श्री कृष्ण के कई चम्तकार आज तक हम सभी ने कई बार सुने है, परन्तु जो चमत्कार हम आपको बताने जा रहे है इसे जिसने भी देखा या सुना वह सभी हैरान रह गए।
यह चमत्कारिक घटना है गुजरात के राजकोट शहर की है। राजकोट में अमित नाम का अन्य श्री कृष्ण का भक्त रहा करता है जिसे बचपन से ही कृष्ण जी के किस्से सुन्ना , व उनकी बाल लीला देखना बेहद ही पसंद है। अमित ने अपने घर में ही कृष्ण जी का मंदिर बनाया हुआ है जहाँ वह दिन में उनका भोग लगाने के बाद ही खुद भोजन का सेवन किया करता है।
अमित श्री कृष्ण पर इतना अटूट विश्वास था की जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या क्यों न हो वह मात्र उन्ही की शरण में जाया करता।
उसे सभी की सहायता करना अत्यधिक पसंद था।
एक दिन अमित ने द्वारिका जाकर श्री कृष्ण के दर्शन करने की योजना बनाई और जल्द से जल्द द्वारिका के लिए रवाना हो गया।
अमित ने द्वारिका पहुँच कर अच्छे से श्री कृष्ण के दर्शन किये बाद में वह वापस राजकोट आने के लिए निकल गया।
परन्तु वह यह नहीं जनता था की आगे मार्ग में कोई बड़ा संकट उसका इंतज़ार कर रहा है।
अमित बस से राजकोट लौट रहा था उसी बस को बीच मार्ग में कुछ लुटेरों ने रोक लिया और बस में चढ़ कर सभी यात्रियों को परेशन करना व उनसे सभी कीमती सामान की लूट करना शुरू कर दिया। सभी यात्री उन्हें रोकने या भगाने का प्रयास भी करते उससे पहले उन सभी लूटरो ने यात्रियों को धारदार हथियार दिखा कर डरा दिया।
लुटेरों ने सभी से पैसे व कीमती सामान लूटना शुरू किया और उन्हें कोई रोकने वाला ना था , लुटेरों ने बस चालक को डरा कर बस को बीच सुनसान सड़क पर रुकवा दिया और वह उपस्थित बच्चे को उठा कर ले जाने लगे जब बच्चे के माता पिता ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तब लुटेरों ने उन्हें अपने पास मौजूद हथियार से घायल कर ज़मीन पर घिरा दिया।
यह देख अमित से रहा नहीं गया भयभीत होते हुए भी वह उस घायल दम्पति की सहायता करना जा पहुंचा , लुटेरों ने अमित को उनकी सहायता करते देख क्रोध में आकर बहुत तेज धक्का मार ज़मीन पर गिरा दिया जिसके उसके हाथ पैर चील गए।
खुदको पर सभी को ऐसी संकट की घडी में पाकर अमित ने श्री कृष्ण को याद करते हुए मदद की गुहार की।
तभी वह कुछ ऐसा हुआ जिसे देख सभी हैरान रह गए , अचानक से उस सुनसान मार्ग पर एक , कुछ 18 या 19 साल का नवयुक जा पहुंचा।
वह बस के पास आकर उन लुटेरों से जाकर बोला की यह बालक मुझे देदो लुटेरों ने उसे भी हथियार से घायल करने का प्रयास किया।
परन्तु उनका कोई भी धारदार हथियार उस नवयुवक का कुछ बिगड़ ना सका , लुटेरों को लगा यह कोई जादूगर है और वह सभी दर कर वहाँ से उस बच्चे और सारा सामान छोड़ कर भाग खड़े हुए। नवयुवक अमित के पास गया और अपने हाथो से मिटटी उठा कर उसके छिले हुए हाथ पैरो पर लगा दी कुछ ही पल में अमित के सारे घाव भर गए जिसे देख वहाँ मौजूद लोग हैरान रह गए।
वह नवयुवक बिना कुछ वहाँ से चला गया थोड़ी देर बाद सभी ने उसे बस से उतर कर खोजने का प्रयास किया परन्तु तब तक वह वहाँ से गायब सा हो चूका था , तब अमित को अनुभूति हुई की यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं था , यह स्वयं माधव थे जिन्होंने उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर सभी की सहायता की है।
अमित की बात सुन और या घटना देख सभी की आँखे फटी की फटी रह गयी।