Maa Mahagauri: देवी महागौरी
Durga ashtami के दिन देवी महागौरी की आराधना की जाती है। Nauratri की आठवीं देवी महागौरी के स्वरुप की बाते करें तो देवी की चार भुजाएं हैं, जिसमें से एक भुजा में उन्होंने त्रिशूल लिया हुआ है वहीँ एक हाथ में उनके डमरू विराजमान है। हाथ में भोलेनाथ का डमरू होने के कारण ही उन्हें शिव के नाम से भी पुकारा जाता है। ये दोनों ही शिव -शक्ति का प्रतीक है यानी शिव महागौरी के बगैर अधूरे है। देवी की शक्ति अमोघ और अधिक फलदायी है।
Sharada Navaratri का आठवां दिन विवाहित स्त्रियों के बहुत महत्व रखता है, सुहागिने इस दिन अपने सुहाग की मंगलकामना के लिए देवी को चुनरी भेंट करती हैं। [1]
इस तरह पड़ा Navarathri Goddess का नाम महागौरी
महागौरी के नाम और उनकी सवारी के पीछे पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं जिनका उल्लेख नीचे किया गया है :
पहली कथा के मुताबिक एक बार भगवान शिव देवी पार्वती को जाने अनजाने में कुछ कह देते है देवी पार्वती अपने पति की इस बात से नाराज़ होकर तपस्या में लीन हो जाती हैं। कई सालों तक जब पार्वती नहीं लौटती तो भोलेनाथ देवी को खोजते हुए उनके पास पहुंचते हैं। तपस्या के स्थान पर पहुंचकर भगवान शिव जब देवी की ओर निहारते हैं तो उनका ओजपूर्ण रंग देख आश्चर्यचकित हो जाते हैं, पार्वती के इसी ओजस्वी रूप देखकर उन्हें गौर वर्ण का वरदान भगवान शिव से प्राप्त होता है।
दूसरी कहानी के अनुसार कथाओं में पहले से ही इस बात का ज़िक्र किया गया है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति स्वरुप पाने दूसरी कहानी का संबंध भी देवी की तपस्या से ही जुड़ा हुआ है। कथाओं में पहले से ही इस बात का ज़िक्र किया गया है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति स्वरुप पाने के लिए कठोर तपस्या की थी जिस कारण उनका शरीर एक दम काला पड़ गया था। जब भोलेनाथ उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं तो वे उनकी काली पड़ी देह को देखकर चौंक जाते हैं। जैसे ही महादेव उनकी देह को गंगा जल से साफ़ करते है तो देवी चमकीले गौर वर्ण में तब्दील हो जाती है। यही वजह है कि माता को महागौरी नाम दिया गया है।
महागौरी की सवारी सिंह होने के पीछे एक कहानी प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार जब महागौरी तपस्या में लीन थी उस समय भूख महागौरी की सवारी सिंह होने के पीछे एक कहानी प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार जब महागौरी तपस्या में लीन थी उस समय भूख से व्याकुल एक शेर जंगल में विचरण कर रहा था और तपस्या कर रही देवी को देखकर शेर विचलित हो उठा लेकिन उसने देवी की तपस्या खत्म हो जाने तक वहीँ बैठकर इंतज़ार किया। प्रतीक्षा करते-करते शेर का शरीर लगभग क्षीण ही हो चुका था शेर का धैर्य देखकर माता ने उसे अपनी सवारी बना लिया। इस प्रकार देवी की सवारी बैल और सिंह दोनों ही है। [2]
Mahagauri ki puja vidhi
हिन्दू परंपरा में कुछ लोग durga ashtami के दिन कन्याओं को भोजन कराते हैं तो कहीं नवमी के दिन कन्या पूजन का विधान है। दोनों में से navratri day 8 कन्या पूजन को अधिक शुभ माना गया है।
1. प्रातःकाल देवी की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर श्वेत वस्त्र बिछाकर रखें।
2. इसके पश्चात माता के समक्ष सफ़ेद फूल अर्पित करें तथा धूप जलाएं।
3. दूध से बने नैवैद्य अर्पित करने के बाद हाथ में फूल लेकर माता का सच्चे मन से ध्यान करें।
4. महागौरी मंत्र का 108 बार उच्चारण करने से देवी प्रसन्न होती हैं।
Mahagauri Stuti Mantra: महागौरी स्तुति मंत्र
माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना
श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।
Gauri Mata Mantra: गौरी माता प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
Mahagauri jaap mantra: महागौरी जाप मंत्र
ओम देवी महागौर्यै नमः
Mahagauri beej mantra: महागौरी बीज मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
Mahagauri ki aarti: महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया ।
जया उमा भवानी जय महामाया ।।
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहां निवासा ।।
चंद्रकली ओर ममता अंबे ।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे ।।
भीमा देवी विमला माता ।
कौशिकी देवी जग विख्याता ।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा ।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया ।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया ।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया ।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया ।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता ।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो ।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो ।। [3]
महागौरी माता मंदिर : सिद्ध SHAKTI PITHAS
पुराणों के अनुसार जहां-जहां देवी parvati के अंग, वस्त्र, गहनों के टुकड़े गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए और सदियों से यहाँ माता को पूजा जाने की परम्परा चली आ रही है। Navarathri में शक्तिपीठों का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। आपको बता दें कि वैसे तो ब्रह्माण्ड पुराण में देवी के कुल 64 shakti pithas का वर्णन किया गया है लेकिन देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का ही जिक्र है जो पूरे भारत में फैले हुए है। इनमें से एक है सिद्ध शक्तिपीठ महागौरी मंदिर जो शिमलापुरी, लुधिआना में अवस्थित है। [4]
कड़वे संबंधों को मधुर करने की प्रेरणा देतीं देवी महागौरी
दुर्गा का महागौरी रूप आज के बनते बिगड़ते संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए सीख देता है क्योंकि आदि शक्ति का संगम एक सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। लोग देवी को अपना प्रेरणा स्त्रोत मानकर रिश्तों की खटास को कम करने का प्रयास कर सकते हैं जो जीवन में सुखी रहने की एक आवश्यक शर्त भी है।