Maa Katyayani: माता कात्यायनी
6th day of navratri पर पूजी जाने वाली मां दुर्गा का नाम मां कात्यायनी है। कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन ने अपनी कठिन तपस्या के माध्यम से देवी को अपनी पुत्री स्वरुप प्राप्त किया था। आपको बता दें कि योग साधना के छठे दिन साधना करने वाले का मन आज्ञा चक्र में अवस्थित रहता है और आज्ञा चक्र में ध्यान लगे होने के कारण व्यक्ति आज्ञा स्वरूप अपना सब कुछ देवी के चरणों में अर्पित कर देता है। इनकी चार भुजाओ में अस्त्र-शस्त्र और कमलपुष्प है, देवी सिंह पर विराजमान है। देवी कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनि के नाम से भी पुकारा जाता है।
navarathri goddess को साधक रूप में पूजने से चार महत्वपूर्ण तत्व जिनमें धर्म, अर्थ, कर्म, और मोक्ष शामिल है की प्राप्ति की जा सकती है। क्योंकि इस वक़्त साधक का मन आज्ञा चक्र में विद्यमान होता है। ऐसे में देवी की साधना करने वाला व्यक्ति उनके समक्ष सभी तरह के पाप-पुण्य अर्पित कर देता है एक तरह से देखा जाए अपना सब कुछ वह देवी के सामने न्यौछावर कर देता है। [1]
Mata Katyayani Ki Katha: माता कात्यायनी की पौराणिक कथा
मां का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसके पीछे भी एक कहानी जुड़ी हुई है दरअसल जब पृथ्वी लोक पर असुर महिषासुर का आतंक बहुत बढ़ गया था उस वक़्त ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने अपनी शक्तियों के सम्मिश्रण से देवी शक्ति को जन्म दिया। सबसे ख़ास बात यह कि जन्म के पश्चात सर्वप्रथम देवी को पूजने वाले महर्षि कात्यायन ही थे इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। [2]
गोपियों से देवी का संबंध
मां कात्यायिनी का श्री कृष्ण और गोपियों से भी संबंध है। बताते चलें कि ब्रज की गोपियों ने भगवान श्री कृष्ण को अपने पति के रूप में पाने के लिए कालिंदी जमना के तट पर देवी कात्यायिनी की आराधना की थी जिस कारण से ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के नाम से भी जानी जाती है।
Maa Katyayani Beej Mantra: माँ कात्यायनी बीज मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
Katyayani devi jaap Mantra: कात्यायनी देवी जाप मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नम:॥
Mata Katyayani Mantra: माता कात्यायनी प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
Devi Katyayani Ki Puja Vidhi– देवी कात्यायनी की पूजा विधि
1.6th day of navratri colour : षष्ठी पर गोधूलि वेला में पीले कपड़े पहनने चाहिए।
2. देवी को पीले फूल और पीला वस्त्र अर्पित करें।
3. साथ ही माता को हल्दी अर्पण करने से उनकी असीम कृपा बरसेगी।
4. भोग स्वरुप शहद चढ़ाना चाहिए।
Katyayni Vrat For Marriage
कुंडली में किसी तरह के दोष होने पर यदि इनकी आराधना की जाए तो वह दोष समाप्त हो जाता है। वैवाहिक जीवन में किसी तरह की परेशानी दूर करने के लिए इनकी पूजा लाभकारी है। जल्दी विवाह के लिए भी देवी की पूजा की जाती है।
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता Maa Katyayani का रूप
इस कहानी में सबसे प्रभावकारी वह कथा है जिसमें महर्षि कात्यायन देवी को बेटी के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या करते हैं और उनकी तपस्या सफल हो भी जाती है। एक महर्षि की पुत्री के रूप में जन्मी देवी कात्यायनी साहसी, ऊर्जावान, बौद्धिक और कौशल क्षमता की धनी व्यक्तित्व की हैं जो आज के समाज की स्त्री के सामने बड़ा उदाहरण पेश करती हैं और हर बुरी परिस्थिति में लड़ने के लिए हिम्मत भी प्रदान करती है।