केदारनाथ के पास ही के साधु से सुनी कहानी बताते है वह के लोग , की आज से बहुत साल पहले एक साधु रोज़ गंगा मैं स्नान करने जाया करते थे। स्नान करके वह पास ही स्थित शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करते पूरी विधि विधान से पूजा किया करते थे। साधु शिव जी के प्रति सच्ची निष्ठा का भाव रखते थे , कुछ अगर बुरा या गलत होने वाला होता तो उन्हें पहले ही आभास हो जाया करता था ,जिसे वह के लोग चमत्कार कहते परन्तु साधु का कहना था की यह कोई चमत्कार नहीं है यह तो महादेव की कृपा है जो उन्हें पहले से ही सब आभास हो जाता है। गंगा मैं स्नान करना शिवलिंग की पूजा करना उनका प्रतिदिन का नियम था वह कभी नियम से नहीं चूकते थे। सभी का मानना कुछ ऐसा था की साधु पर महादेव की कुछ असीम कृपा बनी हुई है। पास के कई लोगो की बड़ी से बड़ी बीमारी जिनका इलाज़ अच्छे अच्छे डॉक्टर नहीं कर कर पाए थे उनका इलाज़ साधु ने मात्र गंगा जल की कुछ बूंदो से किया था , वह सब से अक्सर कहते थे की गंगा महादेव की जटा से निकल कर यह आती है इस गंगा जल मैं महादेव की शक्ति है जो बड़े से बड़ी परेशानियों को दूर कर सकती है। एक बार साधु अपने नियम के अनुसार गंगा से स्नान करके बहार आये और शिवलिंग पर अभिषेक करने को आगे बड़े तभी एक लहर गंगा से निकल कर शिवलिंग के ऊपर पड़ी साधु ने इसे साधारण सा इत्तेफाक समज आगे बड़े परन्तु फिर एक और लहर आयी धीरे धीरे लहर लगातार आने लगी और शिवलिंग पर पड़ने लगी ,साधु यह देख चकित रह गए। साधु ने गंगा मैं जानक क्र देखने का प्रयास किया की ऐसा क्या है जो आज इतनी ज्यादा और तेज लहर शिवलिंग पर आ रही है। कुछ देर तक देखने के बाद साधु को नदी में कुछ बड़ा अलग सा जीव दिखाई दिया आधु को कुछ समज नहीं आया थोड़ा नीचे और झुकने के बाद प्रतीत हुआ की यह एक ऐसा जीव ही जिसका आगे का शरीर तो मनुष्य का है और पीछे का शरीर मत्स्य यानी मछली का है , यह देख साधु के होश उड़ गए , की उनके सामने एक जलपरी है जो शिवलिंग को गंगा जल से अभिषेक करा रही यह देख साधु भाव विभोर हो गए और आख्नो से आसूं आ गए और बड़ी ज़ोर ज़ोर से हर हर महादेव का जयकारा लगाने लगे। जयकारा सु कुछ लोग वहाँ पहुंचे और सबने उस जलपरी को देखने का बरसक प्रयास किया परन्तु वह जलपरी साधु के अलावा किसी को दिखाई नहीं दी ।