हेलो दोस्तों आज हम आपके लिए महादेव से जुड़ी एक ऐसी कहानी लेकर आए है। जिसको जानने के बाद आप रूक नहीं पाएंगे और इस मंदिर में जाने की इच्छा रखेगें। यह मंदिर इतना चमत्कारी है जो भी यहां जाता है वह खाली हाथ नहीं लौटता सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि, यहां पर महादेव की रखवाली के लिए कोई पुजारी नहीं है यहां पर सिर्फ नाग देवता ही उनकी रखवाली करते है। ऐसा क्यों इसके पीछे क्या राज़ है यह आज हम आपको बताते हैं। यह बिहार के एक गांव की कहानी है जहां भूरा नाम का व्यक्ति किसान था। वह खेती करके अपने घरवालों का पेट भरता था एक बार दिन के समय भूरा खेत में हल चला रहा था, जिस दौरान उसका हल एक ऐसी वस्तु पर बार-बार जाकर टकरा रहा था। जिसकी आवाज़ सुनकर वह सोचने लगा कि, कहीं यहां पर कोई खजाना तो मौजूद नहीं है। उसने थोड़ी सी खुदाई की तो उस दौरान उसे एक शिवलिंग दिखा जिसको उसने अपने हाथों से बाहर निकाला। इतने में ही सांपों का झुंड उस गड्ढे में से निकलने लगा। पूरे 11 सांप एक-एक करके निकलने लगे। भूरे की सांस ऊपर-नीचे होने लगी और वह शिवलिंग को लेकर खड़ा रहा। सभी सांपों ने उसको घेर लिया और उसे घूरने लगे। वह डरकर शिवलिंग से कहने लगा हे शिवजी भगवान मैंने तो बस एक लालच के लिए यह गड्ढा खोदा था मुझे नहीं पता था मैं धार्मिक गतिविधियों से छेड़छाड़ कर रहा हूं वह आंख बंद करके शिवजी भगवान से नागों से बचने की विनती करने लगा जब उसने आंख खोली तो वहां पर एक भी नाग नहीं था और वह शिवलिंग उसके हाथ में था। यह देखकर भूरे की सांस में सांस आई और उसने शिवलिंग को उसी प्रकार से फिर से ज़मीन में दफना दिया और घर चला गया। यह बात उसने अपने घर में किसी को नहीं बताई और सो गया। फिर उसको सपने में एक साधु दिखा और वो 11 नाग दिखे जिन्होंने उसको घेर लिया था। वह साधु भूरे से बोला पुत्र यह शिवलिंग तुम्हें मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है तुम बहुत सौभाग्यशाली हो जिसको यह अवसर मिला, मेरी तुमसे विनती है कि वह शिवलिंग कल के कल ही निकालो और वहां पर मंदिर स्थापित करो। यह सपना देखकर वह सुबह उठा और अपनी पत्नी को सबकुछ बताया फिर वह अपनी पत्नी को लेकर वहां गया जहां शिवलिंग उसको मिला था। तब भूरे की पत्नी ने कहा कि, क्या पता महादेव हमसे यह शुभ काम करवाना चाहते हो ताकि लोगों का कल्याण हो सके, वैसे भी यहां मंदिर काफी दूरी पर है। अपनी पत्नी की बात सुनकर भूरे ने कहा हमारे पास तो पैसे भी नहीं है तो हम कैसे इस मंदिर को स्थापित कराएंगे। तब भूरे की पत्नी ने कहा यह बात हम सरपंच जी को बताएंगें औ र मंदिर स्थापित करेंगे। वह दोनों उसी वक्त शिवलिंग को लेकर सरपंच के पास गए, लेकिन सरपंच ने उनकी बातों को नकारते हुए कहा कि, यह सब तुम्हारा झूठ है लोगों के बीच प्रसिद्धी पाना का। मैं इस खेत पर मंदिर बनने नहीं दूंगा। यह सुनकर वह पति-पत्नी उस शिवलिंग घर वापिस लिए। फिर रात के समय जो सपना भूरे को दिखा था वहीं सपना सरपंच को दिखा। जिसके बाद अगली सुबह सरपंच ने भूरे और उसकी पत्नी से इस विषय में बात की, लेकिन भूरे ने कहा हम यहां मंदिर स्थापित नहीं कर सकते, लेकिन शिवलिंग को स्थापित कर सकते हैं उसी वक्त भूरे ने कुछ पत्थर लगाकर उस मूर्ति को स्थापित किया। उसके बाद भूरा और उसकी पत्नी रोज़ वहां काम करने तो आते, लेकिन जहां पर शिवलिंग की मूर्ति थी वहां पर रोज़ाना पूजा-पाठ करते और मंदिर बनने की मनोकामना मांगते। 2 साल तक वह ऐसा ही करते रहे, फिर धीरे-धीरे उस जगह पर कई बदलाव होने लगे और वह खेत बिक गया। जिसने वह खेत खरीदा उसने शिवलिंग को वहां से हटाने की तमाम कोशिशे की, लेकिन वह कोई भी हटा नहीं सका। जिसका बाद उस खेत के मालिक ने वहां मंदिर बनावा दिया। कहा जाता है कि, आज भी वहां पर वो 11 नाग ही रहते हैं और शिवलिंग का ध्यान रखते है। कोई भी व्यक्ति या आपदा उस मंदिर को कभी भी हानि नहीं पहुंचा सकती, लेकिन इसके पीछे की वजह सिर्फ आजतक वजह बनकर रह गई है। कहा जाता है कि, यहां पर कोई भी पुजारी नहीं रह सकता। सबकुछ यहां यह नाग देवता करते हैं और जो लोग पूजा करने आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है, लेकिन यह नाग किसी को कुछ नहीं कहते। वह 11 नाग पूरा समय शिवलिंग पर ही विराजमान रहते है। इसे महादेव का चमत्कार ना कहे तो क्या कहे। जिसका लाभ स्थानीय लोगों को मिलता रहता है।
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