महाराष्ट्र के सतारा जिले में सत्या नाम का एक व्यक्ति रहा करता था। सत्या एक सरकारी विद्यालय में हिंदी का अध्यापक था , वह बच्चो से अत्यधिक प्रेम किया करता था बच्चे भी उससे उतना ही प्रेम किया करते थे। सत्या पवनपुत्र बजरंगबली का असीम भक्त था , वह प्रतिदिन मंदिर जाकर हनुमान जी पर सिन्दूर का चोला चढ़ाया करता साथ ही प्रत्येक मंगलवार का व्रत भी किया करता था। सभी से आदर भाव से बात किया करता गरीब असहाय लोगो की मदद भी किया करता था। सत्या का अनाथ बच्चो के प्रति एक अलग ही प्रकार का भाव था क्यों की सत्या ने बचपन में ही एक विमान दुर्घटना में अपने माता पिता को खो दिया था , उस समय सत्या का लालन पालन उसके दादा जी ने किआ था बाद में उनकी भी मृत्यु हर्दय घात से हो गयी थी। इसलिए वह बीच बीच में अनाथालय जाकर अनाथ बच्चों को किताबे व खिलोने और जरुरत के सामन दिया करता था। अपने अच्छे आचरण व सबकी सहायता करने वाले व्यक्तित्व के कारण समाज में सत्या की छवि बहुत ही उत्तम थी। सतारा में २ वर्ष पूर्व रामलीला का आयोजन किया गया था वहाँ भी सत्या ने ५० हज़ार रुपए का चंदा किया था और रामलीला में सुग्रीव की भूमिका भी अदा की थी। सत्या को कविता लिखने का और कवि सम्मलेन में कविता पाठ करना बेहद ही पसंद था , सत्या ऐसे ही एक कविसम्मेलन करके एक रात बहुत देरी से घर को लौट रहा था। आधे रास्ते पहुँच कर सत्या की मोटरसाइकिल का पेट्रोल ख़त्म हो गया वह धक्का दे कर मोटरसाइकिल को आगे बढ़ने लगा , थोड़ी ही दूर चल कर वह थक गया उसने वहाँ आती जाती गाड़ियों से सहायता मांगी परन्तु किसी ने उसकी सहायता नहीं की , वह दूसरी और देख किसी गाडी का इंतज़ार कर रहा था तभी पीछे से एक गाडी आयी जिसने बहुत तेज सत्या को टक्कर मारी आती बुरी तरह से घायल हो गया शरीर में कई जगहों से खून बहने लगा वह सड़क किनारे बेहोश पड़ा हुआ था परतु वहाँ कोई सत्या की सहयता के लिए आगे नहीं आया। खून तेजी से बहे जा रहा था सड़क पर खून ही खून हो चूका था। तभी वहाँ से सतारा का ही एक व्यक्ति गुज़र रहा था उसने सत्या को पहचान लिया उसने सत्या को जल्दी से जल्दी पास के अस्पताल में पहुँचाया डॉक्टर ने कहा की इनका बच पाना बहुत ही मुश्किल है क्यों की खून अधिक मात्रा में बह चुका है , डॉक्टर ने इलाज़ शुरू किआ परन्तु सत्या को होश नहीं आया था। तब तक आस पास के और लोग भी सत्या को देखने अस्पताल पहुँच चुके थे। सुब लोग बजरंगबली से प्रार्थना कर रहे थी की सत्या जल्द ही ठीक हो जाए। डॉक्टर कमरे से बहार आकर बोले की अब तो कोई चमत्कार ही सत्या के प्राण बचा सकता है। थोड़ी ही देर बाद स्पताल में कुछ ऐसा हुआ की जिसे देख सबकी आँखे फटी रह गयी। जब सत्या की साँसे धीरे धीरे कम होती जा रही थी तभी वहाँ कमरे की खिड़की से एक दिव्य प्रकाश सत्या के ऊपर पड़ा जिसे कमरे के बहार खड़े सभी लोगो ने दरवाजे से देखा , कुछ देर बाद वहाँ से वह प्रकाश लुप्त हो गया और सत्या का मूर्छित शरीर हिलने लगा , लोगो ने जल्दी से डॉक्टर को बुलाया डॉक्टर ने सत्या की जाँच की और सभी से पुछा इसे किसने छुआ , सभी ने बताया की एक प्रकाश अभी सत्या के ऊपर पड़ा उसके बाद उसका शर्रेर हिलने लगा जिसपर डॉक्टर ने कहा की सत्या की अंदुरनी चोट ठीक हो गयी है और अब वह खतरे से बहार है। जिसे सुन सभी हैरान रह गए सभी को ज्ञात हुआ की यह प्रकाश साधारण नहीं था ,पवनपुत्र हनुमान जी ने ही सबकी मदद करने वाले अपने परम भक्त की प्राण रक्षा की है।