श्रध्दा व आस्था यदि प्रबल हो तो भगवान् को भी आपके सामने आना ही पड़ता है , ऐसे ही एक अनोखे भक्त और अनोखे मंदिर के बारे में हम आज आपको बताने जा रहे है।
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बहुत समय पहले की बात है आगरा के एक मंदिर में एक लंगड़ा चौकीदारी कार्य किया करता था । वह श्री राम हनुमान जी का असीम भक्त था । वह सदैव ही हनुमान जी की भक्ति में लीन रहता कभी कभी तो भक्ति में इतना खो जाता की अपनी ड्यूटी करना भी भूल जाता ।
यह बात मंदिर के महंत जी को पसंद न थी , वह अकसर चौकीदार को डांट भी दिया करते परन्तु उसका ध्यान तो मात्र हनुमान जी
कीभक्ति मे था । एक दिन महंत जी को किसी कार्य से बाहर जाना था तो वह चौकीदार को वही रहने व ध्यान से कार्य करने को बोल कर गये।
कुछ देर बाद ही चौकीदार को पता चला की पास के एक गांव में रामकथा हो रही है , वह महंतजी की बात भुला कर कथा सुनने चला गया कुछ देर बाद जब महंत जी वापस आये तो चौकीदार को वहां न पाकर गुस्से से लाल हो गये । महंत जी ने कोतवाली जाकर उस
चौकीदार की शिकायत की , महंत जी कोतवाल को लेकर उस चौकीदार को ढूंढने लगे परन्तु वह नही मिला तब किसी ने बताया की वह चौकीदार पास के गांव में रामकथा में है ।
कोतवाल व मंहत जी रामकथा में पहुंचे वह लंगड़ा चौकीदार वहीं था । जिसके बाद कोतवाल उस स्थान पर आया, जहां चौकीदार की ड्यूटी थी, तो चौकीदार वहां भी मौजूद था। एक समय में दो जगह चौकीदार के हाने का चमत्कार देख
कोतवाल चौंक गया। आस पास के किसी व्यक्ति को आँखों देखे पर भी भरोसा न हुआ , सभी ने चौकीदार से पुछा की यह कैसे संभव है की तुम दो स्थान पर एक ही समय पर मौजूद हो। इस पर चौकीदार ने उत्तर दिया की में जब यहाँ से राम कथा सुनने गया था तब में बजरंगब अली को अपने स्थान पर छोड़ गया था। तो वही मेरे स्थान पर ड्यूटी कर रहे थे।
यह सुन कर सभी की आंखे फटी रह गयी , यहाँ तक की महंत जी जो चौकीदार से घृणा किया करते थे उनकी आँखे भी भाव विभोर हो गई , चौकीदार की ऐसी भावना और आस्था देख वह खुद पर काबू न कर पाए।
इस प्रकार की शक्ति देख सब हैरान रह गये। इस मंदिर की मान्यता यह भी है की यहां हनुमान जी की प्रतिमा की प्राण प्रततष्ठा नहीं कराई गई थी, बल्कि हनुमान बाबा की प्रतिमा स्वयं ही प्रकट हुई थी। लंगड़े चौकीदार की ऐसी भक्ति के कारण मंदिर का नाम लंगड़े की चौकी वाले हनुमान जी के नाम से प्रचलित है। लंगड़े की चौकी के हनुमान जी दक्षिण मुखी हैं।शास्त्रों में भी कहा गया है की दक्षिणमुखी हनुमान
जी की प्रततमा की आराधना करने से तंत्र मंत्र की सिद्धि होती है।
कहा जाता है की यहां पर विराजित हनुमान जी की प्रतिमा राजा भोज के जमाने की है, जब की मंदिर मुगलकालीन है । एक अनुमान के तहत यह मंदिर 300 वर्ष से भी अधिक पुराना है। इस प्रकार हनुमान जी ने अपने भक्त की भक्त से प्रसन्न होकर ना सिर्फ दर्शन दिए अपितु उसके स्थान पर चौकीदारी भी की। आज भी बजरंगबली के भक्तो की मंदिर के प्रति असीम मान्यता है।
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