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    Home » भगवान श्री कृष्ण से पहले, हनुमान जी ने क्यूँ उठाया था गोवर्धन पर्वत|?
    govardhan

    भगवान श्री कृष्ण से पहले, हनुमान जी ने क्यूँ उठाया था गोवर्धन पर्वत|?

    VeshaliBy VeshaliNovember 15, 2023Updated:November 15, 2023
    govardhan parvat
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    अगर आप श्री राधा कृष्ण का दर्शन पाने वृंदावन मथुरा जाते है, और वहाँ जा कर आपने गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा नहीं की, तब आपके दर्शन अधूरे ही माने जाते है । श्री राधा कृष्ण की ब्रिज भूमि में स्थित गोवर्धन पर्वत को ‘गिरिराज पर्वत’ के नाम से भी जाना जाता है ।(hanumaan jee ne kyoon uthaaya tha govardhan parvat )

    आज हम गोवर्धन पर्वत को श्री कृष्ण के रूप में भी पूजते है,  क्यूँ की श्री कृष्ण ने खुद ‘कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा’के दिन गोवर्धन रूप में अपनी पूजा किए जाने की बात कही थी ।

    ये तबकी घटना है जब सब गोवर्धन पर्वत की पूजा कर रहे थे, ये देख कर इन्द्र नाराज हो गए और अपने घमंड में गोकुल वासियों को परेशान करने के लिए काले बादल गरजा कर भारी वर्षा करने लगे, जिसकी वजह से सब तहस नहस हो गया।

    गोकुल वासियों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को 7 दिन और 7 रात अपनी उंगली पर उठाए रखा । बहुत कम लोग जानते है की इस  घटना के पीछे हनुमान जी का भी हाथ है, लेकिन हनुमान जी त्रेता युग में ये थे, और गोवर्धन पर्वत द्वापर युग से जुड़ा है । तो बीच में हनुमन जी कहा से आए? चलिए बताते है आपको हमारी आज के इस लेखन में ।

    बात तब की है जब त्रेता युग में भगवान श्री राम के नेत्रत्व में राम सेतु का निर्माण कार्य चल रहा था । राम सेतु में केवल राम नाम के पत्थर ही नहीं तैराए गए थे, बल्कि पूरे सेतु का निर्माण किया गया था । जिसमें  बड़े बड़े पत्थर, चट्टानें और  लकड़ी का इस्तेमाल किया गया था ।
    उस समय हनुमान जी ने कुछ वानरों को बात करते सुना , की अगर बीच समुन्द्र मे कोई बड़ा पर्वत रख दिया जाए, तब सेतु निर्माण का कार्य जल्दी पूरा हो जाएगा ।

    ये सुनते ही हनुमान जी एक बड़े पर्वत की खोज में हिमालय पर्वत की ओर निकाल गए और गोवर्धन पर्वत को उठाने लगे, तब गोवर्धन पर्वत बहुत क्रोधित हो गए, और उनसे बोले ‘में अपने स्थान से नहीं हिलूँगा’, तब हनुमान जी ने गोवर्धन पर्वत से विनती की, और उन्हे सारी बात बताई ।

     

    hanumaan jee ne kyoon uthaaya tha govardhan parvat ?
    hanumaan jee ne kyoon uthaaya tha govardhan parvat ?

    तब जाके भगवान श्री राम के कार्य में अपना योगदान देने के लिए गोवर्धन पर्वत तैयार हो गए । पर्वत उठा कर श्रीलंका जाते हुए, हनुमान जी को ज्ञात हुआ की राम सेतु का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है ।

    उन्होंने पर्वत को उसी जमीन पर रख दिया, जो आज मथुरा वृंदावन कहलाता है ।
    पर्वत ये देखकर बेहद दुखी हो गए, अब उन्होंने हनुमान जी से कहा  ‘में ना ही हिमालय पर रह सका और ना ही भगवान राम के किसी काम आया । तब हनुमान जी ने पर्वत से वादा किया की भगवान श्री राम कभी अपने भक्तों को निराश नहीं करेंगे । एक दिन भगवान तुम्हें  साक्षात दर्शन तो देंगे ही, और साथ ही साथ तुम भगवान के कार्य में भी आओगे ।

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    तब जाकर त्रेता युग में भगवान श्री कृष्ण, जो की विष्णु जी का अवतार है उन्होंने गोवर्धन पर्वत की मदद से गोकुल वासियों की रक्षा की और गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली में थामे रखा । तबसे हम गोवर्धन पर्वत की पूजा करते है ।

    shreee krishna
    shreee krishna

    इस  कथा से हमे  ये ज्ञात होता है की भगवान कभी भी कुछ गलत नहीं करते, उनकी सारी लीलाओं के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है ।

    Also read: कब है गोवर्धन पूजा? ,जानें पूजन मुहूर्त और महत्व

    जिस समय गोवर्धन पर्वत को लग रहा था की उनका हिमालय छोड़कर, मथुरा आना व्यर्थ है तब उसके पीछे  भी भगवान की ही मर्जी थी, क्यूँ की अगर उस समय गोवर्धन पर्वत वहाँ नहीं होता तो श्री कृष्ण गोकुल वासियों की सहायता कैसे कर पाते ?
    इसलिए हमे प्रभु पर भरोसा रख कर अपना कार्य करते रहना चाहिए । फल की चिंता नहीं करनी चाहिए ।

    हनुमान जी ने गोवर्धन पर्वत क्यों उठाया था? | Hanumaan jee ne govardhan parvat kyon uthaaya tha?

    पर्वत ने कहा कि मैं न तो राम के काम आया और न अपने स्थान पर रह सका। पर्वत की मनोदशा समझकर हनुमान जी ने कहा कि द्वापर में जब भगवान राम श्री कृष्ण के रूप में अवतार लेंगे उस समय वह आपको अपनी उंगली पर उठाकर देवता के रूप में प्रतिष्ठित करेंगे। इस तरह हनुमान जी ने गोवर्धन को देवता बनाने की लीला रची।

    क्या हनुमान ने गोवर्धन पर्वत को ढोया था? | kya Hanu maan ne govardhan parvat ko dhoya tha?parvat kyon uthaaya tha?

    जी हाँ, हनुमान जी ने गोवर्धन पर्वत उठा लिया था . दरअसल वह उत्तर से गोवर्धन पर्वत लेकर जा रहे थे और इसी बीच उन्होंने रामसेतु के निर्माण के बारे में राम के निर्देश के बारे में सुना, तब उन्हें गोवर्धन गिरि को बृंदावन के पास रखना पड़ा, जहां वह उस समय थे।

    क्या कृष्ण ने वास्तव में गोवर्धन उठाया था? | kya krshn ne vaastav mein govardhan uthaaya tha?

    ग्रामीण कृष्ण की बात से आश्वस्त हो गए और विशेष पूजा के लिए आगे नहीं बढ़े। तब इंद्र क्रोधित हुए और उन्होंने गांव में बाढ़ ला दी। तब कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और लोगों और मवेशियों को बारिश से बचाने के लिए उसे पकड़ लिया। इंद्र ने अंततः हार स्वीकार कर ली और कृष्ण को विजेता के रूप में मान्यता दी।
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