जाको राखे साइयाँ मार सके ना कोई। अर्थात जिसके साथ भगवान् है , उसका तो क्रूर कालचक्र भी कुछ बिगड़ नहीं सकता। ऐसी ही एक कहानी एक बारे में हम आज आपको बताने जा रहे है , जो हमें भेजी है , जम्मू में रहने वाले पंडित शिवरतन जी ने।
पंडित शिवरतन जी लांदेर , जम्मू के निवासी है जिनकी आयु इस समय 81 वर्ष है। शिवरतन जी एक लम्बे समय से माँ दुर्गा के उपासक है , वह प्रतिदिन नियमबद्ध रूप से माता की पूजा अर्चना किया करते है। शिवरतन जी अपने बच्चो व पौत्र पौत्री के साथ रहते है। एवं उनके परिवार में सभी माँ दुर्गा के प्रति सच्ची निष्ठा व आस्था रखते है ।
सब कुछ सुखमय रूप से व्यतीत हो रहा था , इसी वर्ष जुलाई माह में शिवरतन जी की इच्छा हुई की वह अपने पूरे परिवार के साथ , लांदेर से कुछ 300 किलोमीटर दूर मचैल माता के दर्शन करके आये। उन्होंने अपने घर में सभी के साथ योजना बनाई।
वह सभी कुल 20 से 22 लोग थे। सभी ने मिलकर एक छोटी बस का इंतज़ाम किया और 3 जुलाई को यात्रा के लिए निकल गए।
सभी लोग माता मचैल की भक्ति में लीन होकर भजन गाते गाते आगे बढ़ रहे थे , बड़ा ही भक्तिपूर्ण माहौल बना हुआ था। परन्तु आगे जो संकट आने वाला था उससे सभी अनजान थे। कुछ ऐसा होने वाला था जो किसी ने सोचा भी ना था। कुछ दस से बारह घंटे का सफर पूर्ण करने के बाद शिवरतन जी अपने पुअर परिवार सहित मचैल माता के मठ जा पहुंचे। सभी ने वहाँ अच्छे से दर्शन झांकी की , और माँ का आशीर्वाद लेकर वापस लांदेर के लिए निकल गए।
लांदेर लौटते हुए बीच मार्ग में शिवरतन जी की बस एक ऊँची चढ़ाई चढ़ रही थी , और उसी वक्त बस खराब होकर बंद हो गयी डाइवर की लाख कोशिशों के बाद भी बस चालू नहीं हो रही थी। बस ऊँची चढाई से पीछे की तरफ लुढ़कने लगी , ड्राइवर पीछे जाती बस को रोकने के लिए ब्रेक लगा रहा था परन्तु ब्रेक भी काम नहीं कर रहे थे , और पीछे खाई को देख बस में मौजूद शीरतन जी व उनके सभी परिवारजन सभी बड़े ही भयभीत हो गए।
बस को जब ड्राइवर की लाख कोशिशों के बाद भी रोंका ना जा सका और किसी को कोई और मार्ग दिखाई नहीं दिया , तब शिवरतन जी ने माता मचैल को याद करते हुए कहा की , हे माँ मुझे अपने प्राणो की कोई परवाह नहीं है परन्तु यहाँ उपस्थित मेरे बच्चो और पौत्र एवं पौत्री की रक्षा कीजिये वार्ना अनर्थ हो जायेगा।
उसके बाद जो हुआ उसे देख सभी के होश उड़ गए। तेज रफ़्तार से खाई की और लुढ़कती हुई बस अचानक से बीच मार्ग मे कुछ इस प्रकार से रुक गयी जैसे किसी ने उसे पकड़ लिया हो , ड्राइवर चिल्ला कर कहने लगा की मैंने तो ब्रेक लगाए नहीं फिर यह बस कैसे रुकी , किसी को समज नहीं आ रहा था की यह हुआ है और कैसे , परन्तु शिवरतन जी समज चुके थे की जो उन्होंने प्रार्थना माता मचैल से की थी वह उन्होंने सुन ली है और उन्ही ने सभी की प्राण रक्षा की है।
वहाँ मौजूद किसी भी व्यक्ति को अपनी आँखों पर यकीन ना था , परन्तु सत्य तो यही है की शिवरतन जी के माँ मचैल पर अटूट विश्वास एवं निस्स्वार्थ भाव से की गयी विनती को माँ ने सुना और अपने भक्त की प्राण रक्षा की।