भक्त को न्याय दिलाने पहुंचे बजरंगबली।
उत्तराखंड के चम्पावत नाम के गांव में संदीप नाम का एक बड़ा लोह इस्पात का व्यापारी रहा करता था , वह बड़ा ही लालची प्रवर्ति का व्यक्ति था। साथ ही वह अपने कारखाने में काम करने वाले मजदूरों के कम पढ़े लिखे होने का फायदा उठा कर उन्हें ज्यादा तनख्खा का लालच देकर काम पर रख लेता और बाद में झूठे कागज़ो पर अंगूठा लगवाकर उनसे देखा धड़ी किया करता। संदीप बड़ा ही अमीर था तो कोई मजदूर उसे खिलाफ आवाज भी नहीं उठा पता था। किसी का कितना ही नुक्सान क्यों न हो रहा हो उसे किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता था।
सब कुछ संदीप के मन मुताबिक चल रहा था , तब एक दिन चम्पावत में सोनू नाम का एक व्यक्ति काम की तलाश में आया। सोनू बजरंगबली का असीम भक्त था। वह नियमबद्ध रूप से बजरंगबली की पूजा पाठ किया करता था साथ ही वह प्रत्येक मंगलवार का व्रत भी रखा करता था।
चम्पावत पहुंच कर सोनू को पता चला की संदीप के कारखाने में कुछ नए लोगो की आवश्यकता है , सोनू तुरंत ही वहाँ पहुँच गया।
सोनू ने कारखाने में पहुँच कर संदीप से मिल कर काम की मांग की। संदीप ने काम तो दे दिया परन्तु उसकी एक शर्त थी की सोनू को बाकी मजदूरों से आधी तनख्खा में काम करना होगा। सोनू को काम की बेहद ही जरूरत थी इसलिए वह संदीप की बात से सहमत हो गया।
सोनू पूरी लगन से काम करने लगा , वह किसी को कोई शिकायत का मौका नहीं देता था।
एक दिन संदीप ने सोनू को 50 हज़ार रुपए दिए और उन्हें पड़ोस एक गांव में अपने एक दोस्त को देकर आने को कहा , सोनू ने संदीप के कहे अनुसार वह पैसे संदीप के दोस्त को दे दिए। सोनू जब लौट कर वापस आया तब संदीप सोनू पर ज़ोरो से चिल्लाने लगा , चिल्ला चिल्लाकर कहने लगा की तूने बीच रास्ते में 10 हज़ार रुपए चुरा लिए है , सोनू ने उसे बहुत समझाया की उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया परन्तु संदीप ने उसकी एक न सुनी।
संदीप ने उसे दंड स्वरुप एक माह बिना तनख्खा के काम करने को कहा , सोनू विवश था वह कुछ कर भी न पाया। सोनू को संदीप की बात माननी पड़ी , दूसरी तरफ संदीप खुश हो रहा था की उसने सोनू को अपने झूट में फंसा कर एक माह की तनख्खा बचा ली। सोनू रात के समय उदास मन से अपने घर की और बढ़ रहा था , तभी उसे एक हनुमान मंदिर दिखायी दिया। सोनू मंदिर में जाकर बजरंगबली को अपनी आपबीती सुनते हुए रोने लगा और मदद की गुहार लगाने लगा।
अगले दिन जब कारखाना खोला गया तब , दरवाजे के पास सभी को पेसो का एक बण्डल पड़ा दिखाई पड़ा , जब पैसो को उठा कर गिना गया तो वह 10 हज़ार रुपए ही निकले सभी मजदूरों ने वह पैसे अपने मालिक को लौटा कर , कहा की सोनू बेक़सूर है उसने कोई पैसे नहीं चुराए है, यह पैसे तो शायद आप ही से यहाँ गिर गए थे। यह सब देख संदीप भी हैरानी में पड़ गया की मैंने तो सोनू को पैसे ही कम दिए थे , फिर यह कहाँ से आये , ज्यादा न सोचते हुए संदीप ने भी पैसे रख लिए और सोनू सबके सामने बेक़सूर साबित हो गया।
परन्तु फिर उसी रोज़ रात के समय जो हुआ उसे देख सभी को आश्चर्य में पड़ गए। रात के समय बहुत तेज बारिश शुरू हो गयी और संदीप के कारखाने के पास एक बिजली का खम्बा था उसमे पानी के कारन एक बड़ा धमाका हुआ और उसके कारण पूरे कारखाने में आग लग गयी।
कारखाना पूरी तरह जल कर राख हो गया। जिसके कारण सभी मजदूरों से झूठे कागज़ो पर अंगूठे लगवाए हुए कागज़ भी जल गए। सभी मजदूर अब आज़ाद थे।
परन्तु वहाँ हुआ सबसे बड़ा चमत्कार तो यह था की बारिश के कारण कारखाने मे आग लगी और आग जैसे ही तेज़ हुई बारिश रुक भी गयी।
सभी को सोनू द्वारा की गयी प्रार्थना के बारे में पता चला जिसे जान सभी दंग रह गए। बजरंगबली के कारन उनके अनन्य भक्त पर लगे आरोपों का नाश हुआ एवं मजदूरों पर अत्याचार करने वाले संदीप को भी उसके किये का दंड मिला। सभी उपस्तिथ लोगो ने बजरंगबली का जयकारा लगा उन्हें धन्यवाद अर्पित किया।