गुजरात के भावनगर मे शालिनी नाम की एक कन्या रहती थी जिसकी आस्था बचपन से माँ दुर्गा के प्रति दृढ थी , नित्य माँ की आरधना व्रत करना साथ ही अनेक शुभ प्रसंगो में माँ के कीर्तन करना उसे बहुत ही पसंद था। उसका एक सपना था की वह एक अच् डॉक्टर बनकर गरीबों की मदद कर सके , शालिनी के ऐसे उच्च विचारो को सुन उसके माता पिता बहुत ही खुस हो जाया करते थे , उहे अपनी पुत्री पर बहुत ही गर्व था। वह शुरू से ही होनहार विध्यार्ती थी जिसके कारण उसके अध्यापक गण भी उसे पसंद किआ करते। जीवन सुकमय व्यतीत हो रहा था किसी प्रकार का कोइ दुःख नहीं था। गर्मियों के अवकाश चल रहे थे तब शालिनी से परिवार वालो ने मुंबई घूमने जाने की योजना बनाई , सभी बहुत उत्साहित थे शालिनी तो सबसे ज्यादा क्यों काफ समय बाद सब एक साथ कही घूमने जाने वाले थे। दो दिन बाद रविवार की रात अपनी घड़ी से मुंबई के लिए रवाना हो गए। गाड़ी चलते हुए शालिनी के पिता को बहुत समय हो गया और सुबह के 4 बजे उनकी आँख लग गयी , और गाडी ने संतुलन खो दिया गाडी सड़क के किनारे खाई की और बढ़ने लगी शालिनी के पिता जा तक कुछ संभल पाते तब तक गाडी खायी में गिर कर पेड़ में अटक कर रुक गयी। शालिनी ने कहा की गाडी छोड़ हमें उतर जाना किये वार्ना हम सब नीचे गिर जायेंगे , शालिनी तुरंत गाडी से उत्तरी और अपनी माँ को उतर कर ऊपर की और ले गयी गाडी से उतारते हुए उन लोगो से गाड़ी हिल कर नीचे गिरने लगी , गाडी के साथ शालिनी के पिता जी भी गिर रहे थे। पिता को गिरते देख शालिनी चिल्लाने लगी और माँ तो बेहोश ही हो गयी कुछ देर बाद शालिनी को न उसके पिता दिखे न उनकी आवाज सुनाई दी , वह रोने लगी और माँ दूर से प्रार्थना करने लगी की हे माँ मेरे पिता जी आशा करो उनकी प्राण बचा लो। कुछ आधे जानते बाद खाई में से कोई बड़ा सा जानवर ऊपर आता दिखाई पड़ा जिसक कारण छोटी झाड़ियां हिल रही थी। शालिनी ने देखा कोई बड़ा सा जानवर के जबड़े ने किसी को जकड़ा हुआ है और उसे वो जानवर उसे छोड़ कर जा रहा है कुछ ही देर में जानवर वहां से गायब हो गया शालिनी ने पास जाकर देखा वह कोई और नहीं स्वयं उसके पिता जी है जिन्हे बहुत चोट आयी है उसने सड़क पर जाती गाड़ी से मदद लेकर माँ पिता जी को अस्पताल लेकर गयी। जब दोनों को होश आया और उन्होंने पुछा की तुमने हमें कैसे बचाया तब शालिनी ने उत्तर दया की मैंने आप लोगो को नहीं बचाया है मैंने तो मात्र माँ दुर्गा से प्रार्थना की उन्होंने किसी बड़े से जानवर को बेज आपकी रक्षा की है यह सुन माता पिता और डॉक्टर की आँखों में आंसू आ गये।
अगर आपकी श्रद्धा प्रबल हो और आत्मा शुद्ध तो स्वयं भगवान् को भी आपकी सुननी पड़ती है।
माँ दुर्गा के भक्त पर जब टूट पड़ा दुखो का पहाड़।माँ दुर्गा के भक्त पर जब टूट पड़ा दुखो का पहाड़।
By Prabhu BhaktiUpdated: