यह कहानी हमे रंजीत पांडे जी ने भेजी हैं; यह कहानी शुरू होती हैं, साल 2014 से जब रंजीत पांडे जी अपने 3 दोस्तों के साथ एक हॉस्टल के बने एक कमरे मे रहते थे, जिसमे एक दोस्त का नाम कार्तिक और दूसरे का नाम पीयूष था। तीनों ही आपस मे पक्के दोस्त थे।
लेकिन एक रात एसी थी जिसमे इन लोगों के लिए हनुमान के प्रति प्रेम और भरोसे की भावना बहुत बड़ गई। शनिवार की रात तीनों दोस्त अपने कमरे मे आराम कर रहे थे, उन्मे से पीयूष कहता हैं चलो बाहर टहलने चलते हैं, कार्तिक और रंजीत दोनों मना करते हैं और कहते हैं, रात के 10 बज रहे है इस वक्त बाहर जाना सही नहीं होगा। लेकिन पीयूष अपनी जिद्द पर था वो जैसे-तैसे दोनों को मना लेता हैं, और फिर तीनों बाहर जाते हैं।
रंजीत और कार्तिक के मन मे बस यही चल रहा था की बाहर का एक चक्कर लगा कर जल्दी हॉस्टल वापिस आ जाएंगे। तीनों जाते तो जल्दी वापिस आने के लिए हैं, लेकिन रात के अंधेरे मे थोड़ा ज्यादा ही आगे निकल जाते हैं।
अब तीनों को वापिस जाना होता हैं लेकिन जब वापिस आते हैं, तो 2 रास्ते हॉस्टल वापिस जाने के होते हैं, तीनों ही थक गए थे तो छोटा वाला रास्ता लेते हैं।
तीनों आराम से जा ही रहे होते हैं, तभी कार्तिक बोलता हैं “ये रास्ता कितना डरावना हैं पूरा जंगलों से घिरा हुआ हैं, मुझे तो बहुत डर लग रहा हैं” रंजीत, कार्तिक को बोलत हैं अब ज्यादा दूर नहीं हैं पँहुचने ही वाले हैं। आयुष रात के अंधेरे का फायेदा उठाते हुए कार्तिक को डराने लगता हैं, और कहता है “सुना है रात के अंधेरे मे भूत घूमते हैं” ये सुनने के बाद कार्तिक थोड़ा और डर जाता हैं, जिससे वह जल्दी हॉस्टल चलने के लिए बोलता हैं।
तीनों थोड़ा आगे जाते ही है, अचानक से कार्तिक धड़ाम से नीचे गिर जाता हैं और चिल्लाते हुए उनसे आगे भाग जाता हैं। यह देखने के बाद रंजीत और आयुष दोनों डर जाते हैं और कार्तिक की पीछे भागने लगते हैं, लेकिन कार्तिक कही अंधेरे मे ही गायब हो जाता हैं। आयुष और रंजीत, कार्तिक को हर जगह आवाज लगाते हैं, लेकिन कार्तिक का कोई जवाब नहीं मिलता।
दोनों और आगे जाते हैं कार्तिक को ढूँढने के लिए, कुछ दूर चलते ही दोनों को कार्तिक बेहोशी की हालत मे मिलता हैं। दोनों कार्तिक को जगाने की कोशिश करते हैं, थोड़ी मेहनत करने पर कार्तिक को होश आया।
रंजीत पूछता हैं हुआ क्या था भागा क्यूँ? कार्तिक बड़ा डरता हुआ और धीमी आवाज मे कहता हैं, “तुम दोनों आगे चल रहे थे मैं तुम लोगों से थोड़ा पीछे था अचानक मुझे किसी ने जोर से नीचे की ओर धक्का दिया, मुझे कुछ नहीं सुझा और मैं वहा से भाग गया; थोड़ा आगे जाकर मुझे एक औरत दिखी जो मुझे बहुत भयानक तरीके से घूर रही थी। फिर उसके बाद मैं बेहोश हो गया।“
रंजीत समझ चुका था की आखिर यहा जो भी हुआ वो क्या था! रंजीत हनुमान जी का बहुत बड़ा भक्त था वह दोनों जल्द से जल्द इस जगह से निकलने की सलाह देता हैं, लेकिन आयुष कहता हैं “कार्तिक तू बेकार मे डरता हैं भूत-प्रेत आत्मा जैसा कुछ नहीं होता” आयुष का इतना बोलते ही आसमान मे बादल थोड़े छठते हैं और चाँद की रोशीनी से आस-पास देखने से मालूम पड़ता हैं, यह तीनों अभी एक कब्रिस्तान मे खड़े हैं। अब आयुष थोड़ा शांत हुआ और वहा से जल्द ही तीनों के साथ निकलने लगा, तीनों बहुत डरे हुए थे।
जैसे-तैसे तीनों हॉस्टल पहुच जाते हैं, किसी को बिना कुछ बोले अपने बिस्तर पर जाकर कंबल ओड़ कर लेट जाते हैं। डर के कारण किसी की आँखों मे नींद नहीं होती, थोड़ा वक्त बीता अचानक से कमरे मे किसी के दौड़ने की आवाज आने लगी, तीनों घबराहट मे झट से कंबल निकालते हैं और देखते हैं यह कैसी आवाज हैं?!?! लेकिन कमरे मे तीनों के अलावा कोई नहीं था। तीनों इतने डरे हुए थे की किसी मे हिम्मत नहीं थी की कमरे का दरवाजा बंद करदे। आयुष बाहर कमरे के दरवाजे की तरफ देखता है की एक औरत दरवाजे पर खड़ी हुई हैं।
आयुष बहुत तेज चीखा और रंजीत के बराबर मे भाग कर लेट गया और डर के कारण कार्तिक भी रंजीत के पास भाग गया। आयुष रंजीत से कहता हैं, “रंजीत तू तो हनुमान जी का भक्त है न कुछ कर” रंजीत ये सुनकर हनुमान चालीसा गाने लगता हैं, तभी उनका बेड जोर से अपनी जगह से खिसक गया।
रंजीत हनुमान जी को याद करता हैं और कहता हैं, “हे प्रभु राम दूत हनुमान हमारी रक्षा करो हमे बचाओ” कुछ ही देर मे, कमरे मे अचानक से शांति हो जाती हैं, और तीनों थोड़े शांत होते और एक ही बिस्तर पर लेट जाते हैं। और तीनों की लेटे आँख लग जाती हैं। और तीनों को रात में एक ही सपना आता हैं जिसमे तीनों अपनी अवस्ता मे सो रहे होते है और हनुमान तीनों के सर पर हाथ फेरते हैं और कमरे की खिड़की खुलती हैं और हनुमान जी वहा से छलांग लगा देते हैं।
और वास्तव मे वह खिड़की खुली हुई थी जिसे रंजीत ने खुद अपने हाथों से बंद करी थी।
इसी तरह हनुमान जी ने अपने भक्त की आत्मा से रक्षा करी।