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    Home » अद्भुत है गणेश जी का यह मंदिर का रहस्य, दूर-दूर से आते हैं भक्त देखने
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    अद्भुत है गणेश जी का यह मंदिर का रहस्य, दूर-दूर से आते हैं भक्त देखने

    VikashBy VikashNovember 15, 2023Updated:November 15, 2023
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    Shree Ganesh ji ka Mandir jisme hai Bhakti ki Bharmaar

    Shri Ganesh ji ka Mandir – श्री गणेश, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं जो बुद्धि, शक्ति, और सृष्टि के प्रति आराध्य हैं। विघ्नहर्ता और सुखकर्ता के रूप में पूजे जाने वाले गणपति को लोग प्यार से “विघ्नराज” भी कहते हैं।

    श्री गणेश जी के मंदिर में उमड़ती भक्ति की भरमार, यह दृश्य होते है बहुत खास। जब गणपति बप्पा के भक्त हजारों की संख्या में एकत्र होते हैं, तो मंदिर का माहौल होता है बहुत अनोखा।

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    Lord Ganesha Silver pendant with chain

    Adi Vinayaka Mandirganeshadivinayaka : Lord Ganesha Temple

    हम सभी गणेश जी को सबसे पहला दर्जा देते हैं, नए शुभ कार्यों से लेके हर मनुष्य के जन्म से शुरुआत होती हैं भगवान गणेश से।और आज के इस लेखन मे हम आपको लेके आए हैं, भगवान गणेश के एक अनोखे मंदिर मे जिसका नाम हैं आदि विनायक मंदिर। भक्तों के दिलों का धड़काने वाला यह केंद्र, जहाँ गणपति बप्पा की है अनोखी प्रतिमा एक अनोखे रूप में विराजमान करती है। उन भक्तों की आस्था के बीच, जो गणेश जी के इस मंदिर में होते है एकत्र और उनकी भक्ति और आशीर्वाद से भरा रहता हैं ये मंदिर।

    तो चलिए इस लेखन मे, हम आपको दर्शन कराएंगे भगवान गणेश के एक अनोखे पवित्र धार्मिक स्थल के। तो चलिए शुरू करते हैं।

    ganesh ji ka mandir ka rahasya kya hai

    Also Read : भगवान श्री कृष्ण से पहले, हनुमान जी ने क्यूँ उठाया था गोवर्धन पर्वत ? 

    आदि विनायक मंदिर, तमिलनाडु के तिरुवरूर ज़िले में कुटनूर से लगभग 3 किलोमीटर दूर तिलतर्पण पुरी में स्थित है। हम सभी कभी न कभी गणेश जी के मंदिर तो गए ही होंगे, और सब को अक्सर भगवान गणेश का एक ही अवतार देखने को मिलता हैं और वो हैं गजमुख अवतार अर्थात: हाथी के सर का अवतार।

    लेकिन यह आदि विनायक मंदिर, श्री गणेश जी का पूरे विश्व मे एक मात्र एसा मंदिर हैं, जहा भगवान गणेश को उनके के गजमुख अवतार मे नहीं बल्कि नरमुख अवतार अर्थात: इंसानी चेहरे के साथ पूजा जाता हैं। जिस वजह से इन्हे नरमुख विनायक भी कहा जाता हैं।

    और यह मंदिर 7 वी सताब्दी मे बनाया गया था और यह मंदिर दक्षिण भारत मे सबसे पुराने श्री गणेश मंदिरों मे से एक मंदिर हैं। माना यह भी जाता हैं यहा की
    ऋषि अगस्त्य यहाँ पर संकटहार चतुर्थी पर पूजा किया करते थे। लेकिन
    ऋषि अगस्त्य हैं कौन? जानते हैं इनके बारे मे भी, वह एक वैदिक ॠषि थे और यह भारत के हिन्दू धर्म मे सप्तऋषियों की गिनती मे हमेशा सबसे ऊपर रहे हैं। इनका जन्म श्रावन शुक्ल पंचमी को काशी मे हुआ था। और यह वर्तमान मे अगस्त्य के नाम से जाने जाते हैं।

    पौराणिक कथाओं और मान्यतों के मुताबिक, भगवान राम ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए यहाँ पूजा की थी, उसकी वजह यह थी की, जब वह अपने महल मे अपने पित्रों की आत्मा की शांति के लिए पूजा कर रहे थे, तो उनके रखे चार चावल के लड्डू कीड़े के रूप में बदल गए थे। भगवान राम जब जब चावल के लड्डू बदलते थे, तब तब चावल के लड्डू कीड़े के रूप में परिवर्तित हो जाते थे।

    ऐसे मे भगवान राम ने शिव जी का आवाम किया और अपनी हो रही समस्या का हल पूछा, तब भगवान शिव ने भगवान राम को आदि विनायक मंदिर मे विधिपूर्वक पूजा करने की सलाह दी। ऐसे मे भगवान राम ने आदि विनायक मंदिर मे जाकर पितरों की आत्मा की शांति करी। और आज भी इस मंदिर मे पितरों की आत्मा की शांति के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।

    मान्यतों के मुताबिक इस मंदिर मे अगर सच्चे दिल से गणेश जी से कुछ मांगों तो वह मुराद अवश्य पूरी होगी, और साथ ही इस मंदिर मे दर्शन करने से घर मे सुख समृद्धि विराज करती हैं।

    साथ ही साथ आदि विनायक मंदिर में भगवान गणेश के साथ साथ यहा पर भगवान शिव की और माता सरस्वती की भी पूजा आराधना होती है। इस मंदिर में विशेष तौर पर भगवान शंकर की पूजा जाता है। और श्रद्धालुओ भीड़ हमेशा उभरी रहती हैं। श्रद्धालुओ की माने तो उन्हे यहाँ आकर सकरात्मकता का एक अनोखा अनुभव महसूस होता हैं।

    कलयुग में गणेश जी का क्या नाम है? | Kalyug mai ganesh ji ka kya naam hai ?

    भगवान गणेशजी का कलियुग में जो अवतार होगा उसका नाम होगा ‘ धूम्रकेतु ‘। कलियुग में समाज में फैल चुकी बुराइयों को दूर करने के लिए लोगों को सद्बुद्धि देने के लिए गजाजन भगवान अपने इस अवतार में प्रकट होंगे।

    गणेश भगवान को सबसे ज्यादा क्या पसंद है? | Ganesh bhagwan ko sabse jyada kya pasand hai ?

    गणेश या गणपति को मिठाइयां अर्पित की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद है, इसलिए जगह-जगह इसे बनाया जाता है। केला – गणेश जी को केला बहुत प्रिय है. गणेश जी की पूजा में कभी एक केला अर्पित न करें. केला हमेशा जोड़े से चढ़ाना चाहिए. बेल – भगवान भोलेनाथ की तरह गणपति जी को भी बेल का फल बहुत पसंद है साथ ही यह दिन गणेश भगवान को भी समर्पित है। गणेश जी को दूर्वा अति प्रिय है जिसका रंग हरा होता है।

    लक्ष्मी और गणेश जी का क्या रिश्ता है? | Laxmi aur Ganesh ji ka kya rishta hai ?

    भगवान गणेश ( Lord Ganesha ) माता पार्वती और महादेव के पुत्र हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता लक्ष्मी ( Mata Lakshmi ) भी श्री गणेश को ही अपना पुत्र मानती है? गणपति को माता लक्ष्मी का दत्तक पुत्र कहा जाता है. दीपावली पर माता लक्ष्मी की श्री गणेश के साथ पूजन माता और पुत्र के रूप में होता है गणेश माता लक्ष्मी के ‘ दत्तक-पुत्र ‘ माने जाने लगे। गणेश को पुत्र रूप में पाकर माता लक्ष्मी अतिप्रसन्न हुईं और उन्होंने गणेश जी को यह वरदान दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा नहीं करेगा मैं उसके पास नहीं रहूंगी। इसलिए सदैव लक्ष्मी जी के साथ उनके ‘दत्तक-पुत्र’ भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

    गणेश जी का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है? | Ganesh ji ka sabse bada Mandir kon sa hai ?

    विश्व की सबसे ऊँची और विशाल गणेश प्रतिमा के बतौर बड़े गणपति की ख्याति है। शहर के पश्चिम क्षेत्र में मल्हारगंज के आखिरी छोर पर ये गणेश विराजमान हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस गणेश मंदिर का नाम भी ‘ सिद्धिविनायक ‘ है और यह देश का सबसे बड़ा गणेश मंदिर है. मंदिर का निर्माण अहमदाबाद के पास स्थित महेमदाबाद में वात्रक नदी किनारे लगभग एक साल पहले ही हुआ है. मंदिर का शिलान्यास 7 मार्च 2011 को हुआ था। गणेश जी का यह मंदिर 6 लाख स्क्वायर फीट में बना है.

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