पुराण का पाठ किया जा सकता है.
गरुड़ पुराण कितने दिन पढ़ना चाहिए? – मृत्यु के बाद गरुण पुराण सुनाने की वजह | Garuda Purana kitne din padhana chahiye
कब पढ़ना चाहिए गरुड़ पुराण ( When should read Garuda Puranam )
इसका कारण यह है कि, जिस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है उसकी आत्मा को गरुड़ पुराण सुनाया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जाता है कि मृतक की आत्मा पूरे 13 दिनों तक अपने घर पर ही रहती है और गरुड़ पुराण का पाठ (Garuda Purana Katha ) सुनने से उसे मोक्ष प्राप्त होता है.
जीते जी गरुड़ पुराण पढ़ने से क्या होता है? | jeete jee Garuda Purana padhane se kya hota hain
गरुड़ पुराण ( Garun Puran ) के आरंभ में इसके पाठ को महान बताया गया है, इसलिए इसका न तो पाठ किया जा सकता है और न ही रखा जा सकता है। इस पवित्र पुराण का पाठ करने से विद्या, सफलता, रूप, लक्ष्मी, विजय और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इसका नियमित रूप से पाठ करने या सुनने से मनुष्य सब कुछ जान लेगा और अंत में स्वर्ग प्राप्त करेगा।
क्या गरुड़ पुराण को घर में रखा जा सकता है? | Kya Garuda Purana ko ghar mein rakha jaa sakta hain
गरुड़ पुराण को बस किसी के मरने पर जो संस्कार होते हैं उसी में लाया जाता है पंडितों के द्वारा और उसका पाठ किया जाता है इसके अतिरिक्त गरुड़ पुराण – Garuda Puranam को घर में नहीं रख सकते।
गरुड़ पुराण में मृत्यु कैसे होता है? | Garuda Purana mein mrtyu kaise hota hain
गरुड़ पुराण के अनुसार, जो लोग भूख से पीड़ित होकर, हत्या किए जाने पर, फांसी लगाकर, जहर खाकर, आग से जलकर, जल में डूबकर, सांप के काटने से, दुर्घटना में, गंभीर बीमारी के कारण और आत्महत्या आदि के जरिए मृत्यु को प्राप्त होते हैं, उसे अकाल मृत्यु की श्रेणी में रखा गया है. इनसभी में आत्महत्या को महापाप कहा जाता है.
गरुड़ पुराण में कितने पार्ट होते हैं? | Garuda Purana mein kitne Part hote hain
Garuda Puranam – Garud Mahapuran की संरचना – साथ ही इसमें 289 अध्याय हैं जिसे दो भागो में पूर्वखंड और उत्तरखंड में विभाजित किया गया है. पूर्वखण्ड में जीव और जीवन के संबंध में 240 अध्याय है. वहीं उत्तरखंड में 49 अध्याय है जो, मृत्यु के बाद जीव की गति और उसके कर्मकाण्डो के संबंध में है. गरुड़ पुराण की रचना अग्निपुराण के बाद हुई है.
गरुड़ पुराण में क्या लिखा हुआ है? | Garuda Purana mein kya likha hua hain
गरुड़ पुराण ( Garud Puran ) को सनातन धर्म के 16 बड़े पुराणों में से एक माना जाता है. इसके मुख्य देवता भगवान विष्णु है. भगवान से उनके वाहन गरुड़ में बहुत सारे प्रश्न पूछे और जिनका भगवान ने उत्तर भी दिया है. गरुड़ पुराण विष्णु पुराण का एक हिस्सा है इसमें हिंदू धर्म के मृत्यु, पुनर्जन्म और अंतिम संस्कार से संबंधित बाते लिखी हैं.
गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद क्या होता है? | Garuda Purana ke Anusar mrtyu ke baad kya hota hain
गरुड़ पुराण ( Garun Puran ) के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा मृत्यु के देवता यमराज के पास जाती है। यमराज ही व्यक्ति के कर्मों के आधार पर न्याय करते हैं। जीवन में किए गए बुरे कर्मों के लिए आत्मा को नरक की यातनाएं भी झेलनी पड़ती हैं। कर्मों के आधार पर अलग-अलग कर्मों के लिए अलग-अलग दंड निर्धारित किए गए हैं।
गरुड़ पुराण सुनने से क्या लाभ होता है? | Garuda Purana sunane se kya laabh hota hain
Garud Puran : भक्ति, ज्ञान और कर्मों पर आधारिक गरुड़ पुराण का पाठ (Garuda Purana Katha ) आमतौर पर घर पर किसी परिजन की मृत्यु के बाद कराया जाता है. गरुड़ पुराण सुनने से केवल जीवित ही नहीं बल्कि मृतक को भी लाभ होता है.