हरियाणा के रेवाड़ी शहर में विनोद नाम का एक व्यक्ति रहता था , वह एक मिठाई की दूकान चलाया करता था। विनोद हनुमान जी का असीम भक्त था रोज़ हनुमान चालीसा का पाठ करता , हनुमान मंदिर जाकर भोग लगाया लगाना उसका रोज़ का नियम था। असहाय व मजबूरो की मदद करने में विनोद को एक अलग ही सुख की प्राप्ति होती थी। आस पास के सभी लोगो का मानना था की हनुमान जी की कृपा विनोद पर बनी रहती है। एक दिन बजरंग बलि की ही कृपा से ही विनोद को एक विवाह का बड़ा ऑर्डर मिला जिसके लिए उसे लखनऊ जाना था , विनोद ने अपनी साईं तैयारियां पूरी करि और ४ दिन बाद लखनऊ के लिए निकल गया। प्रातः जल्दी अपने घर से निकल रेलवे स्टेशन पहुंच गया। विनोद ने अपनी ट्रेन पकड़ी और रेवाड़ी से लखनऊ के लिए रवाना हो गया। सफर लम्बा होने के कारन बेरली के स्टेशन पर खाना लेने के लिए उतरा , ट्रेन ने हॉर्न बजा कर चलने का संकेत दिया विनोद ट्रेन की ओर भागा ओर उसका पैर फिसल गया और विनोद ट्रेन व प्लेटफॉर्म के बीच जा गिरा। विनोद ने खुद को संभाल कर वहाँ से निकलने का प्रयास किया परन्तु वह बुरी तरह से फंस चुका था , उसके सारे प्रयास विफल थे। जल्द ही वहाँ लोगो की भीड़ लग गयी , भीड़ में से भी कई लोगो विनोद की मदद करि परन्तु उसका आधा शरीर प्लेटफॉर्म के बीच कुछ ऐसा फंस चुका था की वह हिल भी नहीं पा रहा था। ट्रेन ने भी चलने का दूसरा संकेत दे दिया विनोद दर से बेहाल हो चुका था , सभी लोग भी ट्रेन को रुकवाने हेतु इधर उधर भागने लगे । विनोद को जब कोई और मार्ग नहीं मिला तब उसने बजरंग बलि को याद कर मदद की गुहार लगाई। और ट्रेन ने चलने का तीसरा व आखिरी संकेत दिया और ट्रेन जैसे ही चलने लगा तन्हि वहाँ एक बालक पहुँच गया उसने विनोद के सामने आकर ट्रेन पर अपना हाथ रखा और ट्रेन तुरंत वही रुक गयी भरी भीड़ के सामने बालक ने विनोद का हाथ पकड़ा और उससे कहा आप चिंतित न हो और इतना कह कर वह बालक खुद ट्रेन व प्लेटफॉर्म के बीच नीचे उतर गया सभी लोग बच्चे को रोकने लगे परन्तु बालक ने किसी की एक नसुनि और विनोद के पैर पकड़ कर उसे गोद में उठा कर बाहर निकल दिया और फिर खुद भी बाहर आ गया। यह देख सभी हैरान रह गए। सभी ने बालक से कई सवाल किये की तुम कोण हो कहा से आये हो , तुम तो बालक हो फिर इतने बड़े आदमी को तुमने गोद में कैसे उठाया , परन्तु ने किसी का कोई उत्तर नहीं दिया और मुस्कुरा कर विनोद को देखता रहा , फिर बालक ने विनोद से कहा की में कौन हूँ क्यों पूछते हो अपने ही तो मुझे याद कर मदद मांगी थी तो मुझे तो आना ही था इतना बोल वह बालक वहाँ से जाने लगा।
लोगो ने विनोद से पुछा की यह बालक कौन है और तुमने इससे मदद कब मांगी विनोद को याद आया की उसने तो हनुमान जी से मदद की गुहार लगायी थी यह सुन सब आश्चर्य में पद गए सबने बालक को रोकने के लिए आवाजें भी लगाई परन्तु कुछ ही पालो में वह बालक वहाँ से गायब हो गया। लोगो का विश्वास अटूट हो गया की हनुमान जी ने बालक रूप में आकर ही विनोद की जान बचायी है।