Brihadeeswara Temple | बृहदीश्वर मंदिर
भारत मे कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जिनका संबंध पुराने युगों से हैं लेकिन जिस मंदिर के बारे मे हम आज आप सभी को बता रहे हैं वह मंदिर है बृहदीश्वर मंदिर/ Brihadeeswara Temple ,कोई पुराने युगों का नहीं बल्कि हमारे प्राचीन इतिहास का बेजोड़ उद्धारण हैं। जिसे देखकर लोग कहते हैं, की यह कहना तो पक्का हैं की हमारे पूर्वजों के पास खास उन्नत तकनीकों का खजाना था।
भारत मे तमिल नाडु के तंजावुर जिले मे स्थित बृहदेश्वर मंदिर/Brihadeeswara Temple हैं, यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं। और इस मंदिर को राजराजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। जिसे आज से लग भग 1000 साल पहले 110 वी सदी मे बनाया गया था। और इसी मंदिर मे भगवान शिव की सबसे बड़ी शिव लिंग मे से एक शिव लिंग रखी गई हैं।
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बृहदीश्वर मंदिर/ Brihadeeswara Temple का निर्माण चोल शासक के प्रथम राजराज चोल ने अपने समय पर करवाया था। उन्ही के नाम पर इस मंदिर का दूसरा नाम राजराजेश्वर मंदिर पड़ा।
बृहदीश्वर मंदिर/ Brihadeeswara Temple की वह हैरान कर देने वाली बातें जानते हैं, जो हमारे पूर्वजों की कलाकृत्यों पर सवाल उठाथी हैं। जहाँ आज के समय मे हर एक घर व मंदिर को बनने के लिए उसकी नीव खोदी जाती हैं, वही यह एकमात्र ऐसा मंदिर हैं जिसकी कोई नीव नहीं खोदी गई हैं। इसे सीधा जमीन से ही बना दिया गया हैं। और नीव को न खोदे जाने की वजह से यह अब तक हजारों भूकंप के झटके झेलने के बाद भी अब तक वैसा का वैसा ही खड़ा हैं।
जहाँ आम तौर पर सभी मंदिर पत्थर व मार्बल से बने होते हैं वही दूसरी तरफ बृहदीश्वर मंदिर/ Brihadeeswara Temple भारत का पहला और एकमात्र ऐसा मंदिर हैं, जो पूरे ग्रेनाइट के पत्थरों से बना हैं। जिसे मंदिर को बनाने मे लग भग 1 लाख 30 हजार टन ग्रेनाइट पत्थर का इस्तेमाल हुआ हैं। शायद आपको 1 लाख 30 हजार टन ग्रेनाइट थोड़ा कम लगे। लेकिन हम आपको बता दे की यह गिज़ा के प्रमिड से कई सो गुना ज्यादा हैं। दूसरी तरफ हैरान कर देने वाली बाते ये भी हैं की इस मंदिर के मिलों दूर तक ग्रेनाइट का नामों निशान नहीं हैं। अब ये सोचा जा सकता हैं, की जो मंदिर पूरे ग्रेनाइट से बना हैं आखिर वो ग्रेनाइट यहाँ कैसे लाया गया होगा?
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अब तक आप सभी को लग रहा होगा की बृहदीश्वर मंदिर/ Brihadeeswara Temple मे जो ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ हैं, वह बहुत छोटे छोटे ग्रेनाइट के पत्थरों को जोड़ कर बनाया गया होगा। लेकिन… यह बिल्कुल गलत हैं। हकीकत कुछ और ही बताती हैं। यह मंदिर पूरे 15 मजील इमारत जितना बड़ा हैं, जिसे इसके पत्थर को जोड़ने के लिए किसी भी तरह के सिमेन्ट व मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया गया हैं। सीधा पत्थर के ऊपर पत्थर रख कर बनाया गया हैं। अब यह सोचा जा सकता हैं की जिन पत्थरों को भारी भारी ब्लॉकों को उठाने के लिए आज के समय मे आधुनिक मशीनो का इस्तेमाल होता हैं, वही इस मंदिर के ब्लॉक के ऊपर ब्लॉक कैसे रखा गया होगा? वो भी पूरे 15 मंजिल इमारत जितना उचा।
बृहदीश्वर मंदिर/ Brihadeeswara Temple के शिखर के ऊपर एक एक गोलाकार स्वर्णकलश स्थित जिसे कुंबन के नाम से भी जाना जाता हैं। यह स्वर्णकलश पूरे 80 टन का हैं। हम आपको बता दे की, 80 टन 80 हजार किलो के बराबर का होता है। जिस मंदिर को बनाने मे 1 लाख 30 हजार टन ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ हैं वही इस मंदिर के शिखर के ऊपर रखा स्वर्णकलश ही पूरे 80 हजार किलो का हैं।
अब सोचने वाली बात ये हैं, की जहाँ आज के समय मे एक क्रैन बस 10 हजार किलो से लेके मात्र 60 हजार तक ही वजन उठा सकती है, वही प्राचीन समय की बात की जाए तो, जहां आधुनिक मशीन नहीं थी और आज के समय में जैसी आधुनिक क्रैन नहीं थी। वहाँ इस स्वर्णकलश को मंदिर के 15 मंजिले जीतने उचे शिखर के ऊपर इतना सटीक कैसे रखा गया होगा।
बृहदीश्वर मंदिर/ Brihadeeswara Temple अब तक के 6 सब से बड़े भूकंप और 2004 की भयंकर सुनामी झेलने के बाद भी अपनी जगह पर सही सलामत खड़ा हैं। इस मंदिर को कैसे बनाया गया होगा इस बारे मे कोई समझ नहीं पाया जहाँ तक की इस मंदिर के सामने विज्ञानिकों ने भी अपने घुटने तक टेक दिए।
बृहदेश्वर मंदिर की विशेषता क्या है? | What is the Speciality of Brihadeshwara Temple?
मंदिर में दुनिया का सबसे ऊंचा विमानम (मंदिर टॉवर) है और इसके कुंभम (शीर्ष पर संरचना) का वजन लगभग 80 टन है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर नंदी (पवित्र बैल) की एक विशाल मूर्ति है। यह प्रतिमा एक ही चट्टान से बनाई गई है और इसका वजन लगभग 20 टन है। मंदिर के अंदर का लिंगम 3.7 मीटर लंबा है।
बृहदेश्वर मंदिर को जीवित मंदिर क्यों कहा जाता है? | Why is Brihadeeswara Temple called a living temple?
तीनों मंदिरों में अभी भी प्राचीन प्रथाएं चल रही हैं और इसलिए इन्हें “जीवित चोल मंदिर” नाम दिया गया है। तंजावुर या ‘तंजौर’ जैसा कि पहले जाना जाता था, तमिलनाडु में कावेरी नदी डेल्टा में स्थित है।
बृहदेश्वर मंदिर का निष्कर्ष क्या है? | What is the conclusion of Brihadeeswara Temple?
यह मंदिर लगभग 16 मंजिल ऊंचा है। इस मंदिर में किसी भी तरह के सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है, फिर भी 1000 साल से सिर्फ पत्थरों से बना यह मंदिर शान से खड़ा है। इस मंदिर के विशाल आकार के कारण इसे दक्षिण मेरु यानि दक्षिणी पर्वत भी कहा जाता है।
कहा बृहदेश्वर मंदिर स्थित है | Where is Brihadeeswara Temple situated | Where brihadeshwara temple is located
भारत मे तमिल नाडु के तंजावुर जिले मे स्थित बृहदेश्वर मंदिर/Brihadeeswara Temple हैं, यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं। और इस मंदिर को राजराजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। जिसे आज से लग भग 1000 साल पहले 110 वी सदी मे बनाया गया था। और इसी मंदिर मे भगवान शिव की सबसे बड़ी शिव लिंग मे से एक शिव लिंग रखी गई हैं।
तंजावुर में बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण किसने करवाया था? | Who built brihadeshwara temple in thanjavur
इस मंदिर का निर्माण चोल शासक के प्रथम राजराज चोल ने अपने समय पर करवाया था। उन्ही के नाम पर इस मंदिर का दूसरा नाम राजराजेश्वर मंदिर पड़ा।
बृहदेश्वर मंदिर कितना पुराना है? | How old is Brihadeeswara Temple
बृहदेश्वर मंदिर/Brihadeeswara Temple आज से लग भग 1000 साल पहले 110 वी सदी मे बनाया गया था। और इसी मंदिर मे भगवान शिव की सबसे बड़ी शिव लिंग मे से एक शिव लिंग रखी गई हैं।