हमारे देश के रक्षक हमारे फौजी भाई सदैव ही हमारी रक्षा हेतु सरहद पर हर रोज़ अपनी जान तक दांव पर लगा देते है। कैसी भी चुनौती उनके सामने क्यों ना हो वह सदा उसका डट कर सामना करते है।
आज ऐसी ही एक सच्ची घटना हम आपके सामने लेकर आ रहे है जहाँ देशभक्त फौजी की जान खतरे में पड़ गयी और तभी ऐसा चमत्कार हुआ जिसे देखने व सुनने वाले दंग रह गए।
हरियाणा के एक मध्यम वर्गीय परिवार में सतीश नाम का लड़का रहा करता था , वह सदा से ही हनुमान जी की भक्ति में लगा रहता था ,हनुमान चालीसा का पाठ करना मंगलवार का उपवास रखना उसका कई वर्षो पुराण नियम था। सतीश ने अपनी पढाई प्रथम श्रेणी से उत्त्रीण की उसके बाद वह फौज की तैयारी में लग गया , वह दिन रात बहुत मेहनत किया करता था।
सतीश के कई साथी भी फ़ौज की तैयारी कर रहे थे परन्तु वह सभी एक बड़े संस्थान में दाखिला लेकर अपनी अपनी तैयारियों में लगे हुए थे , पर मध्यम वर्गीय परिवार होने के कारन से सतीश के पास इतने पैसे नहीं थे की वह किसी ऐसे संसथान में दाखिला लेकर अपनी तैयारी कर सके। इसीलिए सतीश दिन में शारारिक महेनत किया करता , और रात भर जाग कर अपनी पढाई पर ध्यान देता।
कुछ समय बाद सतीश ने फ़ौज की प्रवेश परीक्षा दी और पहली ही बार में सतीश ने परीक्षा पास कर ली। बजरंगबली की कृपा से सतीश को फ़ौज में नौकरी मिल गयी , जिसके बाद सतीश की तैनाती लद्दाख की सियाचिन सीमा पर की गई।
सतीश पूरे उत्साह से रोज़ समय से पहले सीमा पर पहुँच जाया करता और पूरी ईमानदारी से अपना कार्य किया करता , सतीश ने अपने व्यवहार से कुछ ही दिनों में अपने संगी साथियो एवं बड़े अफसरों सभी का दिल जीत लिया था। परन्तु इतने व्यस्थ दिनचर्या से भी सतीश समय निकाल बजरंगबली की पूजा व आराधना किया करता।
सब कुछ सुखमय रूप से व्यतीत हो रहा था परन्तु कुछ समय पश्चात एक ऐसी घटना घटित हुई जो कोई सोच भी नहीं सकता , और जिसने भी ये घटना सुनी वह दंग ही रह गया।
जब एक दिन सतीश अपनी तैनाती पर था उस दिन अत्यधिक गर्मी होने के कारन बर्फ की एक पहाड़ी ढह गयी जिसके कारन अतीश पहाड़ी से नीचे गिर गया , जिस समय ऐसा हुआ वहाँ सतीश का कोई साथी मौजूद ना था। सतीश ने गिरते हुए कई हाथ पैर मार कर खुद को रोकने का भरसक प्रयास किया परन्तु सारे प्रयास विफल रहे सतीश कुछ ही पल में बर्फ के नीचे दब गया , सतीश कोशिश कर रहा था की वह बर्फ से बहार निकल आये परन्तु वह नाकामयाब रहा।
धीरे धीरे सतीश का शरीर ठंडा पड़ता गया जिसके कारन वह बेहोश हो गया। सेना में यह बात फ़ैल गयी की जिस स्थान पर सतीश की तैनाती थी वहाँ इतना बड़ा हादसा हो गया है , सभी लोग अपनी अपनी टुकड़ियों के साथ भाग कर उस स्थान पर जा पहुंचे और बिना विलम्भ किये सतीश को खोजना शुरू कर दिया परन्तु इतनी बर्फ में सतीश का कोई पता न चला। कुछ ही घंटो में अँधेरा हो गया सभी ने मान लिया की सतीश बर्फ के नीचे दब गया जिसके कारन उसकी मृत्यु हो गयी और सभी सैनिक वापस अपने अपने स्थानों पर लौट गए। .
वापस लौटकर भी सभी सैनिक सतीश की कोई खबर आने के इंतज़ार में थे 28 घंटे हो चुके थे परन्तु सतीश का कुछ पता नहीं चल पा रहा
था।
परन्तु सतीश 28 घंटो से बर्फ के नीचे दबा अवश्य था परन्तु उसके प्राण अभी निकले ना थे , बर्फ से दबा हुआ ठण्ड से कांपते हुए सतीश संकटमोचन हनुमान जी को याद करते हुए मदद की गुहार लगाने लगा तभी कुछ ही देर में ऐसा चमत्कार हुआ जिसके कारन सतीश को लगने लगा की उसके ऊपर पड़ी बर्फ का वजन हल्का होता जा रहा है मानो जैसे कोई उसे उठा रहा हो।
बर्फ के हल्का होते ही सतीश के शरीर में एक नई ऊर्जा सी प्रवाह हो गई अपनी सारी ताकत के साथ सतीश ने पूरी बर्फ को अपने ऊपर से हटा कर फेंक दिया , परन्तु अब भी एक समस्या बड़ी जटिल थी की पहाड़ी गिरने के कारन सतीश को वापस जाने का मार्ग समज नहीं आ रहा था। तभी सतीश को अपने से कुक दूर कुछ पैरो के निशान दिखाई पड़े जो बनावट मे तो साधारण इंसान जैसे थे परन्तु आकर में विशाल थे। सतीश उनके पीछे जाने लगा।
अब जैसे जैसे सतीश पैरो के निशानों के पीछे चलता जा रहा था आगे नवीन निशान अपने आप बनते चले जा रहे थे सतीश समज गया ये कोई और संकटमोचन हनुमान जी ही है जिन्होंने मजे बर्फ से भी निकला और मार्ग भी दिखाया।
सतीश कुछ देर बाद वापस अपने साथियो के पास जा पंहुचा और उन्हें जो भी उसके साथ हुआ सब विस्तार में बताया सभी सुनकर हैरान रह गए।
इस प्रकार बजरंगबली ने अपने भक्त और हमारे देश के एक वीर सैनिक की प्राण रक्षा की।